स्वेदना (Swedana)
स्वेदना में पसीने को प्रेरित करने के लिए कई आयुर्वेदिक तरीके अपनाएं जाते हैं। इससे बॉडी में मौजूद टॉक्सिन्स खत्म होते हैं। पसीने को उत्पन्न करने के लिए तप (Upma), उपनाह (Upanaha), ऊष्मा (Ushma) जैसी कई औषधीय तरीकों को अपनाया जाता है। इससे कब्ज का आयुर्वेदिक इलाज करना आसान हो जाता है।
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विरेचन
यह एक साधारण पंचकर्म (पांच चिकित्सा) तकनीक है। इसमें कई औषधीय गुणों से भरपूर जड़ी-बूटियों के इस्तेमाल से शरीर की शुद्धि की जाती है जिससे आंतों की सफाई सही से हो जाती है। विरेचन अमा (Toxins) को खत्म करके कब्ज से राहत दिलाने में प्रभावी है।
बस्ती
यह एक आयुर्वेदिक एनीमा (Enema) थेरिपी है। वात दोष के बैलेंस को ठीक करने के लिए इसका प्रयोग करते है। कंवेंशनल एनीमा केवल रेक्टम और कोलन को लगभग 8 से 10 इंच तक ही साफ करते हैं जबकि बस्ती एनल, रेक्टम (Rectum) और कोलन को पूरी तरह से साफ़ करने का काम करता है। यह कब्ज का आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic treatment for constipation) करने में लाभदायक होती है। इसके साथ ही यह गठिया, मिर्गी और अल्जाइमर (Alzheimer) जैसी कई बिमारियों में भी उपयोगी है।
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कब्ज का आयुर्वेदिक इलाज – हर्ब्स (Herbs)
विशिष्ट आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों से कब्ज के उपचार में मदद मिल सकती है। इन हर्ब्स को लंबे समय तक लेना भी सुरक्षित हैं:
त्रिफला
यह पेट साफ करने का आयुर्वेदिक उपाय सबसे प्रभावी है। आयुर्वेद के अनुसार त्रिफला को सुबह सोकर उठने के तुरंत बाद लेना सबसे सही रहता है। इसके तीन से पांच ग्राम चूर्ण को एक कप गर्म पानी से लें।
ईसबगोल भूसी
यह कोलन की सफाई के लिए बहुत ही मददगार साबित होती है। रोजाना एक गिलास गर्म पानी में 1 से 2 चम्मच लें।
आंवला (Gossobery)
3-5 ग्राम आंवला चूर्ण या 10-20 मिली आंवला जूस को दिन में दो बार लेने से अपच (Indigestion), पेट फूलना, गैस आदि की समस्या से छुटकारा मिल सकता है। (यहां तक कि कच्चा आंवला भी खाया जा सकता है)।
हरड़ (Harad)
तीन ग्राम हरड़ चूर्ण का सेवन गर्म पानी के साथ करने से कब्ज (Constipation) से राहत मिलती है।
कब्ज की आयुर्वेदिक दवा
अविपत्ति चूर्णम् (Avipatti Churnam)
सुबह खाली पेट 10-25 ग्राम गुनगुने पानी के साथ इस आयुर्वेदिक चूर्ण का सेवन करना कब्ज की समस्या से छुटकारा दिला सकता है।
दशमूल क्वाथ
यह आयुर्वेदिक काढ़ा दस हर्बल्स से मिलकर तैयार होता है। इसके इस्तेमाल से शरीर में बढ़े हुए वात को खत्म करना आसान होता है। यह कब्ज की आयुर्वेदिक दवा वात की वजह से हुए दमा और खांसी का भी इलाज करती है। साथ ही यह अस्थिसंधिशोथ (ऑस्टियोअर्थराइटिस) और रुमेटाइड अर्थराइटिस के आयुर्वेदिक इलाज के रूप में भी इस्तेमाल की जाती है।
पंच साकार चूर्ण
1.5-3 ग्राम पानी के साथ रात में सोने से पहले इसे लिया जाता है। इससे मोशन खुलकर होते हैं और कब्ज में आराम मिलता है।
हिंगु त्रिगुणा तेल
यह एक आयुर्वेदिक तेल है जिसमें हींग, कैस्टर ऑयल, काला नमक और लहसुन पाया जाता है। इस तेल में भूख बढ़ाने वाले और पाचक गुण होते हैं। इसे क्रोनिक कब्ज (Chronic constipation) के इलाज में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसलिए कब्ज का आयुर्वेदिक इलाज हिंगु त्रिगुणा तेल की मदद से भी किया जाता है।
ऊपर बताई गई कब्ज की आयुर्वेदिक दवाओं के अलावा अभयारिष्ट, वैश्वनार चूर्ण, हरीतकी खंड, किशोर गुग्गलु आदि का इस्तेमाल भी कॉन्स्टिपेशन की समस्या को दूर करने में किया जाता है। कब्ज के आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic treatment for constipation) में ऊपर बताई गई किसी भी एक दवा या संयोजन के साथ डॉक्टर द्वारा निर्धारित किया जा सकता है। उपचार की अवधि और दवा की डोज हर रोगी के लिए अलग हो सकती है। इसलिए, आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से ही दवाओं का सेवन करें।
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कब्ज का आयुर्वेदिक इलाज योग से (Ayurvedic treatment for constipation with yoga)
कब्ज के लिए योगासन करना भी बहुत लाभकारी साबित होता है । कॉन्स्टिपेशन या गैस की समस्या से राहत पाने के लिए कुर्मासन (Kurmasana), वक्रासन (Vakrasana), कटिचक्रासन (Katichakrasana), सर्वांगासन (Sarvangasana), शवासन (Shavasana), पवनमुक्तासन (Pavanamuktasana), मंडुकासन (Mandukasana), वज्रासन (Vajrasana), मेरुदंडासन शलासन (Merudandasana chalanasana) आदि योगासन किए जा सकते हैं। इसके साथ ही अनलोम-विलोम और डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज भी कुछ हद तक समस्या से निपटने में मददगार साबित हो सकती हैं।