यह भी पढ़ें : खून से जुड़ी 25 आश्चर्यजनक बातें जो आप नहीं जानते होंगे
हालांकि, भारत में कॉर्ड ब्लड बैंक अन्य देशों की तरह प्रसिद्ध नहीं है। लेकिन, आने वाले वक्त में भारत में भी इलाज के लिए कॉर्ड ब्लड बैंक एक बेहतर विकल्प इलाज के लिए होगा। अभी-भी कॉर्ड ब्लड बैंक पर रिसर्च जारी है। इससे जुड़े एक्सपर्ट सेरेब्रल पाल्सी, ऑटिज्म, टाइप-1 डायबिटीज जैसी बीमारी को भी ठीक करने पर विचार कर रहें हैं।
कॉर्ड ब्लड बैंक का चयन कैसे करें ?
अगर आप एक सार्वजनिक बैंक को कॉर्ड ब्लड बैंक दान करने का निर्णय लेते हैं, तो अस्पताल या बर्थिंग सेंटर से यह अवश्य पूछें कि क्या यह अस्पताल कॉर्ड ब्लड बैंक के साथ काम करता है। यदि नहीं, तो नेशनल मैरो डोनर प्रोग्राम (marrow.org) में प्रत्येक राज्य में पंजीकृत कॉर्ड ब्लड बैंक की सहायता ले सकते हैं।
कॉर्ड ब्लड बैंक की मदद क्यों लें ?
यदि आपके परिवार में गंभीर बीमारियों का इतिहास रहा है। ऐसी बीमारियों को कॉर्ड ब्लड बैंक की मदद से इलाज किया जा सकता है, तो आप इस विकल्प पर विचार कर सकते हैं। अगर आपके परिवार का कोई इतिहास नहीं है तब भी गर्भनाल ब्लड आपके बच्चे को बीमारी से बचा सकता है। आप अन्य परिवारों की मदद करने के लिए एक सार्वजनिक बैंक को कॉर्ड ब्लड बैंक भी डोनेट कर सकते हैं।
और पढ़ें : ऐसे बच्चे जन्म से ही हो सकते हैं अम्बिलिकल हर्निया का शिकार
ये तो बात हो गई कॉर्ड ब्लड बैंक की अब हम बात करते हैं, जन्म के बाद कॉर्ड के काटने की यानी कि बच्चे के गर्भनाल को काटने की। अमूमन तो डॉक्टर्स गर्भनाल जन्म के तुरंत बाद काट देते हैं, लेकिन अगर उसमें देर होती है तो नवजात के लिए फायदा ही फायदा है।
क्या है डिलेड कॉर्ड क्लैम्पिंग (देरी से गर्भनाल काटना)?