शिशुओं और बच्चों में हाई ब्लड प्रेशर का इलाज
डॉक्टर बिरजदार ने कहा, ‘शिशुओं और बच्चों में हाई ब्लड प्रेशर का पता चलने पर इसका इलाज संभव है। यदि बच्चे की किडनी में सूजन है तो संबंधित डॉक्टर से इसका इलाज कराकर हाई ब्लड प्रेशर को ठीक किया जा सकता है। दूसरी तरफ बच्चे की एऑर्टा सिकुड़ी हुई है तो उसका इलाज ह्रदय रोग विशेषज्ञ करेगा। इसके बाद ही हाई ब्लड प्रेशर की समस्या को रोका जा सकता है।’
घरेलू उपाय के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘शिशुओं और बच्चों में हाई ब्लड प्रेशर एक गंभीर समस्या है। इसका इलाज घर पर नहीं किया जा सकता। हाई ब्लड प्रेशर में बच्चों के दिमाग में ब्लीडिंग होने पर उन्हें स्ट्रोक हो सकता है। इससे एक हाथ या पैर चलाने या मुंह से बोलने में दिक्कत हो सकती है। ब्रेन में इंटरनल ब्लीडिंग का पता क्लीनिकल एग्जामिनेशन से ही लगाया जा सकता है।’
अगर कई दिनों से आपको बच्चों में ऐसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर के पास न जाकर आप खतरे को बढ़ा रहे हैं। अगर बच्चा लगातार रो रहा है या उदास दिखाई दे रहा है तो बिना देर करें डॉक्टर से सलाह लें।
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बच्चों में ब्लड प्रेशर होना आम नहीं है लेकिन नवजात शिशुओं को पीलिया होना काफी आम है। हर 10 में से छह नवजात शिशु पीलिया से पीड़ित होते हैं। आमतौर पर जॉन्डिस (Jaundice) शिशु के जन्म के 24 घंटे बाद नजर आता है। यह तीसरे या चौथे दिन में और बढ़ सकता है। यह आमतौर पर एक सप्ताह तक रहता है।”
हालांकि, जन्म के एक से दो सप्ताह में ही पीलिया खुद-ब-खुद ठीक हो जाता है, लेकिन यदि ऐसा न हो तो समय पर इसका उपचार कराना जरूरी हो जाता है। अब जानते हैं बच्चों में पीलिया होने के कारण
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नवजात शिशुओं को पीलिया क्यों होता है?
नवजात शिशु को पीलिया बिलीरुबिन (Bilirubin) की मात्रा बढ़ने की वजह से होता है। जन्म के समय नवजात शिशुओं के अंग बिलीरुबिन को कम करने के लिए पूरी तरह से विकसित नहीं हुए होते हैं। इस वजह से न्यू बॉर्न बेबी को पीलिया हो जाता है। 20 में से केवल एक ही शिशु को इसके इलाज की जरूरत होती है। ऐसी स्थिति में आमतौर पर बच्चे की त्वचा और आंखों में पीलापन नजर आने लगता है।
हालांकि, ऐसा देखा जाता है कि, ज्यादातर मामलों में, नवजात शिशु को पीलिया अपने आप ही कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि, जन्म के बाद बच्चे के लिवर का विकास होने लगता है और जब बच्चा दूध पीना शुरू करता है तो उसका शरीर बिलीरुबिन से लड़ने में भी सक्षम होने लगता है। ज्यादातर मामलों में, पीलिया दो से तीन सप्ताह के अंदर ठीक हो जाता है। लेकिन, अगर इसकी समस्या 3 सप्ताह से अधिक समय तक बनी रहती है, तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। क्योंकि, अगर बच्चे के शरीर में बिलीरुबिन का लेवल बढ़ने लगेगा तो इसके कारण बच्चे में बहरापन, ब्रेन स्ट्रोक या अन्य शारीरिक समस्याओं का खतरा भी बढ़ सकता है।