जब बच्चे का लिवर पर्याप्त पित्त का उत्पादन नहीं कर पाता है तो उसकी पॉटी का रंग सफेद हो जाता है। पित्त पाचन में मदद करता है। इससे शिशुओं में कब्ज की समस्या हो सकती है, जो आगे चलकर गंभीर बीमारी बन सकती है। अपने बाल रोग विशेषज्ञ से सलाह लें क्योंकि सफेद रंग का मल पित्त की बीमारी का एक संकेत हो सकता है। यह स्थिति शिशुओं में शायद ही कभी देखी जाती है। ज्यादातर बच्चे हल्के पीले, मस्टर्ड कलर या हल्के भूरे रंग के मल का त्याग करते हैं।
बेबी पूप कलर (Baby poop color) से जुड़ी अन्य बातें
शिशुओं के पॉटी का रंग बदलने के लिए पर्यावरण, भोजन का सेवन, उम्र आदि जिम्मेदार हो सकता है। बच्चे के स्वास्थ्य में उतार-चढ़ाव होने पर भी उसके पॉटी का रंग बदल सकता है। इसलिए, मल के रंग की पहचान बच्चे के स्वास्थ्य पर नजर रखने का सबसे अच्छा और आसान तरीका है। हालांकि, इस विषय में सटीक जानकारी के लिए आपको डॉक्टर की राय भी लेनी चाहिए, ताकि समय रहते बच्चे की समस्या का पता लगा कर उसका इलाज कुया जा सके।
बच्चे के पॉटी की बनावट कैसी होती है?
जैसा कि पहले ही बता दिया गया है कि बच्चे और मां के खानपान से बेबी पूप कलर (Baby poop color) और बनावट पर असर पड़ता है, लेकिन बच्चा जब स्तनपान करता है, तब बेबी पूप कलर अलग होता है और जब ठोस पदार्थ का सेवन करता है,तो शिशुओं की पॉटी का रंग अलग होता है। आइए जानते हैं कि ब्रेस्ट मिल्क, फॉर्मूला मिल्क और ठोस खाद्य पदार्थों का क्या असर होता है?
नवजात शिशु के पॉटी की बनावट
नवजात शिशु की पॉटी गाढ़ी, टार जैसी होती है। ऐसा होना सामान्य है, बेबी पूप कलर का काला टार जैसा होना और उसकी बनावट दो-तीन दिनों में ठीक हो जाती है। अगर इससे ज्यादा वक्त तक बच्चे के पॉटी की बनावट ऐसी हो तो आपको डॉक्टर से बात करनी चाहिए, क्योंकि बच्चे का मल लगभग तीन दिनों के बाद ही पीले रंग में बदल जाता है। इसके अलावा बच्चे के पॉटी का रंग नहीं बदलने के पीछे एक कारण यह भी हो सकता है कि उसे सही मात्रा में दूध नहीं मिल रहा है। बच्चे को पर्याप्त मात्रा में दूध ना मिलने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे- मां को ज्यादा दूध ना होना या बच्चा सही से मां के स्तनों को लैच नहीं कर पा रहा है। इस स्थिति में आपको डॉक्टर की मदद लेनी चाहिए।
स्तनपान करने वाले शिशु के पॉटी की बनावट
सिर्फ स्तनपान करने वाले शिशु के पॉटी की बनावट पतली या बीज जैसी होती है। ऐसा होना सामान्य बात हैं, इसका मतलब ये बिल्कुल भी नहीं है कि बच्चे को डायरिया है।
फॉर्मूला मिल्क का सेवन करने वाले शिशु के पॉटी की बनावट
अगर आप अभी अपने बच्चे को फॉर्मूला दूध दे रही हैं। ऐसे में आपके बच्चे का पूप कलर स्तनपान के दौरान के बेबी पूप कलर से अलग ही दिखता है। आपके बेबी के पूप की बनावट में बदलाव दिखेगा अब उसका मल थोड़ा पेस्ट की कंसिटेंसी का हो चुका होगा। ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि बच्चे मां के दूध की तरह फॉर्मूला मिल्क को पूरी तरह पचा नहीं पाते हैं। फॉर्मूला मिल्क का सेवन करने वाले शिशुओं के पॉटी का रंग हल्के पीला या पीला-भूरा रंग का हो सकता है।
सॉलिड फूड का सेवन करने वाले शिशु के पॉटी की बनावट
बच्चों को जब सॉलिड फूड पर शिफ्ट किया जाता है, तो इस समय बेबी पूप कलर पर काफी प्रभाव पड़ता है। बच्चा जिस तरह के भोजन का सेवन करता है उसका पूप भी उसी तरह का हो जाता है। ऐसे में अगर आप उसे जिस रंग का खाना ज्यादा खिलाएंगी बेबी पूप कलर में वहीं रंग ज्यादा देखने को मिलेगा। साथ ही आपको देखने को मिलेगा कि फाइबर वाले फूड आइटम जैसे कि राजमा और मटर आदि बेबी पूप में पूरे ही देखने को मिलते हैं। क्योंकि बच्चे इन्हें पचा नहीं पाते हैं।
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बच्चे के पॉटी की बनावट कब किसी समस्या का संकेत देती है?