इस पंप का इस्तेमाल करने के दौरान जब आप पानी के संपर्क में आते हैं तब आपको यह मशीन डिसकनेक्ट करनी होती है। या फिर बारिश में, पसीना आने पर, शावर लेने के दौरान, एक्सरसाइज करने के दौरान आपको इस मशीन को बंद करना होता है। कैनुला एक प्रकार के चिपकने वाले पदार्थ से चिपका होता है, यह इलेक्ट्रॉनिक उपकरण होता है। इसमें पानी जाने से यह उखड़ सकता है। ऐसे में उस दौरान आपको मशीन ऑफ करनी पड़ सकती है। जरूरी है कि मशीन को कब ऑन करना है और कब इसे ऑफ करना है इसको लेकर डॉक्टर से चर्चा करनी चाहिए। कई लोग इंसुलिन पंप को लगातार दो घंटों के लिए बंद कर देते हैं।
इंसुलिन पंप में क्या देखना चाहिए (What to look for in an insulin pump)
इंसुलिन पंप का चयन करना इतना आसान नहीं है, क्योंकि यह पंप सीधे आपके स्वास्थ्य से जुड़ा होता है। यह आपके ब्लड शुगर लेवल को मेनटेन करने का काम करता है। पंप ऐसा होना चाहिए जिसे आप आसानी से इस्तेमाल कर सकें।
- लें जानकारी: इंसुलिन पंप को खरीदने को लेकर आप डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं। वहीं वैसे लोगों से भी सलाह ले सकते हैं जो इंसुलिन पंप का इस्तेमाल करते हो, उनसे पूछकर अपनी सुविधा अनुसार पंप का चयन करने से अच्छा होगा।
- कीमत पर करें विचार: इंसुलिन पंप आपकी मदद तो कर सकता है लेकिन पैसों को लेकर आपकी जेब ढीली हो सकती है। यदि आपने इंश्योरेंस लिया है तो एजेंट से बात करें। कुछ इंसुलिन पंप जहां महंगे होते हैं, लेकिन उनमें कम कार्टिजिस, ट्यूबिंग व अन्य उपकरणों की आवश्यकता होती है, यह जल्दी खराब भी नहीं होते। वहीं कुछ पंप सस्ते होते हैं लेकिन उसमें संबंधित उपकरणों को बार बार खरीदना होता है। आप यह सोचकर लें कि इंसुलिन पंप को कम से कम चार से पांच साल तक पहन कर रखना होता है इसलिए उसी हिसाब से खरीदारी भी करनी चाहिए। जो टिकाउ हो उसे खरीदना बेहतर होता है।
- इंसुलिन पंप की खासियत को पढ़ें: इंसुलिन बनाने वाली कंपनी ने प्रोडक्ट के ऊपर दिशा निर्देश लिखे होते हैं, ऐसे में इसका इस्तेमाल करने के पहले जरूरी है कि आप दिए गए दिशा निर्देशों को सही से पढ़ लें। आपको बता दें कि अलग अलग फीचर्स के साथ यह इंसुलिन पंप बाजार में उपलब्ध है, लेकिन तमाम फीचर्स के साथ एक उपकरण बाजार में नहीं है, इसमें उनमें से बेहतर इंसुलिन पंप का ही चुनाव करें।
- डोज : दिनभर में आपको इंसुलिन की कितनी आवश्यकता है उसके अनुसार ही इंसुलिन पंप की खरीदारी करें। जहां कुछ पंप छोटे डोज नहीं देते हैं वहीं कुछ पंप बड़े डोज नहीं देते हैं। इसलिए जरूरी है कि आप अपने डोज संबंधी जरूरतों का ख्याल रखकर ही इंसुलिन पंप की खरीदारी करें। ताकि आप पंप की मदद से आसानी से डोज ले सकें।
- प्रोग्रामिंग : मशीन की प्रोग्रामिंग को भी ध्यान से देखें, डोज को लेकर यह भी काफी अहम होता है। बता दें कि कुछ मशीनें इस हिसाब से प्रोग्राम की गई हैं कि वो 60 से ज्यादा बोलुस डोज नहीं दे पाती हैं। इन तमाम चीजों को ध्यान में रखकर ही इंसुलिन पंप की खरीदारी करें।
- रेज़र्व्वार : एक अच्छा इंसुलिन पंप वही है जिसमें कम से कम तीन दिनों तक रेज़र्व्वार की कैपेसिटी हो। कुछ लोगों को कम इंसुलिन की आवश्यकता पड़ती है इसलिए उन्हें दिन में कम इंसुलिन दिया जाता है, वहीं कुछ लोगों को ज्यादा इंसुलिन की जरूरत होती है उन्हें ज्यादा इंसुलिन देनी पड़ती है। इस जरूरत के हिसाब से भी इंसुलिन पंप लेना चाहिए।
- साउंड का भी है अहम रोल : इंसुलिन पंप में साउंड सिस्टम लगा होता है, जब हमारे रेज़र्व्वार में स्टोर इंसुलिन कम होने लगता है तो यह अलार्म अपने आप बजने लगता है। वहीं जब पाइप का इरेक्शन होता है उस स्थिति में भी यह बजने लगता है। इसलिए आप ऐसी मशीन ही खरीदें जिसका अलार्म आपको अच्छे से सुनाई दे।
- वाटर रेजिस्टेंस : यदि आप बार बार पानी में जाते हैं तो आपके लिए बेहतर यही होगा कि आप वैसे इंसुलिन पंप की खरीदारी करें जो वाटर रेजिस्टेंस हो। वहीं पंप के दिशा निर्देशों को अच्छे से पढ़ें। क्योंकि कई बार ऐसा होता है कि पंप जहां वाटर रेजिस्टेंस होता है वहीं रिमोट कंट्रोल वाटर रेजिस्टेंस नहीं होता है।
इतना ही नहीं पंप के शेप, साइज व अन्य पहलुओं की जांच करने के बाद उसे खरीदना चाहिए। ऐसे मरीजों को वैसे ही इंसुलिन पंप की खरीदारी करनी चाहिए जिसे पहनने में वो किसी प्रकार का संकोच न करें।
इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए डॉक्टरी सलाह लें। हैलो हेल्थ ग्रुप चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार प्रदान नहीं करता है।
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उन्नत तकनीक से लैस इंसुलिन पंप (Insulin pump) मार्केट में हैं मौजूद
मौजूदा समय में मार्केट में कई इंसुलिन पंप ऐसे हैं जो लगातार ब्लड ग्लूकोज की मॉनिटरिंग करते रहते हैं। इसका मतलब यह हुआ कि इंसुलिन पंप का मॉनिटर हमें दिन भर ब्लड शुगर लेवल को दिखाते रहता है। ऐसे में हमें अपनी उंगलियों से खून निकाल चेक करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। साल दर साल इंसुलिन पंप के निर्माता इसे और आधुनिक बनाने के प्रयास में लगे हुए हैं। उदाहरण के तौर पर मेडट्रॉनिक कंपनी ने मिनी मेड 640 जी सिस्टम बनाया है। इस सिस्टम के तहत यह हमारे ब्लड शुगर लेवल की जांच करते रहता है और जब ब्लड शुगर नीचे जाता है तो अपने आप ही इंसुलिन की सप्लाई को रोक देता है।
मौजूदा दौर में शोधकर्ता इससे भी उन्नत इंसुलिन पंप बना रहे हैं ताकि डायबिटीज के मरीजों को सहुलियत हो सके। यह संभव है कि एक दिन ऐसा आएगा जब इंसुलिन पंप आर्टिफिशियल पैनक्रियाज के रूप में काम करेंगे। इसका अर्थ यह हुआ कि इसके बाद जब कोई इंसान इंसुलिन पंप को पहन लेगा तो बिना उसे मेनुअली एडजस्ट किए वो अपने आप ही एडजस्ट हो जाएगा और हमारे शरीर को इंसुलिन की जितनी जरूरत होगी उसकी आपूर्ति करेगा। इंसुलिन पंप डॉक्टरी सलाह के बाद ही लोग लगाते हैं। वहीं यदि कोई अपने मन से इसे लगाता है तो यह गलत है, इसे लगाने को लेकर डॉक्टरी सलाह लें।