यदि आप प्री डायबिटीज को सही से नियंत्रित नहीं कर पाते हैं तो उस स्थिति में आपकी टाइप 2 डायबिटीज की जांच भी की जाती है। इस कंडीशन में आपके कुछ जांच किए जाते हैं जैसे,
- फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट 126 एमजी/डीएल या उससे अधिक
- ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट 200 एमजी/डीएल या दूसरे टेस्ट के बाद इससे भी अधिक
- ए1सी रिजल्ट 6.5% या इससे भी अधिक
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इंसुलिन रेजिस्टेंस का क्या है इलाज और इससे कैसे करें बचाव
यदि कोई व्यक्ति इंसुलिन रेजिस्टेंस और टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित हो जाता है तो उससे बचाव कर सकता है। जाने कैसे व क्या कर इससे बचा जा सकता है, जैसे
- एक्सरसाइज : इस बीमारी से पीड़ित लोगों को बचाव के लिए जरूरी है कि उन्हें अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव करना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि वो रोजाना कम से कम आधा घंटा खुद के सेहत के लिए निकाले, इसके लिए वो चाहे तो तेज वाकिंग कर सकते हैं। ऐसा वो सप्ताह में पांच या उससे ज्यादा दिनों के लिए कर सकते हैं। बावजूद इसके आपकी सेहत ठीक न हुई तो आपको और एक्सरसाइज करने की जरूरत पड़ सकती है।
- अपने वजन को नियंत्रण में रख : यदि आपको नहीं पता है कि आपका वजन कितना होना चाहिए और उसे कितना नियंत्रित करना है तो इसके लिए जरूरी है कि आप डॉक्टरी सलाह लें और फिर उसपर काम करें। वजन को नियंत्रण में करने के लिए आप चाहे तो न्यूट्रिशनिस्ट की भी सलाह लेने के साथ पर्सनल ट्रेनर की मदद भी ले सकते हैं। लेकिन अपनी उम्र व हाइट के हिसाब से वजन को नियंत्रण में रख आप स्वस्थ्य रह सकते हैं।
- हेल्दी डाइट का सेवन कर : हेल्दी डाइट का सेवन कर हम चाहें तो इंसुलिन रेजिस्टेंस और टाइप 2 डायबिटीज की बीमारी को मात दे सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि हम खाने में फ्रूट्स, हरी साक-सब्जियों का सेवन करने के साथ अनाज खाएं, नट्स, बीन्स, मछली, फलियां और प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन करना हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है।इतना ही नहीं खानपान को लेकर डॉक्टर से सलाह ले लेनी चाहिए कि क्या खाएं और क्या न खाएं।
- दवाओं का सेवन कर : इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को डॉक्टर कुछ दवाइयों का सेवन करने का सुझाव दे सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि नियमित तौर पर उन दवाओं का सेवन करते रहें। दवाओं में ओरल हायपोग्लेसिमिक एजेंट मेटाफॉर्मिन (metformin) का सेवन कर ब्लड शुगर के मेनटेन रखा जा सकता है। इसके लिए यह भी जरूरी है कि आप नियमित तौर पर डॉक्टरी सलाह लें और अपने ब्लड शुगर की जांच कराएं।
- स्मोकिंग न कर : यदि आप इस बीमारी से बचाव चाहते हैं तो जरूरी है कि आप स्मोकिंग न करें, वहीं यदि आप स्मोकिंग करते भी हैं तो जितनी जल्दी संभव हो उसे छोड़ दें।
- नींद पूरी लें : कुछ शोध से पता चला है कि वैसे व्यक्ति जो पूरी नींद नहीं लेते हैं उनको इंसुलिन रेजिस्टेंस की बीमारी हो सकती है। इसलिए जरूरी है कि आप पूरी नींद लें।
- तनाव को करें कम : तनाव को कम करने के लिए आप ध्यान और योगासन की मदद ले सकते हैं। परिवार के साथ समय देकर और क्वालिटी टाइम बिताकर आप तनावमुक्त हो सकते हैं।
- ब्लड डोनेट कर : खून में आयरन लेवल की अधिक मात्रा का संबंध इंसुलिन रेजिस्टेंस से जुड़ा होता है। इसलिए पुरुषों को और मासिक के बाद महिलाओं को ब्लड डोनेट करना चाहिए। इससे शरीर में इंसुलिन सेंस्टिविटी में सुधार होता है।
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इंसुलिन रेजिस्टेंस के यह हो सकते हैं दुष्परिणाम
वैसे तो किसी भी बीमारी को हल्के में नहीं लेना चाहिए। ऐसे में जरूरी है कि यदि किसी को इंसुलिन रेजिस्टेंस सिंड्रोम या मेटाबॉलिक सिंड्रोम की बीमारी होती है और उसका सही से इलाज न किया जाए तो उसे कई प्रकार की बीमारी हो सकती है, जैसे-
- गंभीर हाई ब्लड शुगर
- हार्ट अटैक
- स्ट्रोक
- किडनी डिजीज
- आंखों की बीमारी
- कैंसर
- अल्जाइमर डिजीज
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इंसुलिन रेजिस्टेंस कई बीमारियों को दे सकता है दावत, रहें सावधान
इंसुलिन रेजिस्टेंस के कारण कई बीमारियाँ हो सकती है। कई प्रकार की क्रॉनिक बीमारियाँ भी हो सकती है। इसलिए जरूरी है कि आप इस बीमारी से बचाव के लिए या फिर इस हेल्थ कंडीशन से बचाव के लिए शरीर से अतिरिक्त फैट को कम कर हेल्दी खाद्य पदार्थ का सेवन कर और एक्सरसाइज कर इस प्रकार की बीमारी से बचाव कर सकते हैं। वहीं 40 साल से अधिक उम्र के लोगों को नियमित तौर पर डायबिटीज और इंसुलिन से संबंधित ब्लड टेस्ट करवाना चाहिए ताकि समय रहते बीमारी का पता चल सकें और इसके बचाव संबंधी कदम उठाए जा सकें। एक्सपर्ट बताते हैं कि इंसुलिन रेजिस्टेंस को कंट्रोल कर स्वस्थ्य जीवन और लंबे समय तक जीवित रहा जा सकता है। इसलिए जरूरी है कि हेल्दी लाइफ स्टाइल अपनाएं।