हेरेडिट्री हीमोलिटिक एनीमिया का निदान कैसे किया जाता है? (Diagnosis of Hereditary Haemolytic Anaemia)
हेरेडिट्री हीमोलिटिक एनीमिया का उपचार के लिए क्या किया जा सकता है, जानें-
स्फेरोसाइटोसिस और इलिप्टोसाइटोसिस के उपचार
वंशानुगत स्फेरोसाइटोसिस और इलिप्टोसाइटोसिस का पता हीमोलाइसिस के आधार पर लगाया जाता है। अगर आप में एनीमिया या रिटेक्यूलोसिस के लक्षण सामने आते हैं तो ब्लड टेस्ट कराया जाता है, जिसमें ब्लड में मौजूद रेड ब्लड सेल्स (RBC) की जांच की जाती है। जिसमें मीन कॉर्पसक्यूलर हीमोग्लोबिन कॉन्संट्रेशन बढ़ जाता है और रेड ब्लड सेल्स सिगार के आकार का हो जाता है। वहीं, 60 प्रतिशत मामलों में इलिप्टोसाइटोसिस में जेनेटिकल टेस्ट के द्वारा आनुवंशिक कारणों के आधार पर समस्या का पता लगाया जाता है।
अगर इलिप्टोसाइटोसिस या स्फेरोसाइटोसिस का संदेह डॉक्टर को होता है तो निम्न टेस्ट कराने के लिए कहते हैं :
- आरबीसी ऑस्मॉटिक फ्रैजिलिटी टेस्ट (rbc osmotic fragility test)
- आरबीसी ऑटोहीमोलाइसिस टेस्ट (rbc autohemolysis test)
- डायरेक्ट एंटीग्लोब्यूलिन टेस्ट (rbc antiglobuline test)
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जी6पीडी डीफिसिएंसी (G6PD deficiency) का उपचार
जी6पीडी डिफिसिएंसी का पता लगाने के लिए डॉक्टर ब्लड टेस्ट का सहारा लेते हैं। इसके जरिए खून में जी6पीडी एंजाइम की मात्रा का पता लगाया जाता है। डॉक्टर कंप्लीट ब्लड काउंट (CBC), सीरम हीमोग्लोबिन टेस्ट और रेटिक्यूलोसाइट कॉउंट आदि टेस्ट कराते हैं। इन सभी टेस्ट के साथ जी6पीडी डिफिसिएंसी के साथ हिमोलिटिक एनीमिया के बारे में भी पता चल जाता है। वहीं, टेस्ट कराने जाने से पहले आप डॉक्टर से खाना-पीना और दवाओं आदि के बारे में निर्देश जरूर ले लें।
हेरेडिट्री हीमोलिटिक एनीमिया का इलाज कैसे होता है? (Treatment for G6PD)
हेरेडिट्री हीमोलिटिक एनीमिया के इलाज के लिए टीकाकरण किया जाता है। जिसके बाद सर्जरी किया जाता है और इलिप्टोसाइटोसिस का एक खास इलाज है। लेकिन, ये सभी के साथ नहीं किया जाता है। बल्कि जरूरत के आधार पर स्प्लेनेक्टोमी किया जाता है। स्प्लेनेक्टोमी के दौरान अगर आपको पित्ताशय में स्टोन की समस्या है तो उसे भी ठीक कर दिया जाता है। लेकिन स्प्लेनेक्टोमी के बाद भी स्फेरोसाइटोसिस की शिकायत ठीक नहीं होती है। वहीं एनीमिया और रेटिकुलोसाइटोसिस में कमी आती है।
जी6पीडी डीफिसिएंसी (G6PD deficiency) का उपचार