हालांकि हम जानते हैं कि मीडियम एरोबिक एक्सरसाइज से मिलने वाली धीमी तरंग आपकी नींद को बढ़ाता है। धीमी लहर नींद आपकी गहरी नींद को बताता है जहां मस्तिष्क और शरीर को फिर से जीवंत होने का मौका मिलता है। गेमाल्डो कहते हैं कि, ‘अगर आप व्यायाम करते हैं इसका मतलब आप शारीरिक मेहनत कर रहे हैं। यह आपके मनोदशा को स्थिर करने और मन को रिजुविनेट करने में मदद कर सकता है। यह एक कॉगनेटिव प्रोसेस है जो स्वाभाविक रूप से नींद के लिए जरूरी है।’
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शारीरिक मेहनत की टाइमिंग हैं जरुरी
गमाल्डो कहते हैं कि कुछ लोगों को लग सकता है कि सोने के समय के पास एक्सरसाइज करने से उन्हें रात में नींद नहीं आती है। वर्कआउट करने से दिमाग पर क्या असर पड़ता है?
एरोबिक एक्सरसाइज शरीर से एंडोर्फिन रिलीज करता हैः ये केमिकल दिमाग में एक्टिविटी का एक स्तर बना सकते हैं जो कुछ लोगों को जगाकर रखता है। वह कहती हैं कि इन व्यक्तियों को बिस्तर पर जाने से कम से कम 1 से 2 घंटे पहले एक्सरसाइज या शारीरिक मेहनत करनी चाहिए जिससे एंडोर्फिन के स्तर को नॉर्मल होने का समय मिले और दिमाग को सोने में आसानी हो।
व्यायाम आपके शरीर के तापमान को भी बढ़ाता हैः “कुछ लोगों में शारीरिक मेहनत का प्रभाव एक हॉट बाथ लेने जैसा है जो आपको सुबह उठाता है।’ गेमाल्डो कहते हैं शरीर के तापमान में बढ़त शरीर की घड़ी को बताता है कि यह जागने का समय है। लगभग 30 से 90 मिनट के बाद, शरीर का तापमान गिरने लगता है। गिरावट नींद लाने के लिए मदद करती है।
व्यायाम करने के लिए इन बायोलॉजिकल रिस्पॉन्स के बावजूद लोगो को लगता है कि दिन के किस समय वे व्यायाम करते है या नहीं करते हैं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। गामाल्डो कहते हैं चाहे वह सुबह की शुरुआत हो या सोने के समय के करीब वे हो शारीरिक मेहनत का असर वो अपनी नींद में देखेंगे। अपने शरीर को जानें और अपने आप को जानें और समझें कि किस समय एक्सरसाइज करना आपके शरीर के लिए बेहतर है और किस समय एक्सरसाइज करना आपके शरीर के लिए नुकसानदायक।
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