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मोटापा और ब्लड प्रेशर के बीच क्या रिश्ता होता है?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Satish singh द्वारा लिखित · अपडेटेड 11/09/2020

    मोटापा और ब्लड प्रेशर के बीच क्या रिश्ता होता है?

    मौजूदा समय में हमारी खराब लाइफस्टाइल के कारण हमारे फास्ट फूड और ऑयली खाना खाने के साथ तनाव और घंटों मोबाइल, लैपटॉप आदि का इस्तेमाल करने से कई बीमारियां हो सकती है। वहीं एक्सरसाइज न करना भी बीमारी होने का बड़ा फैक्टर है। इस खराब लाइफस्टाइल के कारण कई प्रकार की बीमारी हो सकती है। ऐसे में मौजूदा समय में मोटापा और ब्लड प्रेशर संबंधी बीमारी सबसे ज्यादा देखने को मिल रही है। आइए इस आर्टिकल में मोटापा और ब्लड प्रेशर के बारे में जानने के साथ बीमारी होने के कारणों के बारे में जानते हैं। ताकि समय रहते इनसे बचा जा सकें।

    मोटापा और ब्लड प्रेशर जैसी बीमारी का क्या है संबंध?

    मोटापा और ब्लड प्रेशर की बात करें तो वैसे लोग जो मोटापे से ग्रसित हैं उनमें हाई ब्लड प्रेशर होने की संभावना ज्यादा रहती है। लेकिन ऐसा क्यों होता है यह अभी भी शोध  का विषय है, वैज्ञानिक इसके पीछे से कारणों को अभी तक जान नहीं पाए हैं। हाल ही में इंसानों के टिशू और चूहों पर किए गए रिसर्च से इसके बारे में पता करने की कोशिश की गई है।

    मोटापे के कारण ब्लड प्रेशर का रिस्क

    मोटापे के कारण ब्लड प्रेशर की बीमारी होने की सबसे ज्यादा संभावना होती है। शोधकर्ता अभी भी इस बात की तलाश कर रहे हैं कि आखिरकार ऐसा क्यों होता है। बीते दिनों किए रिसर्च से यह पता चला है कि ऐसा एंडोथिलियम (endothelium) के कारण होता है, यह सेल्स हमारे ब्लड वेसल्स में मौजूद होता है।

    वर्जीनिया की यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने इस बात का पता लगाया है कि आखिरकार एंडोथिलियम के कारण कैसे मोटापे के कारण हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी हो सकती है। इसके लिए उन्होंने इंसानों के टिशू के सैंपल के साथ चूहों पर एक्सपेरिमेंट किया। वहीं अपने उस शोध को सर्कुलेशन नामक के जर्नल में प्रकाशित किया है।

    कैल्सियम सिग्नल होते हैं असामान्य

    मोटापा और ब्लड प्रेशर की बात करें तो शोधकर्ताओं ने यह पता लगाया कि शरीर का ब्लड फ्लो, वैसल्स डाइलेट और उसका कॉन्ट्रैक्ट असामान्य होने से परेशानी होती है। ऐसा कैल्शियम सिग्नलिंग के कारण होता है। बता दें कि कैल्शियम आयन सेल्स के साथ कम्युनिकेशन स्थापित करते हैं, वहीं वैसोडायलेशन को सुचारू रूप से काम कराने के लिए वैसल्स को बताता है कि उसे कब डीटायल  करना है। ओबेसिटी के मामले में ब्लड वैसल्स में कैल्शियम सिग्नलिंग इनपेयर्ड या असामान्य हो जाते हैं। इसके कारण वैसोडायलेशन असामान्य होता है और हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी होने की संभावनाएं बनती है।

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    मोटापा और ब्लड प्रेशर में संबंध जानने के लिए इंसानों के सेल्स-चूहों पर किया रिसर्च

    कैल्शियम सिग्नलिंग अनपेयर क्यों होते हैं इसके बारे में अभी तक सही सही जानकारी नहीं मिल पाई है, वहीं शोध जारी है। वहीं ओबेसिटी के कारण हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी क्यों होती है इसके सही सही कारणों के बारे में जानने के लिए रिसर्चर्स ने और तथ्य पता किए। जिसमें इंसानों के टिशू के साथ चूहों के सेलुलर मैकेनिज्म की जांच की, इसमें पता चला कि दोनों ही परिस्तिथियों के कारण मोटापा बढ़ता है।

    शोध से यह भी पता किया कि एक प्रकार का प्रोटीन जिसे टीआरपीवी 4 जो एक प्रकार का जीन है कहा जाता है, यह हमारे एंडोथिलियल सेल्स (endothelial cells) के मेंब्रेन में मौजूद होता है। जो ब्लड प्रेशर को सामान्य रखने के लिए कैल्शियम आयन को सेल्स में आने की इजाजत देता है।

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    ओबेसिटी में प्रोटीन सुचारू रूप से नहीं करता काम

    शोधकर्ताओं ने ओबेसिटी में इस बात का भी पता किया कि प्रोटीन अपना काम सुचारू रूप से नहीं करता है। ऐसा मायोएंडोथिलियल प्रोजेक्शन के केस में होता है, यह एंडोथिलियल सेल्स का व्यापक रूप है। एक्सपर्ट पीएचडी होल्डर स्पनिल सोलकुसारे ने कहा कि सामान्य स्थिति में छोटे मायोएंडोथिलायर प्रोजेशन्स टीआरपीवी 4 सामान्य ब्लड प्रेशर को सुचारू रूप से काम करने में मददगार साबित होते हैं। ऐसे में कैल्शियम के लिए सामान्य रूप से जब यह तमाम चीजें काम नहीं करती हैं तो उस स्थिति को पैथालॉजिकल माइक्रोडोमेन्स (pathological microdomains) कहा जाता है। ऐसे में न केवल ओबेसिटी के लिए बल्कि कार्डियोवेस्कुलर डिस्ऑर्डर के लिए भी पैथालॉजिकल माइक्रोडोमेन्स काफी अहम हो जाती है।

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    इलाज के लिए डॉक्टरी सलाह लेना होगा बेहतर

    एक्सपर्ट बताते हैं कि ओबेसिटी के मामले में एंडोथीलियल सेल्स के सेग्मेंट टीआरपीवी 4 एक्जीबिट को रोक कर रखते हैं, इसके कारण इंजाइम्स में इजाफा होता है, इस वजह से पेरोक्सीनिट्रेट में इजाफा होता है।

    यह एक प्रकार का आयन होता है जो टीआरपीवी 4 को शांत कर देता है, उस कारण एपीथिलियल सेल्स से कैल्शियम का निकलना बंद हो जाता है। यह तमाम प्रक्रिया होने की वजह से सामान्य रूप से ब्लड प्रेशर का रेगुलेशन नहीं हो पाता, वहीं नतीजा यह होता है कि ब्लड प्रेशर ऊपर उठने लगता है। ऐसे में मोटापा और ब्लड प्रेशर के बीच का यह काफी अहम संबंध में से एक है।

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    बचाव के लिए दवा का हो रहा शोध

    इस जानकारी के हिसाब से शोधकर्ता मोटापे के कारण ब्लड प्रेशर संबंधी बीमारी न हो उसके लिए दवा बनाने की तैयारी कर रहे हैं। कई एक्सपर्ट कहते हैं कि टीआरपीवी4 को सीधे एक्टिव कर बीमारी से क्यों नहीं बचा जा सकता, इसपर एक्सपर्ट स्पनिल बताते हैं कि टीआरपीवी4 हमारे टिशू के साथ दिमाग, मसल्स और ब्लडर में मौजूद होता है। यदि इसे एक्टिवेट करने की कोशिश करें तो इन अंगों से संबंधित कोई परेशानी हो सकती है। वहीं उसके साइड इफेक्ट्स भी सामने आ सकते हैं। यदि कंट्रोल ही करना है कि ओबेसिटी से संबंधित मामलों में टीआरपीवी4 को कम करने की कोशिश की जानी चाहिए।

    वहीं इसके दूसरे फेक्ट की बात करें तो यह पेरोक्सीनाइट्रेट और एंजाइम्स को प्रोड्यूस करने में मदद करता है। इस कारण बिना किसी साइड इफेक्ट के कारण ब्लड प्रेशर सामान्य रूप से काम करता है। ऐसे में शोधकर्ताओं ने इस बात को सच साबित कर दिखाया कि ओबेसिटी के कारण ब्लड प्रेशर में इजाफा होता है। अब अगला स्टेप यही है कि इन फेक्टर की पहचान दवा की खोज की जाए। स्वपनिल बताते हैं कि पूर्व में किए शोध से पता चला है कि लार्जर ब्लड वेसल्स हमारे ब्लड प्रेशर को कंट्रोल नहीं कर पाते हैं। इस शोध का पता लगाने के लिए हमने आधुनिक तकनीक की मदद लेकर आर्टरी में मौजूद माइक्रोडोमेंस की जांच की, यह वही है जिससे ब्लड प्रेशर को कंट्रोल किया जाता है।

    मोटापा और ब्लड प्रेशर, दोनों एक दूसरे से किस प्रकार हैं लिंक

    मोटापा और ब्लड प्रेशर के बीच के लिंक की बात करें तो इसे ऐसे आसानी से समझा जा सकता है। हमारी हार्ट बीट पंप होने से ब्लड आर्टरी में होते हुए अन्य अंगों को जाता है, वहीं यह एक प्रकार का फोर्स-प्रेशर लगाता है, वहीं यदि यह प्रेशर यदि काफी ज्यादा है और लंबे समय तक इसकी जांच न की गई तो उस स्थिति में यह हमारे अंग जैसे किडनी और दिमाग को नुकसान पहुंचा सकता है। यदि आप ओवर वेट या फिर मोटापे से ग्रसित हैं तो जरूरी है कि हाई ब्लड प्रेशर से बचने के लिए आपको एक्सरसाइज जैसे विकल्पों की तलाश करनी चाहिए। ताकि बीमारी के रिस्क को कम किया जा सके।

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    मोटापा और ब्लड प्रेशर के तथ्यों के लिए यह जानना है जरूरी

    मोटापा और ब्लड प्रेशर की बात करें तो बता दें कि मोटापा हाइपरटेंशन से जुड़ा हुआ है। वहीं मौजूदा समय में होने वाली बीमारियों में यह सबसे बड़ा है। ओबेसिटी के कारण हाईपरटेंशन की समस्या होने से सिंपेथेटिक नर्वस सिस्टम पर असर पड़ता है, खासतौर से किडनी पर वहीं कुछ मामलों में यह ब्लड प्रेशर को भी बढ़ा सकता है। ओबेसिटी के कारण बीपी बढ़ने से किडनी सही प्रकार से काम नहीं कर पाता है। ऐसे में बीमारी से बचाव के लिए जरूरी है कि अपना बॉडीवेट कम किया जाए, ताकि इसके दुष्परिणामों से बचा जा सके। मॉरबिड ओबेसिटी और इससे जुड़े मेटाबॉलिक डिस्ऑर्डर और हाइपरटेंशन को कम करने के लिए गेस्ट्रोइंटेस्टिनल बाइपास सर्जरी इफेक्टिव हो सकती है। ऐसे में मोटाप और ब्लड प्रेशर से दुष्परिणामों से बचाव के लिए जरूरी है कि अच्छी लाइफस्टाइल को अपनाया जाए और जितना संभव हो रोगमुक्त रहा जाए।

    हाई ब्लड प्रेशर बन सकता है अन्य बीमारियों का काण

    हाई ब्लड प्रेशर के कारण हार्ट संबंधि समस्याएं हो सकती है। अधिक ब्लड प्रेशर के कारण कोरोनरी हार्ट डिजीज होने का खतरा भी बढ़ जाता है। वहीं हाइपरटेंशन के कारण डिमेंशिया की बीमारी भी हो सकती है। यदि व्यक्ति हाई ब्लड प्रेशर का इलाज नहीं कराता है तो ब्रेन हैमरेज भी हो सकता है। ब्रेन में खून के थक्के जम सकते हैं और व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। अगर ब्लड वैसल्स में किसी तरह की दिक्कत आ जाती है तो बॉडी को खतरा अधिक बढ़ सकता है। अगर सीधे तौर पर कहा जाए तो ब्रेन हैमरेज के कारण ब्रेन की नसे फट सकती हैं।

    लाइफस्टाइल में बदलाव के साथ ही अगर रोजाना एक्सरसाइज की जाए तो हाई बीपी की समस्या से बचा जा सकता है। दिनभर पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से और हेल्दी फूड लेने से हाई बीपी की समस्या से राहत मिल सकती है और साथ हाई बीपी के कारण होने वाली समस्याओं से भी राहत मिल सकती है।

    उपरोक्त जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। यदि आपको हाई ब्लड प्रेशर या फिर मोटापे के बारे में अधिक जानकारी चाहिए तो डॉक्टर से परामर्श करें। आप स्वास्थ्य संबंधि अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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