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पर्याप्त नींद न लेना हो सकता है स्वास्थ्य के लिए हानिकारक, जानिए कैसे करें इस समस्या को दूर

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


AnuSharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 16/07/2021

    पर्याप्त नींद न लेना हो सकता है स्वास्थ्य के लिए हानिकारक, जानिए कैसे करें इस समस्या को दूर

    आपने यह तो सुना ही होगा कि प्यार में इंसान की नींद उड़ जाती है। लेकिन, नींद न आने के कई अन्य कारण भी हो सकते हैं। अच्छी और पर्याप्त नींद (Enough sleep) एक ऐसा टॉपिक है, जिसे हम आमतौर पर नजरअंदाज कर देते है। नींद के बारे में बड़े पैमाने पर अध्ययन किया गया है और यह पाया गया है कि हमारी नींद जीवन की गुणवत्ता को बहुत अधिक प्रभावित करती है। साउंड स्लीप (Sound sleep) या पर्याप्त नींद (Enough sleep) न आने से हमारे रोजाना के कार्यों पर असर हो सकता है, हम बीमार पड़ सकते हैं या हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ सकता है। ऐसा भी पाया गया है कि कई लोगों को अच्छी नींद लेने में समस्या होती है लेकिन फिर भी लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते।

    रात की नींद बेहद जरूरी है। अगर आपको रात को नींद में समस्या आ रही है तो यह वो समय है, जब आपको अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। पाइए, रात की साउंड स्लीप (Sound sleep) या पर्याप्त नींद (Enough sleep) के बारे में जानकारी। सबसे पहले आपके लिए यह जानना जरूरी है कि नींद का हमारे शरीर या हमारी इम्युनिटी पर क्या प्रभाव होता है।

    रात की नींद का हमारी इम्युनिटी पर क्या असर होता है? 

    अच्छे स्वास्थ्य के लिए रात को पर्याप्त नींद (Enough sleep) लेना महत्वपूर्ण है।  दुर्भाग्य से, बहुत से लोग इस चीज को गंभीरता से नहीं लेते। आजकल बदलते लाइफस्टाइल और लेट नाईट कल्चर के कारण, अच्छी और साउंड स्लीप (Sound sleep) का महत्व कम होता जा रहा है है। इसका असर हमारी इम्युनिटी पर भी पड़ता है

    मनुष्यों या अन्य प्राणियों की सोने और भोजन की आदतें सरकंडियन रिदम द्वारा नियंत्रित होती हैं। सरकेडियन रिदम (Circadian Rhythm) एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जो सोने और जागने के चक्र को नियंत्रित करती है। सोने और जागने का चक्र सेंट्रल नर्वस सिस्टम (Nervous system), एंडोक्राइन सिस्टम (Endocrine system) और इम्यून सिस्टम (Immune system) के बीच इंटरेक्शन से निर्धारित होता है। नींद के दौरान, हमारा शरीर साइटोकिन्स रिलीज करता है, जो इम्यून सिस्टम के रेगुलेशन के लिए आवश्यक हैं। जब आप तनाव में होते हैं या बीमारी की संभावना होती है, तो बढ़ी हुई मात्रा में साइटोकिन्स की आवश्यकता होती है। नींद के दौरान साइटोकिन्स का स्तर बढ़ जाता है, और इसलिए नींद की कमी (Less sleep) संक्रमण से लड़ने की शरीर की क्षमता में बाधा डालती है। 

    साउंड स्लीप (Sound sleep) इम्यून सिस्टम को जरूरी सपोर्ट प्रदान करती है। पर्याप्त नींद (Enough sleep) लेने से इम्यून सिस्टम बीमारियों से बचने में सक्षम होता है। इसके विपरीत गंभीर स्लीपिंग समस्याएं जिनमे स्लीप डिसऑर्डर भी शामिल हैं जैसे इंसोम्निया (Insomia), स्लीप एपनिया (Sleep apnea) और सरकेडियन रिदम (Circadian Rhythm) डिसरप्टिव भी इम्यून सिस्टम की हेल्दी फंक्शनिंग को प्रभावित कर सकती हैं।

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    क्या पर्याप्त नींद (enough sleep) इम्युनिटी को सुधार सकती है?

    पुअर क्वालिटी स्लीप (Poor Quality sleep) से इम्यून रिस्पांस बिगड़ सकता है। हालांकि, रात की पर्याप्त नींद (Enough Sleep) आपकी इम्युनिटी को बढ़ा सकती है। अच्छी गुणवत्ता वाली नींद टी-हेल्पर सेल्स की क्षमता को सुधारती है। टी हेल्पर सेल्स वे सेल्स  होती हैं, जो शरीर की इम्यून सिस्टम के हिस्से के रूप में हमलावर बैक्टीरिया, वायरस या किसी भी फॉरेन एंटीजन कोशिकाओं से लड़ती हैं। जब भी कोई फॉरेन रोगज़नक़ शरीर में प्रवेश करता है, तो हमारी प्रतिरक्षा कोशिकाएं उन्हें पहचानती हैं और एक प्रोटीन छोड़ती हैं। यह प्रोटीन टी-सेल्स (T cells) की फॉरेन एंटीजन को नष्ट करने में मदद करता है। टी सेल्स (T cells) उन कारकों की भी पहचान करती हैं, जो टार्गेट पैथोजन से जुड़ने में टी सेल्स की दक्षता से समझौता कर सकते हैं।

    यह पाया गया कि एड्रेनालाईन (Adrenaline), नॉरएड्रेनालाईन (Noradrenaline) जैसे हार्मोन और प्रोस्टाग्लैंडीन जैसे प्रो-इंफ्लेमेटरी मोलेक्युल्स टी सेल्स (T cells) को इंटीग्रिन के साथ कंबाइन होने में बाधा उत्पन्न करते हैं। नींद के दौरान इन स्ट्रेस हार्मोन (एड्रेनालाईन, नॉरएड्रेनालाईन) और प्रोस्टाग्लैंडीन का स्तर कम हो जाता है। इसलिए, अच्छी और पर्याप्त नींद (Enough Sleep) टी कोशिकाओं की कार्य क्षमता को बढ़ाती है और शरीर की इम्यून रिस्पांस में सुधार करती है।

    पर्याप्त नींद

    रात की नींद पूरी ना होने से हमें कौन सी बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है? 

    अगर आप उन कई रातों को काम करते हैं जब आपको सोना चाहिए था, तो जल्दी ही आपका शरीर नेगेटिव इफ़ेक्ट दिखाना शुरू कर देगा। नींद न पूरी होने से न केवल आप थकावट, तनाव, चिड़चिड़ापन महसूस करेंगे बल्कि आपको कई गंभीर समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है। रिसर्च के अनुसार यह चीज बहुत जरूरी है कि आप कितने घंटे सोते हैं। जो लोग हर रात छह घंटे से कम सोते हैं,  उन्हें गंभीर बीमारियों का जोखिम अधिक होता है। पर्याप्त नींद (Enough Sleep) न मिल पाने के कारण हमें इन बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है: 

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    दिल संबंधी समस्याएं (Heart Problems)

    अगर आप हर रात 6 घंटे से कम सोते हैं तो आपको कोरोनरी हार्ट समस्या हो सकती है। कम सोने से आपका ब्लड प्रेशर बढ़ता है। जो हार्ट अटैक (Heart attack) या स्ट्रोक (Stroke) का वार्निंग सिग्नल हो सकता है। 

    “डॉ रीमा चौधरी, सलाहकार न्यूरोलॉजिस्ट, फोर्टिस अस्पताल, मुलुंड, का कहना है कि फोर्टिस द्वारा किए एक सर्वेक्षण की रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि COVID-19 महामारी की शुरुआत के बाद से, भारतीय वयस्कों ने सोने में कठिनाई (37%), सोते रहने में कठिनाई (27%) और रात के दौरान जागना (39%) जैसी नई नींद की चुनौतियों का अनुभव किया। अध्ययन में पाया गया है कि स्लीप एपनिया वाले 80% रोगियों को दिन में नींद और आलस का अनुभव होता है, जबकि केवल 52% लोग जिन्हें स्लीप एपनिया नहीं होता है, वे ऐसा ही अनुभव करते हैं। 47% प्रतिभागियों ने यह भी कहा कि स्लीप एपनिया, उनके रिश्तों को प्रभावित कर रहा है। स्लीप एपनिया हृदय की स्थिति, स्ट्रोक, तंत्रिका संबंधी विकार, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मोटापा सहित गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को भी जन्म दे सकता है। इसलिए समय पर अच्छी नींद जरूरी है।”

     डायबिटीज (Diabetes)

    कम सोने या लगातार अधिक सोने का एडेनोसिन के स्तर (Adenosine level) पर प्रभाव पड़ता है और रक्त शर्करा (Blood glucose) के स्तर में वृद्धि का कारण बनता है। यह जो स्लीप एपनिया और मधुमेह का कारण बन सकता है। एक शोध के अनुसार जो लोग एक रात में 6 से कम घंटे सोते हैं उनमें ब्लड ग्लूकोज लेवल बढ़ जाता है।

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    अल्जाइमर रोग (Alzheimer’s disease)

    हालांकि अभी इस बारे में शोध किया जा रहा है कि क्या पुअर स्लीप अल्जाइमर’स डिजीज (Alzheimer’s disease) से जुडी हुई है। लेकिन, रिसर्च के अनुसार अल्जाइमर रोग (Alzheimer’s disease) के कारण स्लीप साइकिल प्रभावित हो सकता है। लेकिन, वे यह भी निर्धारित करने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या खराब नींद के प्रभाव दोनों तरीके से काम करते हैं। अल्जाइमर से पीड़ित लोगों को अक्सर रात को पर्याप्त नींद (Enough sleep) लेने में कठिनाई होती है, साथ ही उन्हें सपने देखने में कमी का अनुभव होता है। जिससे उनके दिमाग को रीसेट करने का मौका नहीं मिलता है। इसके कारण वो रात को सो नहीं पाते हैं और अपनी नींद दिन में पूरी करते हैं। अत्यधिक मामलों में उनके दिन और रात के सोने के पैटर्न का पूरी तरह से उल्टा हो सकता है। जिससे हमें पर्याप्त नींद (enough sleep) नहीं मिल पाती।

    कैंसर (Cancer)

    वैज्ञानिक कैंसर और उन लोगों के बीच में संबंध के बारे में शोध कर रहे हैं जो शिफ्ट (रात को काम करना) में काम करते हैं। एक शोध के अनुसार जो महिलाएं रात में काम करती हैं, उनमें अन्य महिलाओं की तुलना में ब्रेस्ट कैंसर की संभावना तीस प्रतिशत अधिक है। इन घटनाओं का कारण शरीर के प्राकृतिक सरकेडियन रिदम (Circadian Rhythm) में व्यवधान से जुड़ा हो सकता है।

    रात की पूरी नींद पाने के लिए हम क्या कर सकते हैं?  

    हम में से अधिकांश लोग कभी न कभी रात की खराब नींद का सामना करते हैं। पर्याप्त नींद (Enough sleep) न आने के कारण अगला दिन चिड़चिड़े और परेशान रहना सामान्य है। लेकिन लंबे समय तक नींद की कमी (Less sleep) का प्रभाव कहीं अधिक गंभीर हो सकता है, जिससे कोरोनरी हृदय रोग, स्ट्रोक, मधुमेह, मोटापा और अल्जाइमर रोग का खतरा बढ़ जाता है। जानिए रात की पूरी और पर्याप्त नींद (Enough sleep) पाने के लिए हम क्या कर सकते हैं 

    दिन में सोना बंद करें

    अगर आप दिन में सोते हैं तो आपको रात में पर्याप्त नींद (Enough sleep) आने में परेशानी हो सकती है, इसलिए अपनी दिन की नींद में कटौती करें आप सोने से पहले आराम और खुद के लिए समय निकालें। नींद से पहले गुनगुने पानी से स्नान, कोई किताब पड़ना या कोई अच्छा म्यूजिक सुनना आपको अच्छी नींद में मदद कर सकता है

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    रुटीन का पालन करें 

    अगर आप रोजाना एक ही समय पर सोते हैं और रोज़ाना इसका पालन करते हैं। तो इससे आपको रोजाना सही समय पर सोने और आराम मिलने में मदद मिलेगी। यही नहीं, आपको पर्याप्त नींद (Enough sleep) के साथ ही साउंड स्लीप (Sound sleep) भी मिलेगी।

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    टेक्नोलॉजी को नजरअंदाज करें

    सोने के एक घंटे पहले तक स्मार्टफ़ोन, कंप्यूटर और टीवी का प्रयोग न करें। इस तरह की डिवाइस एक नीली रोशनी का उत्सर्जन करती है, जो नींद के हार्मोन मेलाटोनिन को दबा देती है। जिससे पर्याप्त नींद (Enough sleep) में समस्या आती है।

    शांत वातावरण बनाएं

    शांत वातावरण में सोना आपकी नींद की गुणवत्ता (Quality sleep) को सुधारेगा। इसके लिए सुनिश्चित करें कि आपका बिस्तर आपको सही सपोर्ट, आराम और स्पेस प्रदान करें। इसके साथ ही आपके कमरे का तापमान सही होना चाहिए। 

    सोने के लिए खाद्य पदार्थ

    सेहतमंद भोजन करने से आमतौर पर साउंड स्लीप (Sound sleep) में सुधार होता है लेकिन कुछ खाद्य पदार्थ विशेष रूप से इसमें फायदेमंद होते हैं, जैसे दूध, चिकन,सब्जियां और फल आदि। इनमें रसायन ट्रिप्टोफैन (Tryptophan) और सेरोटोनिन (Serotonin) होते हैं, जो मेलाटोनिन के उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण हैं, जो हार्मोन नींद को बढ़ावा देता है।

    इनका सेवन न करें

    सोने से पहले कॉफी, शराब और अधिक मात्रा में भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। कई लोगों की  दोपहर में कॉफी या अन्य कैफीन युक्त पेय पदार्थों के सेवन से भी साउंड स्लीप (Sound sleep) प्रभावित हो सकती है। इसके अलावा जंक फूड, अधिक मिर्च-मसालेवाले आहार भी आपकी नींद के चक्र पर असर ड़ाल सकता है।

    फिट रहें और सक्रिय रहें

    शारीरिक गतिविधियां पर्याप्त नींद (Enough sleep) के साथ ही आपके स्वास्थ्य के लिए बढ़िया है। हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि अगर वे सोने से दो घंटे पहले व्यायाम करते हैं, तो इससे नींद आना मुश्किल हो जाता है। लेकिन रोजाना व्यायाम करने और सक्रिय रहने से आपको अच्छी नींद आती है। 

    नींद की गुणवत्ता (quality sleep) पर ध्यान दें

    हम अक्सर इस बात पर ध्यान केंद्रित करते हैं कि हम कितनी देर तक सो रहे हैं, लेकिन नींद की गुणवत्ता (Quality sleep) उतनी ही महत्वपूर्ण है। हम पांच चरणों में सोते हैं, जिसे हम एक चक्र में अनुभव करते हैं, रात में लगभग पांच बार। लेकिन, रात में उठना, उदाहरण के लिए बाथरूम जाना, इस चक्र को बाधित कर सकता है और आप बाद के चरणों तक नहीं पहुंच सकते। इस कारण से, बिस्तर पर जाने से पहले बहुत सारे तरल पदार्थ लेने से बचना एक बेहतर उपाय है।

    पर्याप्त नींद

    लाइफस्टाइल से जुड़े फैक्टर्स कैसे हमारी नींद को प्रभावित करते हैं? 

    हमारी लाइफस्टाइल से जुड़े कई कारक हमारी रात की साउंड स्लीप (Sound sleep) को प्रभावित करते हैं। हालांकि कुछ कारकों को हम नियंत्रित भी कर सकते हैं, जैसे:

    • तनाव में रहने से व्यक्ति रात को अपनी समस्याओं, डेडलाइन और अन्य चीजों को लेकर चिंता कर सकता है। यह तनाव पर्याप्त नींद (enough sleep) न आने का कारण हो सकता है।
    • वातावरण जिसमें हम सोते हैं वो भी हमारी नींद को प्रभावित करता है। जैसे उस स्थान पर आपको कितना आराम और सुरक्षित महसूस करते हैं।,आपका बिस्तर और कमरे का तापमान कैसा है आदि।

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    • रिश्ते आपकी नींद को प्रभावित करते हैं। किसी प्रियजन, विशेष रूप से परिवार के किसी सदस्य के साथ समस्या या अन्य परेशनी आपको पूरी रात जगा कर रख सकती है।
    • कैफीन या अल्कोहल युक्त उत्पादों सहित आप कौन से खाद्य पदार्थ खाते हैं, पर्याप्त नींद (Enough sleep) के पैटर्न को बाधित कर सकते हैं।
    • हार्ट की समस्या (Heart problem), गठिया (Arthritis), पार्किंसन रोग (Parkinson’s disease) और कैंसर (Cancer) जैसी बीमारियों का असर भी आपकी साउंड स्लीप (Sound sleep) पर हो सकता है।
    • निकोटीन एक उत्तेजक है, जो धूम्रपान करने वालों की नींद को प्रभावित करता है। जितना अधिक आप धूम्रपान करते हैं, उतनी अधिक संभावना है कि आप अनिद्रा का शिकार हो सकते हैं। 

    Quiz : बच्चों की नींद के लिए क्या है जरूरी?

    मेन्टल हेल्थ और नींद (Mental health and sleep) का क्या ताल्लुक है? कैसे मेन्टल हेल्थ नींद को प्रभावित करती है? 

    नींद और मानसिक स्वास्थ्य के बीच घनिष्ठ संबंध है। मानसिक समस्या आप कितनी अच्छी और पर्याप्त नींद (enough sleep) ले सकते हैं, इस पर पर प्रभाव डालती है और खराब नींद आपके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। पुअर नींद एंग्जायटी की ओर ले जाती है। 

    हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त नींद (Enough sleep for mental health) इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?

    ऐसे कई तरीके हैं जिनसे हम अपने मूड (व्यायाम, आहार आदि) को सही कर सकते हैं, लेकिन सकारात्मक मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए नींद महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। वास्तव में, पर्याप्त नींद (Enough sleep) और मानसिक स्वास्थ्य (Sleep and Mental health) के बीच बहुत करीबी रिश्ता है। नींद की कमी (Less sleep) अक्सर स्वास्थ्य में गिरावट का एक प्रमुख संकेत हो सकती है।

    नींद

    यह कोई रहस्य नहीं है कि पर्याप्त नींद (Enough sleep) हमें हर दिन प्रभावी ढंग से काम करने में मदद करती है और दिन के खत्म होने पर मस्तिष्क को रिचार्ज करने में महत्वपूर्ण है। जब हमें रात में पर्याप्त नींद (Enough sleep) नहीं आती है तो तो यह तुरंत हम पर प्रभाव डालती हैं। हालांकि, लंबे समय तक नींद की कमी (Less sleep) से चिंता, अवसाद और अन्य गंभीर मानसिक बीमारियों सहित गंभीर स्वास्थ्य परिणाम होते हैं। जब लोग पर्याप्त नींद (Enough sleep) लेना चाहते हैं लेकिन सो नहीं पाते तो लोग अक्सर काफी हताश महसूस कर सकते हैं । 

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    अगर आप अभी से अपनी पर्याप्त नींद (Enough sleep) के लिए एक रुटीन का पालन और अपने लाइफस्टाइल में अच्छे बदलाव करेंगे तो पूरी उम्र आपको कोई समस्या नहीं होगी। नींद सही आहार या व्यायाम की तरह ही हर व्यक्ति के जीवन में की प्राथमिकता होनी चाहिए।

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