पीलिया के उपचार के निम्न विधियां अपनाई जा सकती हैंः
फोटोथेरेपी (Photo Therapy)
फोटोथेरेपी या लाइट थेरेपी एक सामान्य और अत्यधिक प्रभावी तरीका है जिसमें बच्चे के शरीर में बिलीरुबिन को कम करने के लिए ब्लू-ग्रीन स्पेक्ट्रम लाइट का उपयोग किया जाता है। इसमें शिशु को प्रकाश के नीचे एक बिस्तर पर रखा जाता है। शिशु के नीचे एक फाइबर-ऑप्टिक कंबल भी रखा जा सकता है। इस दौरान शिशु की आंखों को सुरक्षित रखने के लिए पट्टी या चश्में लगा दिए जाते हैं। वहीं उसके प्राइवेट पार्ट को भी कवर कर दिया जाता है। इस दौरान, बच्चे को हाइड्रेट रखना जरूरी है और ब्रेस्टफीडिंग इसका बेहतरीन जरिया माना जाता है।
इम्यूनोग्लोबुलीन इंजेक्शन (Immunoglobulin Injection)
नवजात शिशु और मां का ब्लड ग्रुप अलग-अलग होने की वजह से शिशु को पीलिया हो सकता है। यह इंजेक्शन न्यू बॉर्न बेबी के शरीर में एंटीबॉडीज के स्तर को कम करता है, जिससे पीलिया कम होने लगता है।
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शिशु का ब्लड बदलना
यह तरीका तब अपनाया जाता है, जब अन्य कोई ट्रीटमेंट काम नहीं आता है। इस प्रक्रिया में बार-बार डोनर के ब्लड के साथ शिशु का रक्त बदला जाता है। यह तब तक किया जाता है, जब तक पूरे शरीर से बिलीरुबिन की लेवल कम नहीं हो जाता है।
लिक्विड
डिहाइड्रेशन की वजह से बिलीरुबिन का स्तर बढ़ सकता है। इसलिए नवजात शिशु को पीलिया होने पर उसे ज्यादा से ज्यादा स्तनपान कराएं।
शिशुओं में पीलिया होना आम है, जो एक सप्ताह के अंदर ही ठीक हो जाता है। अगर यह दो से तीन सप्ताह के बाद भी ठीक न हो और शिशु की पॉट्टी का रंग असामान्य (हल्का भूरा) हो, तो डॉक्टर से सलाह लें।
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न्यूबॉर्न जॉन्डिस (शिशु के पीलिया) को कैसे रोका जा सकता है?