बढ़ सकता है डिप्रेशन
बहुत से शोधों में पाया गया है कि नाइट शिफ्ट में काम करने वाले लोगों में या बहुत देर तक जागते रहने पर आपको डिप्रेशन यानि अवसाद की परेशानी हो सकती है। डिप्रेशन जिसे मेजर डिप्रेसिव डिसॉर्डर और क्लिनिकल डिप्रेशन के तौर पर भी जाना जाता है। यह एक तरह का मूड डिसऑर्डर है, जिसमें व्यक्ति लगातार उदास रहता है और उसका बाकी चीजों से दिल हटने लगता है। डिप्रेशन के कारण व्यक्ति के मन में सुसाइड करने तक के भी ख्याल आने लगते हैं।
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मेटाबॉलिज्म में बदलाव
लेप्टिन हॉर्मोन (Leptin Hormone) आपके ब्लड शुगर और इन्सुलिन(Insulin) को नियंत्रित करता है। रात को न सोने पर इस हॉर्मोन की मात्रा कम हो जाती है, जिसकी वजह से बहुत सी परेशानियां हो सकती हैं। शरीर का वजन अगर बढ़ने या घटने लगता है तो ऐसी स्थिति में अन्य बीमारियों का खतरा भी बढ़ने लगता है। इसलिए अगर आप नाइट शिफ्ट में काम करते हैं तो दिन में अपनी नींद पूरी करें। अगर आप ऐसा करने में सक्षम नहीं हो पाते हैं तो डायबिटीज जैसी अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
बढ़ा हुआ वजन और डायबिटीज
रात को न सोने पर हॉर्मोनल डिस्बैलेंस हो जाता है, जिसकी वजह से डायबिटीज और बढ़े हुए वजन की भी समस्या हो तेजी से बढ़ सकती है।
नींद है आपकी अच्छी सेहत की कुंजी इसलिए नाइट शिफ्ट में काम करने से बचें। हालांकि कई ऐसे मीडिया इंडस्ट्री और भारत में रह कर दूसरे देशों के लिए काम करते हैं उन्हें मजबूरन नाइट शिफ्ट में काम करना पड़ता है। ऐसे ही पुणे में रहने वाले 31 साल के अंकित मल्होत्रा से जब हमने बात की तो उनका कहना था कि उनका वर्किंग समय ही भारत के समय अनुसार (IST) शाम 7 बजे से शुरू होता है और सुबह 3 से 4 बजे तक खत्म होता है। सॉफ्टवेयर इंजीनियर होने के नाते उन्हें इसी समय काम करना पड़ता है। अंकित कहते हैं की जब वो ऑफिस से अपने घर सुबह 4 से 5 बजे तक पहुंचते हैं तो फ्रेश होने के बाद वो फ्रूट्स या अंकुरित अनाज खाते हैं और फिर सोते हैं। 7 से 8 घंटे की पूरी नींद के बाद वो फ्रेश और अच्छा महसूस करते हैं।
वहीं मीडिया इंडस्ट्री में काम करने वाली 26 वर्षीय तन्नू भाटिया दिल्ली में रहती हैं। जब हमने उनसे जानने की कोशिश की कि वो कैसे अपने हेल्थ को फिट रखती हैं, तो तन्नू कहती हैं कि ‘उनके ऑफिस शिफ्ट एक सप्ताह या 15 सप्ताह में बदलते रहते हैं। ऐसे में उनकी नींद ठीक तरह से पूरी नहीं हो पाती है लेकिन, उन्होंने ने अब यह तय कर लिया है की ऑफिस से आने के बाद वो थकी होती हैं। इसलिए आने के बाद फ्रेश होती हैं और फिर सो जाती हैं। ऐसा करने से उन्हें नाइट शिफ्ट या किसी भी शिफ्ट में काम करने के बाद अच्छी नींद आ जाती है। ‘