ऑप्टिकल कोहरेन्स टोमोग्राफी (Optical Coherence Tomography)
आपके नेत्र चिकित्सक आपको ऑप्टिकल कोहरेन्स टोमोग्राफी (OCT) टेस्ट कराने के लिए भी कह सकते हैं। यह इमेजिंग टेस्ट रेटिना की क्रॉस-सेक्शनल इमेजेज प्रदान करता है। जो रेटिना की मोटाई दिखाते हैं। यह टेस्ट यह निर्धारित करने में मदद करेगा कि क्या द्रव रेटिना टिश्यू में लीक हो गया है या नहीं। बाद में, ओसीटी टेस्ट का उपयोग यह देखने के लिए भी किया जा सकता है कि उपचार कैसे काम कर रहा है।
और पढ़ें: क्या है इंसुलिन पंप, डायबिटीज से इसका क्या है संबंध, और इसे कैसे करना चाहिए इस्तेमाल?
फुट टेस्ट
अगर किसी व्यक्ति को डायबिटीज है, तो उसके खून में ब्लड शुगर स्तर अधिक होगा। ऐसे में रोगी के ब्लड वेसल और नसों को नुकसान होता है। इनका प्रभाव प्रभावित व्यक्ति के पैरों में भी पड़ सकता है। पैरों में समस्या होने पर रोगी पैरों में लगने वाली किसी भी चोट, घाव या छाले आदि को महसूस नहीं कर पाते। समस्या के बढ़ने पर यह अल्सर या संक्रमण भी हो सकता है। यही नहीं, अगर समस्या बहुत अधिक बढ़ जाए तो प्रभावित टांग या पैर को काटना भी पड़ सकता है, ताकि यह संक्रमण (Infection) शरीर के अन्य अंगों तक न फैले।
मोनोफिलमेंट टेस्ट
ऐसी स्थिति में डॉक्टर आपके पैरों को जांचेंगे कि कहीं उसमें कोई लालिमा, छाले या घाव आदि तो नहीं है। अगर उन्हें आपके पैरों में अधिक समस्या दिखाई दे, तो वो मोनो-फिलामेंट टेस्ट कर सकते हैं।
- इस स्थिति से बचने के लिए आपको स्वयं रोजाना अपने पैरों कि जांच करनी चाहिए। अगर आपको पैरों में सुन्नता या झुनझुनी महसूस हो, तो ऐसा नर्व डैमेज (Nerve damage) के कारण हो सकता है। ऐसे में तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। खुद कभी भी घर पर अपने पैरों का उपचार न करें। बल्कि डॉक्टर से पहले राय लें। जैसे ही आपको पैरों में कोई समस्या महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं ताकि आपका उपचार सही समय पर हो सके।
मधुमेह (Diabetes) के लिए मेडिकल टेस्ट में कुछ अन्य टेस्ट भी शामिल हैं, जिनकी सलाह डॉक्टर आपको दे सकते हैं। लेकिन, इसके लिए वो आपकी स्वास्थ्य स्थिति और अन्य कई कारकों को ध्यान में रखेंगे। इसलिए, डॉक्टर की राय के अनुसार ही टेस्ट और सही उपचार कराएं।
डायबिटीज के हैं मरीज! क्या आप जानते हैं डायबिटीज होने पर आपकी डायट कैसी होनी चाहिए? नीचे दिए इस क्विज को खेलें और जानें अपना स्कोर।