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भारत में टिंडा पसंद करने वालों की तादाद काफी कम है, जिसके पीछे इसके स्वाद को वजह माना जा सकता है। लेकिन, इस वजह से इससे दूरी बनाना अच्छा विचार नहीं है, क्योंकि पोषण के मामले में यह काफी प्रभावशाली साबित होता है। त्वचा, पाचन तंत्र और बालों के लिए टिंडा के फायदे हो सकते हैं, इसमें प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, विटामिन ए, विटामिन सी, आयरन, मैंगनीज आदि उच्च मात्रा में होते हैं। इसका वैज्ञानिक नाम PRAECITRULLUS FISTULOSUS है, जो कि Cucurbitaceae फैमिली से संबंध रखता है। इसका सेवन भारत में सब्जी, अचार और कैंडी के रूप में किया जाता है और इसके एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीएजिंग और अल्कालाइन गुण की वजह से इसे आयुर्वेद में औषधीय माना जाता है। इसलिए टिंडा के फायदे होते हैं।
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टिंडा का उपयोग इन समस्याओं या स्थितियों के दौरान किया जा सकता है, जैसे-
टिंडे में फाइबर उच्च मात्रा में होता है, जो हमारे पेट और पाचन तंत्र के लिए काफी लाभदायक होता है। टिंडे का सेवन करने से शरीर को फाइबर मिलता है, जो कि कब्ज, पेट फूलना, मरोड़ आदि समस्याओं से राहत दिलाता है। इसके अलावा, यह गट की समस्याओं को दूर करके मल त्यागने की प्रक्रिया को आसान बनाता है और टिंडा के फायदे मिलता है।
टिंडे में कोलेस्ट्रॉल न के बराबर होता है, जिस कारण यह दिल के स्वास्थ्य के लिए काफी स्वास्थ्यवर्धक आहार है। यह शरीर में रक्त प्रवाह को सुधारने में मदद करता है और दिल के रोगियों के लिए काफी सुरक्षित रहता है।
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यह किडनी की कार्यक्षमता को बढ़ाने में मदद करता है और एक्सक्रेटरी सिस्टम के द्वारा वेस्ट मेटेरियल के निकलने की सामान्य प्रक्रिया को बढ़ाता है। जिस कारण किडनी के साथ-साथ पूरे शरीर से विषाक्त पदार्थ आसानी से बाहर निकल जाते हैं। इसके अलावा, शरीर डिटॉक्स होने के कारण शरीर के आंतरिक अंग हाइड्रेट रहते हैं और उनका स्वास्थ्य सही रहता है। टिंडा खाने से किडनी के साथ-साथ ब्लैडर भी स्वस्थ रहता है।
टिंडे में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-एजिंग गुण होते हैं, जो फेफड़ों में उम्र बढ़ने या अन्य कारणों से होने वाली सूजन की वजह से आने वाली सांस लेने में तकलीफ को दूर करने में मदद करते हैं। इस कारण फेफड़ों की कार्यक्षमता सही रहती है और रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट स्वस्थ रहता है।
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टिंडा खाने से वजन घटाने में भी मदद मिलती है। इसमें प्रचुर मात्रा में पोषक तत्व होते हैं, जो कि स्वस्थ डायट के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। खासतौर से, यह मधुमेह के रोगियों की डायट में शामिल करना चाहिए। इसमें मौजूद फाइबर पेट को देर तक भरा रखता है, जिससे अपौष्टिक खानपान की आशंका कम हो जाती है और फैट जल्द ही बर्न होता है।
कीटो डायट में बिना किसी परेशानी के टिंडा खाया जा सकता है, क्योंकि कीटो डायट में नॉन-स्टार्ची वेजिटेबल को नियमित रूप से शामिल किया जाता है। टिंडे में शुगर और कार्बोहाइडेट्र की मात्रा प्राकृतिक रूप से ही कम होती है। इसका कीटो डायट के रूप में सेवन करने के लिए सिर्फ आपको इसको उबालकर इसमें स्वादानुसार नमक और मिर्च डालकर सेवन करना होता है।
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इन ऊपर बताई गई पौष्टिक तत्वों की मौजूदगी टिंडा के फायदे का कारण माना जाता है।
टिंडे का सेवन काफी हद तक सुरक्षित है, लेकिन अगर आप किसी क्रॉनिक डिजीज, धूल या खाद्य पदार्थ से होने वाली एलर्जी का सामना कर रहे हैं या फिर आप गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिला हैं, तो सुरक्षा के लिहाज से इसका सेवन करने से पहले हर्ब लिस्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।
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टिंडा खाने से होने वाले साइड इफेक्ट्स के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं है। लेकिन, हर्बल सप्लीमेंट या जड़ी-बूटी हमेशा सुरक्षित नहीं होते हैं। इसलिए किसी भी चीज का सेवन करने से पहले डॉक्टर या हर्बलिस्ट से परामर्श जरूर कर लें। वह आपकी मेडिकल हिस्ट्री व स्वास्थ्य का अध्ययन करके आपको बेहतर जानकारी दे सकता है।
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टिंडा भारत में एक सब्जी के रूप में खाया जाता है, लेकिन दवा के रूप में इसकी खुराक हर किसी के लिए अलग-अलग हो सकती है। जो कि, आपके लिंग, उम्र, स्वास्थ्य व अन्य कारणों पर निर्भर करता है। अत्यधिक मात्रा में सेवन करने पर आपको इससे कुछ स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए, सुरक्षा की दृष्टि से डॉक्टर या हर्बलिस्ट से संपर्क जरूर करें।
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टिंडा निम्नलिखित रूपों में उपलब्ध है। जैसे-
रॉ टिंडा
सब्जी
टिंडा एक्सट्रैक्ट, आदि
अगर आपके मन में टिंडे के सेवन या इस्तेमाल आदि से जुड़ा कोई प्रश्न या शंका है, तो बेहतर होगा कि किसी डॉक्टर या हर्बलिस्ट की मदद लें। हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
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Fruit Rot of Tinda Caused by Pseudomonas aeruginosa-A New Report From India – https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/30731884/ – Accessed on 1/6/2020
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