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ऑटिज्म में न खाएं भुट्टा (Corne)
भुट्टे का 85 प्रतिशत उत्पादन कीड़े मारने वाली दवा से होता है। 2013 में हुई एक स्टडी में यह पाया गया था कि हर्बीसाइड ग्लाइफोसेट नामक पेस्टिसाइड के संपर्क में आने से ऑटिज्म का खतरा होता है। इसके साथ ही भुट्टा एक ऐसा आनाज है जिसके फैटी एसिड (Fatty acid) की क्वालिटी सबसे खराब होती है। भुट्टे से किसी भी प्रकार के खास फायदे नहीं होते हैं बल्कि इसके नुकसान अधिक माने हैं। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।
मीठे (Sugar) का न करें सेवन
शुगर न केवल प्रो-इंफ्लामेट्री होती है बल्कि यह मस्तिष्क में इरेटिक ब्रेन कोशिकाओं को अत्यधिक बढ़ा देती है और इसके खाने की लत भी लग सकती है। फ्रंटियर्स इन एंडोक्रिनोलॉजी की एक स्टडी में यह पाया गया कि जो व्यक्ति ऑटिज्म के साथ टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) से भी ग्रस्त होते हैं उनमें शुगर और इन्सुलिन टॉलरेंस झेलने की क्षमता बेहद कम होती है। इसके कारण शुगर खाने से इंसुलिन (Insulin) का स्तर बहुत बिगड़ सकता है।
शुगर और अन्य रिफाइन कार्ब्स की बजाए लीन प्रोटीन का सेवन करने से एकाग्रता और निर्णय लेने की क्षमता में बढ़ोतरी होती है जबकि जल्दबाजी भरे निर्णय लेने में कमी आती है।
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ऑटिज्म के कारण इम्यून सिस्टम (Immune system) पर प्रभाव
ऑटिज्म का प्रभाव शरीर के इम्यून सिस्टम (Immune system) पर भी पड़ता है। ऑटिज्म के कारण शरीर का इम्यून सिस्टम भी कमजोर हो सकता है। इस कारण शरीर में संक्रमण का खतरा भी बढ़ सकता है। वहीं इम्यून सिस्टम (Immune system) और डायट (Diet) का संबंध भी बहुत गहरा है। ऐसे में ऑटिज्म में डायट (Diet for Autism) का खास ख्याल रखने की भी जरूरत हो सकती है। ऑटिज्म के कारण शरीर में कई तरह की परेशानियां देखने को मिल सकती है:
हाइपर सेंसिटिविटी (Hyper sensitive)
कई मामलों में देखा गया है कि ऑटिज्म के कारण लोगों में हाइपर सेंसिटिविटी (Hyper sensitive) की परेशानी हो सकती है। इस स्थिति में शरीर किसी संक्रमण में जरूरत से ज्यादा सक्रिय हो जाता है और कई बार ओवर एक्टिव होने पर इसके दुष्प्रभाव शरीर को भुगतने पड़ जाते हैं।