आयुर्वेद में सदियों से च्वयनप्राश का उल्लेख मिलता आ रहा है। यह एक ऐसा आयुर्वेदिक मिश्रण है, जिसका इस्तेमाल रोग प्रतिरोधक (Immune power) क्षमता को बढ़ाने और शरीर को तंदुरूस्त रखने के लिए किया जाता है। आयुर्वेदिक च्वयनप्राश (Ayurvedic Chyawanprash) एक ऐसा जड़ी बूटियों से बना मिश्रण है जिसका इस्तेमाल हर उम्र के लोग कर सकते हैं। आयुर्वेदिक च्वयनप्राश को आयुर्वेदिक सप्लीमेंट मान सकते हैं जो पौष्टिकता से भरपूर जड़ी बूटियों और मिनरल्स से बना होता है। आयुर्वेद के अनुसार यह जीवन शक्ति, शारीरिक सहनशीलता और उम्र के साथ लड़ने की क्षमता को बढ़ाने में सहायक होता है। आयुर्वेदिक च्वयनप्राश (Ayurvedic Chyawanprash) मूल रूप से 50 औषधीय जड़ी बूटियों के अर्क यानि एक्सट्रैक्ट से बना होता है। इसका मूल सामग्री आंवला होता है जो नैचुरल विटामिन सी से भरपूर होता है।
आयुर्वेदिक च्वयनप्राश (Ayurvedic Chyawanprash) का मूल तत्व आंवला (Gooseberry) होता है। आंवला को आम तौर पर करौंदा भी कहा जाता है। यह आयुर्वेद में या पारंपरिक चिकित्सा पद्धति में सबसे महत्वपूर्ण औषधीय पौधा होता है। इस फल के पौधे का हर एक अंग विभिन्न प्रकार के रोगों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। आंवला का इस्तेमाल औषधि के रूप में अकेले तत्व के रूप में भी किया जाता है या दूसरे चीजों के साथ मिलाकर भी औषधि बनाई जाती है। आंवला में एन्टीपाइरेटिक (Antipyretic), एनाल्जेसिक (Analgesic), एंटीलिथोजेनिक (Anti Lithogenic), एंटिडायहेरिल (Antidiarrheal) , हेपाटोप्रोटेक्टिव (Hepatoprotective), नेफ्रोप्रोटेक्टिव (Nephroprotective), न्यूरोप्रोटेक्टिव (Neuroprotective) जैसे बहुत सारे गुण होते हैं। इसके अलावा आंवला आम सर्दी-खांसी, बुखार, दस्त संबंधित समस्या, बाल, लिवर के लिए टॉनिक, पेप्टिक अल्सर और अपच जैसे बहुत सारे समस्याओं के लिए औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है। आंवला में एन्टीऑक्सिडेंट, एंटी इंफ्लैमटोरी, केमोप्रिवेंटिव जैसे गुण होने के कारण यह कैंसर के लिए भी उपचार स्वरूप इस्तेमाल किया जाता है। संक्षेप में यही कह सकते हैं कि आंवला का बहुगुणी गुण आयुर्वेदिक च्वयनप्राश (Ayurvedic Chyawanprash) को सेहत के नजरिये से अनन्य गुणों वाला बना देता है।