के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. पूजा दाफळ · Hello Swasthya
कहते हैं न कि मोशन से इमोशन जुड़े होते हैं लेकिन, अगर यही मोशन ठीक से न हो तो पूरा दिन बेकार हो जाता है। कब्ज एक ऐसा ही रोग है जिसको आयुर्वेद में विबंध (Vibandha) के नाम से भी जाना जाता है। इसमें बॉउल मूवमेंट (Bowel movement) डिस्टर्ब हो जाता है जिससे स्टूल पास करने में काफी कठिनाई होती है।
कब्ज के इलाज के लिए आयुर्वेद में कई प्रणालियां मौजूद हैं। कब्ज का आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic treatment for constipation) उसके निदान, रोकथाम और उपचार के कई तरीकों का एक रूप है जिससे व्यक्ति के अंदर के दोषों को एक बैलेंस में किया जाता है। आइए जानते हैं कि पेट साफ या कब्ज की आयुर्वेदिक दवा और कब्ज के लिए योगासन कौन-कौन से हैं? कब्ज का आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic treatment for constipation) कितना प्रभावी है।
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कब्ज पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक आम है। आयुर्वेद कब्ज को एक वात विकार के रूप में वर्गीकृत करता है, क्योंकि वात, मूवमेंट और एलिमिनेशन (साथ ही तंत्रिका तंत्र) को नियंत्रित करता है।
इसलिए, जो कुछ भी वात दोष को बढ़ाता है जैसे- तनाव, ट्रेवल, डिहाइड्रेशन (Dehydration), ठंडी हवा, थकावट, खराब भोजन आदि आपके कब्ज को बदतर बना सकता है। ये सभी स्टूल पास करने के रास्ते में रुकावट पैदा कर सकते हैं। नर्वस सिस्टम (Nervous system) ज्यादा उत्तेजित रहने की वजह से भी पेट में गैस या कब्ज का कारण बन सकता है। शरीर में वात अधिक होने से पेल्विक (Pelvic) और कोलन (Colon) एरिया में ऐंठन की समस्या भी हो सकती है।
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आयुर्वेदिक बिंदु से माना जाता है कि व्यक्ति की प्रकृति के हिसाब से सभी लोगों में कब्ज के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। निम्नलिखित में से कुछ हैं:
1. वात दोष के लक्षण – इसका पहला लक्षण है जीभ का रंग भूरा होना, जिसे आसानी से साफ नहीं किया जा सकता है। इन लोगों में कॉन्स्टिपेशन के लक्षण के रूप में पेट फूलना (Bloating) या पेट में बेचैनी हो सकती है। साथ ही ऐसे लोगों को मल त्याग करने में बहुत मुश्किल होती है और खाया गया खाना जल्दी पचता नहीं है।
2. पित्त दोष लक्षण – रोगी अगर ध्यान देगा तो उसके स्टूल का रंग हल्का पीला होगा। साथ ही स्टूल पास करने के दौरान एनल कैनाल (Anal canal) में बर्निंग सेंसेशन भी महसूस होगा।
3. कफ दोष लक्षण – कोलन (Digestive tract) भारी लगता है। ऐसे में व्यक्ति ज्यादातर समय सुस्त महसूस करेगा। ऐसे में स्टूल लगभग सफेद रंग का होता है। साथ ही गैस और पेट फूलने की समस्या से भी जूझना पड़ता है। ऐसे लोगों में खराब सांस (Halitosis) की समस्या आम हो जाती है।
कब्ज के लक्षण ऊपर बताए लक्षणों से अलग भी हो सकते हैं। इसलिए शारीरिक बदलाओं को इग्नोर ना करें और कब्ज का आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic treatment for constipation) जल्द से जल्द शुरू करें ।
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आमतौर पर कब्ज के दो प्रकार होते हैं:
आकस्मिक या अस्थायी (Temporary) : इस तरह का कब्ज अपच के कारण, दूषित भोजन, जीवाणु संक्रमण (Bacterial infection) या ज्यादा भोजन करने की वजह से हो सकता है।
क्रोनिक कॉन्स्टिपेशन (Chronic constipation) : आमतौर पर बुजुर्गों में होता है। आमतौर पर ऐसा स्फिंक्टर मांसपेशियों (Sphincter muscles) में टोनालिटी (Tonality) की हानि की वजह से होता है। इसके अलावा बवासीर (Piles) या रक्तस्रावी ऊतकों (Haemorrhoidal tissues) से पीड़ित व्यक्तियों में क्रोनिक कब्ज देखने को मिलता है।
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कब्ज का आयुर्वेदिक इलाज कई तरीकों से किया जाता है। जैसे-
स्नेहन
स्नेहन एक आयुर्वेदिक मसाज है। इसमें कई हर्बल गुणों से भरपूर तेलों के प्रयोग से बॉडी पर मालिश (Massage) की जाती है। जड़ी बूटियों का चुनाव बढ़े हुए दोष पर निर्भर करता है। दोष के अनुसार ही मालिश के दौरान शरीर पर पड़ने वाले दबाव का भी ध्यान रखा जाता है। वात दोष वाले लोगों को हल्की और नरम, पित्त दोष वाले लोगों को मध्यम दबाव की मालिश और कफ दोष वाले लोगों को गहरी मालिश दी जाती है। आयुर्वेद के हिसाब से इससे शरीर में जमी अमा (विषाक्त पदार्थ) को साफ करने में मदद मिलती है जो कब्ज का आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic treatment for constipation) में उपयोगी साबित होता है।
स्वेदना (Swedana)
स्वेदना में पसीने को प्रेरित करने के लिए कई आयुर्वेदिक तरीके अपनाएं जाते हैं। इससे बॉडी में मौजूद टॉक्सिन्स खत्म होते हैं। पसीने को उत्पन्न करने के लिए तप (Upma), उपनाह (Upanaha), ऊष्मा (Ushma) जैसी कई औषधीय तरीकों को अपनाया जाता है। इससे कब्ज का आयुर्वेदिक इलाज करना आसान हो जाता है।
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विरेचन
यह एक साधारण पंचकर्म (पांच चिकित्सा) तकनीक है। इसमें कई औषधीय गुणों से भरपूर जड़ी-बूटियों के इस्तेमाल से शरीर की शुद्धि की जाती है जिससे आंतों की सफाई सही से हो जाती है। विरेचन अमा (Toxins) को खत्म करके कब्ज से राहत दिलाने में प्रभावी है।
बस्ती
यह एक आयुर्वेदिक एनीमा (Enema) थेरिपी है। वात दोष के बैलेंस को ठीक करने के लिए इसका प्रयोग करते है। कंवेंशनल एनीमा केवल रेक्टम और कोलन को लगभग 8 से 10 इंच तक ही साफ करते हैं जबकि बस्ती एनल, रेक्टम (Rectum) और कोलन को पूरी तरह से साफ़ करने का काम करता है। यह कब्ज का आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic treatment for constipation) करने में लाभदायक होती है। इसके साथ ही यह गठिया, मिर्गी और अल्जाइमर (Alzheimer) जैसी कई बिमारियों में भी उपयोगी है।
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विशिष्ट आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों से कब्ज के उपचार में मदद मिल सकती है। इन हर्ब्स को लंबे समय तक लेना भी सुरक्षित हैं:
त्रिफला
यह पेट साफ करने का आयुर्वेदिक उपाय सबसे प्रभावी है। आयुर्वेद के अनुसार त्रिफला को सुबह सोकर उठने के तुरंत बाद लेना सबसे सही रहता है। इसके तीन से पांच ग्राम चूर्ण को एक कप गर्म पानी से लें।
ईसबगोल भूसी
यह कोलन की सफाई के लिए बहुत ही मददगार साबित होती है। रोजाना एक गिलास गर्म पानी में 1 से 2 चम्मच लें।
आंवला (Gossobery)
3-5 ग्राम आंवला चूर्ण या 10-20 मिली आंवला जूस को दिन में दो बार लेने से अपच (Indigestion), पेट फूलना, गैस आदि की समस्या से छुटकारा मिल सकता है। (यहां तक कि कच्चा आंवला भी खाया जा सकता है)।
हरड़ (Harad)
तीन ग्राम हरड़ चूर्ण का सेवन गर्म पानी के साथ करने से कब्ज (Constipation) से राहत मिलती है।
अविपत्ति चूर्णम् (Avipatti Churnam)
सुबह खाली पेट 10-25 ग्राम गुनगुने पानी के साथ इस आयुर्वेदिक चूर्ण का सेवन करना कब्ज की समस्या से छुटकारा दिला सकता है।
दशमूल क्वाथ
यह आयुर्वेदिक काढ़ा दस हर्बल्स से मिलकर तैयार होता है। इसके इस्तेमाल से शरीर में बढ़े हुए वात को खत्म करना आसान होता है। यह कब्ज की आयुर्वेदिक दवा वात की वजह से हुए दमा और खांसी का भी इलाज करती है। साथ ही यह अस्थिसंधिशोथ (ऑस्टियोअर्थराइटिस) और रुमेटाइड अर्थराइटिस के आयुर्वेदिक इलाज के रूप में भी इस्तेमाल की जाती है।
पंच साकार चूर्ण
1.5-3 ग्राम पानी के साथ रात में सोने से पहले इसे लिया जाता है। इससे मोशन खुलकर होते हैं और कब्ज में आराम मिलता है।
हिंगु त्रिगुणा तेल
यह एक आयुर्वेदिक तेल है जिसमें हींग, कैस्टर ऑयल, काला नमक और लहसुन पाया जाता है। इस तेल में भूख बढ़ाने वाले और पाचक गुण होते हैं। इसे क्रोनिक कब्ज (Chronic constipation) के इलाज में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसलिए कब्ज का आयुर्वेदिक इलाज हिंगु त्रिगुणा तेल की मदद से भी किया जाता है।
ऊपर बताई गई कब्ज की आयुर्वेदिक दवाओं के अलावा अभयारिष्ट, वैश्वनार चूर्ण, हरीतकी खंड, किशोर गुग्गलु आदि का इस्तेमाल भी कॉन्स्टिपेशन की समस्या को दूर करने में किया जाता है। कब्ज के आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic treatment for constipation) में ऊपर बताई गई किसी भी एक दवा या संयोजन के साथ डॉक्टर द्वारा निर्धारित किया जा सकता है। उपचार की अवधि और दवा की डोज हर रोगी के लिए अलग हो सकती है। इसलिए, आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से ही दवाओं का सेवन करें।
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कब्ज के लिए योगासन करना भी बहुत लाभकारी साबित होता है । कॉन्स्टिपेशन या गैस की समस्या से राहत पाने के लिए कुर्मासन (Kurmasana), वक्रासन (Vakrasana), कटिचक्रासन (Katichakrasana), सर्वांगासन (Sarvangasana), शवासन (Shavasana), पवनमुक्तासन (Pavanamuktasana), मंडुकासन (Mandukasana), वज्रासन (Vajrasana), मेरुदंडासन शलासन (Merudandasana chalanasana) आदि योगासन किए जा सकते हैं। इसके साथ ही अनलोम-विलोम और डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज भी कुछ हद तक समस्या से निपटने में मददगार साबित हो सकती हैं।
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एनसीबीआई की एक स्टडी से साबित होता है कि कॉन्स्टिपेशन की समस्या पर ईसबगोल की भूसी, सेन्ना का अर्क (Senna extract) और त्रिफला के अर्क से बना लैक्सेटिव फार्मूलेशन (Laxative formulation) काफी प्रभावी है। शोध में पाया गया कि दवा के साथ दो सप्ताह तक इस आयुर्वेदिक उपचार से एक सप्ताह के अंदर ही कब्ज के अधिकांश लक्षणों को कम कर दिया। स्टडी की रिपोर्ट बताती है कि “TLPL / AY / 01/2008′ (लैक्सेटिव फार्मूलेशन) कब्ज के प्रबंधन के लिए प्रभावी और सुरक्षित है।
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आयुर्वेद के अनुसार किसी भी बीमारी को शरीर में असंतुलित दोषों को बैलेंस करके पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। लेकिन, बिना डॉक्टर की सलाह से कोई भी आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट लेना या कब्ज का आयुर्वेदिक इलाज आप पर हानिकारक प्रभाव भी डाल सकता है। इसलिए, किसी भी हर्बल प्रोडक्ट (Herbal product) का उपयोग करने से पहले आयुर्वेदिक डॉक्टर से परामर्श करना बहुत जरूरी है।
खासकर गर्भवती महिलाओं, कमजोर लोगों, बुजुर्गों और बच्चों को आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट देने से पहले खासा सतर्कता बरतनी चाहिए।
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क्या करें?
क्या न करें?
कब्ज का आयुर्वेदिक इलाज के साथ-साथ अब आर्टिकल में आगे जानेंगे कब्ज समस्या दूर करने के लिए आयुर्वेदिक उपाय।
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कब्ज एक ऐसी समस्या है, जिसकी वजह से कई अन्य तरह की स्वास्थ्य समस्याएं जन्म ले लेती हैं। इसलिए, कब्ज के कारण को जानकर उसका इलाज कराना जरूरी है। साथ ही एक हेल्दी लाइफस्टाइल और स्वस्थ आहार अपनाकर इस समस्या से बचा जा सकता है। इसके लिए फाइबर से भरपूर आहार, पर्याप्त तरल पदार्थ और नियमित व्यायाम को अपने डेली रूटीन में शामिल करें।
आयुर्वेद में हर समस्या का इलाज है, जो कि काफी फायदेमंद भी साबित होता है। आयुर्वेदिक औषधियां काफी हद तक सुरक्षित होती हैं, लेकिन किसी खास स्थिति व व्यक्ति में इनके दुष्प्रभाव से इंकार नहीं किया जा सकता है। इसलिए कब्ज का आयुर्वेदिक इलाज करते हुए काफी सावधानी बरतनी चाहिए और एक्सपर्ट से परामर्श करना चाहिए। आयुर्वेदिक उपायों से फायदा प्राप्त करने के लिए आपको परहेज का भी ध्यान रखना होता है और आयुर्वेद का असर दिखने में आपको थोड़ा समय लग सकता है। इसलिए सब्र बिल्कुल रखें।
डिस्क्लेमर
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