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स्पर्म काउंट में कमी किस तरह फर्टिलिटी को करता है प्रभावित?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 17/09/2020

स्पर्म काउंट में कमी किस तरह फर्टिलिटी को करता है प्रभावित?

स्पर्म काउंट से मतलब पुरुषों के वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या से है। स्पर्म काउंट में कमी का सीधा संबंध प्रजनन क्षमता पर पड़ता है। अगर आप आसानी से कंसीव करना चाहती हैं तो हेल्दी स्पर्म काउंट की बेहद जरूरी होता है। प्रेग्नेंट होने के लिए एक स्पर्म और एक एग की जरूरत पड़ती है। हेल्दी स्पर्म प्रत्येक महीने महिला के प्रग्नेंट होने के चांसेज को बढ़ा देता है। अगर ओवरऑल हेल्थ की बात करें, तो अगर शरीर स्वस्थ है तो ये संभावना बढ़ जाती है कि आपका स्पर्म काउंट सही होगा। स्पर्म काउंट में कमी से प्रजनन क्षमता पर असर पड़ने के साथ ही कई बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है।

नॉर्मल स्पर्म काउंट किताना होता है ?

अगर सामान्य सपर्म काउंट की बात करें तो प्रति मिलीलीटर सीमन में 15 मिलियन स्पर्म से 200 मिलियन से अधिक स्पर्म पाए जाते हैं। इजैकुलेशन (ejaculation) के समय यदि 39 मिलियन स्पर्म अंदर गए हैं तो इस संख्या को कम माना जाएगा। कम स्पर्म की संख्या को ओलिगोस्पर्मिया कहा जाता है।

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स्पर्म काउंट क्यों मायने रखता है ?

स्टडी में ये बात सामने आई है कि स्पर्म काउंट में कमी वाले व्यक्ति मोटापे का शिकार जल्द हो जाते हैं। साथ ही ऐसे व्यक्तियों को हाई ब्लड प्रेशर (blood pressure) की समस्या भी हो सकती है। स्पर्म काउंट में कमी से कुछ बीमारियां होने की संभावना बढ़ जाती है। जैसे हाई फ्रीक्वेंसी मेटाबॉलिक सिंड्रोम, डायबिटीज और हार्ट से संबंधित समस्याएं। टेस्ट के बाद अगर स्पर्म काउंट कम निकलता है तो डॉक्टर टेस्टोस्टेरॉन लेवल, लाइफस्टाइल और ओवरऑल हेल्थ की जांच की सलाह दे सकता है।

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स्पर्म काउंट में कमी फर्टिलिटी को कैसे प्रभावित करती है ?

स्पर्म काउंट प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकता है क्योंकि आपके पार्टनर के प्रेग्नेंट होने की संभावना स्पर्म काउंट में कमी के साथ कम हो जाती है। स्पर्म क्वालिटि में कमी भी प्रग्नेंट होने की संभावना को प्रभावित करती है। पुरुषों के साथ ही कई बार इनफर्टिलिटी का कारण महिलाएं भी हो सकती हैं। कुछ फैक्टर जैसे,

इनफर्टिलिटी कंसर्न न होने पर छह महीने से एक साल में प्रग्नेंट हुआ जा सकता है। अगर आपका साथी 35 साल का है और आप लोग छह महीने से गर्भधारण की कोशिश कर रहे हैं और सफलता नहीं मिल रही है तो कृपया अपने चिकित्सक से संपर्क करें।

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क्या लो स्पर्म काउंट के लिए कोई ट्रीटमेंट है ?

स्पर्म काउंट कम होने के कई कारण हो सकते हैं जिनमें शामिल हैं

डॉक्टर स्पर्म काउंट चेक करके कुछ ट्रीटमेंट दे सकते हैं जैसे,

सर्जरी -अगर आपको वैरिकोसेले या बाधित वास डेफेरेंस है तो सर्जिकल करेक्शन या रिपेयर किया जा सकता है।

एंटीबायोटिक्स –  अगर जीवाणु संक्रमण आपके शुक्राणुओं की संख्या या प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर रहा है, तो आपका डॉक्टर एंटीबायोटिक्स लिख सकता है।

मेडिसिन या परामर्श– सेक्शुअल इंटरकोर्स के दौरान दिक्कत जैसे प्रीमैच्योर इजैकुलेशन या इरेक्टाइल डिसफंक्शन ( Erectile dysfunction) का इलाज किया जा सकता है।

हॉर्मोन ट्रीटमेंट और मेडिसिन – हाॅर्मोन के कम या ज्यादा होने पर भी असर पड़ता है। डॉक्टर हाॅर्मोन ट्रीटमेंट की सहायता से आपकी समस्या को दूर कर सकता है।

स्पर्म काउंट में कमी को ठीक करने के लिए डॉक्टर तो उपाय करते ही हैं, साथ ही कुछ सुधार आप भी कर सकते हैं। रोजमर्रा के जीवन में कुछ बातों का ध्यान रखा जाएं तो स्पर्म काउंट की कमी को सही किया जा सकता है।

  • वजन कम करके
  • विटामिन की कमी को पूरा करके
  • पूरक आहार लेकर
  • लूज और कॉटन बॉक्सर पहनकर
  • तनाव से दूर रहें। हमेशा तनाव में रहने से शुक्राणुओं की संख्या व उनकी गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
  • पर्याप्त नींद लेकर
  • एल्कोहॉल और धूम्रपान का सेवन करने से बचें।
  • लैपटॉप को थाइस पर रखकर काम न करें।
  • मोबाइल को हमेशा अपनी पैंट के पॉकेट में न रखें।

स्पर्म काउंट में कमी को दूर करेंगे ये घरेलू उपाय

स्पर्म काउंट को बढ़ाने के लिए डॉक्टर द्वारा निर्देशित दवाओं के साथ ही होम रेमेडीज भी अपनाई जा सकती हैं। जैसे-

अश्वगंधा

एक रिसर्च के अनुसार पाया गया कि अश्वगंधा की जड़ का इस्तेमाल स्पर्म काउंट में कमी को दूर करने में किया जाता है। इसके इस्तेमाल से शुक्राणुओं के साथ-साथ उनकी गतिशीलता को भी बढ़ाने में मदद मिलती है। इसके लिए एक गिलास दूध में आधा चम्मच अश्वगंधा पाउडर मिलकार पीना चाहिए। इसकी खुराक के लिए डॉक्टर से सलाह लें।

पालक

स्पर्म काउंट में कमी को दूर करने के लिए फॉलिक एसिड जरूरी होता है। पालक और अन्य हरी सब्जियों में फॉलिक एसिड (folic acid) भरपूर मात्रा में मौजूद होने के कारण यह बॉडी के लिए लाभदायक माना जाता है।

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लहसुन

लहसुन कामोत्तेजना को बढ़ाने के लिए एक नेचुरल रेमेडी है। इसमें मौजूद एल्लीसिन नामक यौगिक शुक्राणु के उत्पादन को बढ़ावा देने के साथ ब्लड सर्कुलेशन को भी सुधारता है। नियमित डायट में एक या दो लहसुन की फांके जरूर लें।

अखरोट

2012 में हुई एक रिसर्च से पता चलता है कि अखरोट के सेवन से स्पर्म काउंट सुधरने के साथ ही क्वालिटी में भी सुधार आता है। रिसर्च में 21 से 35 वर्ष की उम्र के 117 पुरुषों को करीबन 12 सप्ताह के लिए अखरोट खाने को कहा गया। कुछ समय बाद शोधकर्ताओं ने स्टडी से पहले और बाद में शुक्राणु की संख्या का विश्लेषण किया। स्टडी में पाया गया कि 117 पुरुषों में से जिन्होंने अखरोट का उपयोग किया था, उनके स्पर्म काउंट में महत्वपूर्ण सुधार हुआ।

स्वस्थ स्पर्म के लिए अंडे

प्रोटीन और विटामिन ई से भरपूर अंडे हेल्दी स्पर्म के लिए जिमीदार होते हैं। इतना ही नहीं, यह स्पर्म काउंट को बढ़ाने के साथ-साथ फर्टिलिटी की क्षमता को भी बढ़ाते हैं।

इस आर्टिकल में स्पर्म काउंट में कमी के उपाय बताए गए हैं जिनको आप डॉक्टर के परामर्श से अपना सकते हैं। आशा करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा। आपको यह लेख कैसा लगा? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। साथ ही अगर आपका इस विषय से संबंधित कोई भी सवाल या सुझाव है तो वो भी हमारे साथ शेयर करें।

डिस्क्लेमर

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Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 17/09/2020

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