शुष्कर्षा (Shushkarsha) : इस तरह के बवासीर में आमतौर पर खून नहीं निकलता है, उसे शुष्कर्षा के रूप में जाना जाता है। इस प्रकार के पाइल्स में वायु और कफ की अधिकता होती है।
श्रवी अर्श (Raktarsha) : श्रावी अर्श पित्त है जो पित्त और रक्त की अधिकता के कारण होता है। इस स्थिति में रोगी में स्टूल के साथ अचानक लाल रक्त का प्रवाह होता है। कभी-कभी यह एनीमिया (Anemia) जैसी जटिलताओं का कारण बन सकता है।
ये हैं पाईल्स के लक्षण, जिन्हें समझना बेहद जरूरी है। क्योंकि लक्षणों को समझकर ही बवासीर का आयुर्वेदिक इलाज जल्द से जल्द किया जा सकता है।
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कारण
बवासीर के कारण क्या हैं? (Cause of Piles)
निचले मलाशय में बढ़ते दबाव के कारण पाइल्स होता है। एनस और रेक्टम में मौजूद रक्त वाहिकाओं में दबाव की वजह से पैदा हुआ खिंचाव बवासीर का कारण बन सकती हैं। इसकी वजह हो सकती है:
पाइल्स की वजह जेनेटिक भी हो सकती है और उम्र के साथ बढ़ जाती है।
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आयुर्वेदिक इलाज
बवासीर का आयुर्वेदिक इलाज क्या है? (Ayurvedic treatment for piles)
बवासीर का आयुर्वेदिक उपचार कई तरीकों से किया जाता है। जैसे-
बवासीर का आयुर्वेदिक इलाज : थेरिपी
अभ्यंग
बवासीर के आयुर्वेदिक इलाज में इस आयुर्वेदिक थेरेपी के अंतर्गत औषधीय तेल से शरीर का उपचार किया जाता है। इसमें बवासीर का कारण बने वात को बैलेंस किया जाता है।
सिट्ज बाथ
सिट्ज बाथ से बवासीर के लक्षण जैसे-दर्द, खुजली और अन्य गुदा से संबंधित लक्षणों में राहत मिलती है। ये गुदा और जननांग के हिस्से को साफ करता है और आराम देता है और इस हिस्से में रक्त प्रवाह को बढ़ाता है। इस आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट में 10 से 20 मिनट का समय लगता है।
बस्ती
इस आयुर्वेदिक थेरिपी में हर्बल सस्पेंशन को एनस के जरिए डाला जाता है। यह आयुर्वेदिक थेरिपी बवासीर के इलाज में बेहद प्रभावी है। बवासीर का यह आयुर्वेदिक उपचार हर उम्र के व्यक्ति के लिए सेफ है।
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बवासीर का आयुर्वेदिक इलाज : जड़ी बूटी
हरीद्रा
हल्दी में एंटी-बैक्टीरियल, एन्थेलमिंटिक (Anthelmintic), घाव को भरने वाले गुण होते हैं। बवासीर के आयुर्वेदिक इलाज के रूप में हल्दी को काढ़े या दूध में मिलाकर ले सकते हैं।
बिल्व चूर्ण
बेल फल के गुदे का सूखा चूर्ण 1 से 2 ग्राम और सूखी अदरक एक ग्राम को 50 मिलीलीटर पानी के साथ दिन में दो बार लेना चाहिए।
हरीतकी
पाचन तंत्र के विकारों के आयुर्वेदिक उपचार में हरीतकी का इस्तेमाल किया जाता है। कब्ज और दस्त के इलाज में डाइजेशन में सुधार करने के लिए इसका उपयोग किया जाता है। खूनी और ब्लीडिंग फ्री पाइल्स के इलाज में भी मदद करती है।