इस बात पर दें ध्यान
महिलाओं को आयुर्वेदिक पोस्ट डिलिवरी केयर के दौरान गरम तासीर वाला खाना लेना चाहिए। साथ ही फ्रेश फूड स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना गया है। आइसक्रीम और ज्यादा तेल वाली चीजों से बचना चाहिए। मां को बच्चे को दूध भी पिलाना होना है तो ऐसे समय में किसी भी दूसरी बातों के बारे में न सोचें। दूध पिलाते वक्त मन को शांत रखें। ऐसा माना गया है कि मां दूध पिलाते वक्त तो सोचती है वो सीधे बच्चे के दिमाग में असर करता है।
और पढ़ें : प्रेग्नेंसी के बाद बॉडी में आते हैं ये 7 बदलाव
वातावरण पर भी दिया जाता है ध्यान (Environment factor)
डिलिवरी के बाद आयुर्वेदिक पोस्ट डिलिवरी केयर के अंतर्गत घर के वातावरण पर भी जोर दिया जाता है। ऐसा माना जाता है कि घर का माहौल शांत रहना चाहिए, ताकि मां और बच्चा आराम से सो सके। ऐसे समय में करीब 30 दिनों तक घर का कोई भी सदस्य किसी फंक्शन को अटेंड नहीं करता है और न ही घर में कोई भी अच्छा काम किया जाता है। कई ऐसा माना जाता है कि बच्चे के पैदा होने के बाद सूतक माने जाते हैं और किसी भी तरह का अच्छा काम नहीं किया जाता है।
बिजी शेड्यूल और डिप्रेशन का संबंध (Busy schedule and Depression)
आपने पोस्ट नेटल डिप्रेशन के बारे में सुना होगा। डिलिवरी के बाद होने वाली मां को कई प्रकार की बातें सोचकर डिप्रेशन की समस्या हो जाती है। आयुर्वेदिक पोस्ट डिलिवरी केयर के अंतर्गत कई प्रकार की एक्टिविटी जैसे बाथ ऑयल प्रिपेयर करना, मसाज करना, फ्रेश खाना बनाना, गंदे कपड़ों की धुलाई आदि के बीच किसी के पास समय नहीं बच पाता है कि किसी और भी चीज के बारे में सोच पाएं। इस तरह से महिलाएं डिप्रेशन से बच जाती हैं।