“डॉ रीमा चौधरी, सलाहकार न्यूरोलॉजिस्ट, फोर्टिस अस्पताल, मुलुंड, का कहना है कि फोर्टिस द्वारा किए एक सर्वेक्षण की रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि COVID-19 महामारी की शुरुआत के बाद से, भारतीय वयस्कों ने सोने में कठिनाई (37%), सोते रहने में कठिनाई (27%) और रात के दौरान जागना (39%) जैसी नई नींद की चुनौतियों का अनुभव किया। अध्ययन में पाया गया है कि स्लीप एपनिया वाले 80% रोगियों को दिन में नींद और आलस का अनुभव होता है, जबकि केवल 52% लोग जिन्हें स्लीप एपनिया नहीं होता है, वे ऐसा ही अनुभव करते हैं। 47% प्रतिभागियों ने यह भी कहा कि स्लीप एपनिया, उनके रिश्तों को प्रभावित कर रहा है। स्लीप एपनिया हृदय की स्थिति, स्ट्रोक, तंत्रिका संबंधी विकार, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मोटापा सहित गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को भी जन्म दे सकता है। इसलिए समय पर अच्छी नींद जरूरी है।”
डायबिटीज (Diabetes)
कम सोने या लगातार अधिक सोने का एडेनोसिन के स्तर (Adenosine level) पर प्रभाव पड़ता है और रक्त शर्करा (Blood glucose) के स्तर में वृद्धि का कारण बनता है। यह जो स्लीप एपनिया और मधुमेह का कारण बन सकता है। एक शोध के अनुसार जो लोग एक रात में 6 से कम घंटे सोते हैं उनमें ब्लड ग्लूकोज लेवल बढ़ जाता है।
[mc4wp_form id=”183492″]
अल्जाइमर रोग (Alzheimer’s disease)
हालांकि अभी इस बारे में शोध किया जा रहा है कि क्या पुअर स्लीप अल्जाइमर’स डिजीज (Alzheimer’s disease) से जुडी हुई है। लेकिन, रिसर्च के अनुसार अल्जाइमर रोग (Alzheimer’s disease) के कारण स्लीप साइकिल प्रभावित हो सकता है। लेकिन, वे यह भी निर्धारित करने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या खराब नींद के प्रभाव दोनों तरीके से काम करते हैं। अल्जाइमर से पीड़ित लोगों को अक्सर रात को पर्याप्त नींद (Enough sleep) लेने में कठिनाई होती है, साथ ही उन्हें सपने देखने में कमी का अनुभव होता है। जिससे उनके दिमाग को रीसेट करने का मौका नहीं मिलता है। इसके कारण वो रात को सो नहीं पाते हैं और अपनी नींद दिन में पूरी करते हैं। अत्यधिक मामलों में उनके दिन और रात के सोने के पैटर्न का पूरी तरह से उल्टा हो सकता है। जिससे हमें पर्याप्त नींद (enough sleep) नहीं मिल पाती।
कैंसर (Cancer)
वैज्ञानिक कैंसर और उन लोगों के बीच में संबंध के बारे में शोध कर रहे हैं जो शिफ्ट (रात को काम करना) में काम करते हैं। एक शोध के अनुसार जो महिलाएं रात में काम करती हैं, उनमें अन्य महिलाओं की तुलना में ब्रेस्ट कैंसर की संभावना तीस प्रतिशत अधिक है। इन घटनाओं का कारण शरीर के प्राकृतिक सरकेडियन रिदम (Circadian Rhythm) में व्यवधान से जुड़ा हो सकता है।
रात की पूरी नींद पाने के लिए हम क्या कर सकते हैं?
हम में से अधिकांश लोग कभी न कभी रात की खराब नींद का सामना करते हैं। पर्याप्त नींद (Enough sleep) न आने के कारण अगला दिन चिड़चिड़े और परेशान रहना सामान्य है। लेकिन लंबे समय तक नींद की कमी (Less sleep) का प्रभाव कहीं अधिक गंभीर हो सकता है, जिससे कोरोनरी हृदय रोग, स्ट्रोक, मधुमेह, मोटापा और अल्जाइमर रोग का खतरा बढ़ जाता है। जानिए रात की पूरी और पर्याप्त नींद (Enough sleep) पाने के लिए हम क्या कर सकते हैं
दिन में सोना बंद करें
अगर आप दिन में सोते हैं तो आपको रात में पर्याप्त नींद (Enough sleep) आने में परेशानी हो सकती है, इसलिए अपनी दिन की नींद में कटौती करें। आप सोने से पहले आराम और खुद के लिए समय निकालें। नींद से पहले गुनगुने पानी से स्नान, कोई किताब पड़ना या कोई अच्छा म्यूजिक सुनना आपको अच्छी नींद में मदद कर सकता है।
योगा , मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी के लिए क्लिक करें :