गर्भावस्था की तीसरी तिमाही या आखिरी महीनों में गर्भस्थ शिशु का विकास लगभग हो चुका होता है। मां और शिशु दोनों को ही इस वक्त विकास के लिए पौष्टिक आहार की जरूरत होती है। प्रग्नेंट महिलाओं को तीसरी तिमाही में खाने के दौरान कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। आपको ये बात ध्यान में रखनी चाहिए कि तीसरी तिमाही में बच्चे के फेफड़े, मस्तिष्क और अन्य अंगों का विकास होने लगता है। मां को भी एनर्जी के लिए हेल्दी फूड की ओर ध्यान देना चाहिए। इस आर्टिकल के माध्यम से जानिए कि तीसरी तिमाही की डायट आखिर क्या होनी चाहिए ।
प्रेग्नेंसी के दौरान फाइबर फूड का साथ नहीं छोड़ना चाहिए। आपको फ्रेश सब्जियां, अनाज, फ्रूट्स और रेशे युक्त पदार्थों को अपने खाने में शामिल करना चाहिए। आप चाहें तो हफ्ते के दिनों को बांट कर अपने पसंदीदा आहार को शामिल कर सकती हैं।
तीसरी तिमाही की डायट के लिए कैल्शियम
बच्चे का विकास तीसरी तिमाही के दौरान लगभग हो चुका होता है। इस दौरान बच्चे का शरीर बढ़ रहा होता है। हड्डियों के विकास के लिए कैल्शियम युक्त पदार्थ लेना बहुत जरूरी है। आप खाने में संतरा, बैरीज, कीवी, आंवला, तिल, दूध, जीरा, रागी आदि को शामिल कर सकती हैं। डायट में कैल्शियम एड करना भी जरूरी है। कैल्शियम की उच्च मात्रा बादाम में पाई जाती है। इसमें प्रोटीन भी भरपूर मात्रा में होता है । बादाम खाने से याद्दाश्त भी अच्छी होती है। कैल्शियम के लिए खाने में योगर्ट शामिल किया जाना चाहिए। योगर्ट में कैल्शियम रिच होता है। जिन महिलाओं को दूध पसंद नहीं है वो योगर्ट को ऑप्शन के तौर पर अपना सकती हैं।
तीसरी तिमाही में महिलाओं में खून की कमी भी बड़ी समस्या के रूप में सामने आती है। आपको इस समस्या का सामना न करना पड़े, इसलिए खाने में आयरन के प्रमुख स्त्रोत वाले फूड लाल भाजी, पालक, ब्रोकली, मटर, अंडे, आलूबुखारा, बीटरूट आदि को खाने में शामिल करें। आप ये सभी चीजें हफ्ते के सात दिनों में बांट कर अपनी डायट में शामिल कर सकती हैं। स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं को बनाने के लिए आयरन आवश्यक होता है। ये आपके शरीर के चारों ओर ऑक्सिजन ले जाने का काम करता है। पर्याप्त आयरन न होने से आपको थका हुआ महसूस हो सकता है। आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया भारत में आम है इसलिए यह पोषक तत्व पूरे गर्भावस्था में महत्वपूर्ण है।
अगर आपको पहले से किसी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या है तो प्रग्नेंसी डायट प्लान करते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें कि आपको किसी चीज से एलर्जी तो नहीं है। अगर आपको डायबिटीज की समस्या है तो आपको पहले से निश्चित करना होगा कि कौन सा फूड अवॉयड करना है। हाइड्रेटेड रहने के लिए दिन में करीब आठ से 12 गिलास पानी जरूर पिएं।
तीसरी तिमाही की डायट में विटामिन ए रिच फूड करें शामिल
आपने सुना होगा कि आंखों के लिए विटामिन ए बहुत जरूरी होता है। तीसरी तिमाही में बच्चे का विकास लगभग हो चुका है उसकी आंखों की अच्छी सेहत के लिए आपको खाने में विटामिन ए से भरपूर फूड को खाने में शामिल करना चाहिए। आप गाजर, पीली या नारंगी सब्जियां, अंडा, दूध,पालक, स्वीट पोटेटो, पपीता, दही, सोयाबीन और दूसरी पत्तेदार सब्जियों को खाने में शामिल करें। इससे आपको उचित मात्रा में विटामिन ए मिलेगा। साथ ही विटामिन ए इम्यून सिस्टम के काम को बेहतर बनाने और हार्ट,फेफड़े, किडनी के साथ ही शरीर के दूसरे आवश्यक अंगों के कार्यों को भी सामान्य रखने के लिए जरूरी होता है।
तीसरी तिमाही के दौरान आपके शरीर का वजन बढ़ा हुआ होता है। साथ ही तीसरी तिमाही पास आने पर डिलिवरी का समय भी आ चुका होता है। डिलिवरी के समय ब्लीडिंग भी होती है। इस दौरान रक्त का थक्का जमना भी जरूरी होता है। आपको अपने खाने में विटामिन K युक्त फूड को जरूर शामिल करना चाहिए।
तीसरी तिमाही में फूड सलेक्ट करते समय एक बार अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर कर लें। हर किसी के शरीर की जरूरत अलग हो सकती है। आपका डॉक्टर शरीर की जरूरत के हिसाब से आपको फूड सलेक्ट करने में मदद कर सकता है, फिर भी आप खाने के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखें जैसे खाने में होना चाहिए।
अगर आपको तीसरी तिमाही की डायट के बारे में अधिक जानकारी चाहिए तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर आपको उचित सलाह देगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।
गर्भावस्था में वजन बढ़ना
यह टूल विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए तैयार किया गया है, जो यह जानना चाहती हैं कि गर्भावस्था के दौरान उनका स्वस्थ रूप से कितना वजन बढ़ना चाहिए, साथ ही उनके वजन के अनुरूप प्रेग्नेंसी के दौरान कितना वजन होना उचित है।
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