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आयुर्वेदिक च्वयनप्राश घर पर कैसे बनायें, जानें इसके अनजाने फायदे

के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. पूजा दाफळ · Hello Swasthya


Mousumi dutta द्वारा लिखित · अपडेटेड 16/03/2021

    आयुर्वेदिक च्वयनप्राश घर पर कैसे बनायें, जानें इसके अनजाने फायदे

    आयुर्वेद में सदियों से च्वयनप्राश का उल्लेख मिलता आ रहा है। यह एक ऐसा आयुर्वेदिक मिश्रण है, जिसका इस्तेमाल रोग प्रतिरोधक (Immune power) क्षमता को बढ़ाने और शरीर को तंदुरूस्त रखने के लिए किया जाता है। आयुर्वेदिक च्वयनप्राश (Ayurvedic Chyawanprash) एक ऐसा जड़ी बूटियों से बना मिश्रण है जिसका इस्तेमाल हर उम्र के लोग कर सकते हैं। आयुर्वेदिक च्वयनप्राश को आयुर्वेदिक सप्लीमेंट मान सकते हैं जो पौष्टिकता से भरपूर जड़ी बूटियों और मिनरल्स से बना होता है। आयुर्वेद के अनुसार यह जीवन शक्ति, शारीरिक सहनशीलता और उम्र के साथ लड़ने की क्षमता को बढ़ाने में सहायक होता है। आयुर्वेदिक च्वयनप्राश (Ayurvedic Chyawanprash) मूल रूप से 50 औषधीय जड़ी बूटियों के अर्क यानि एक्सट्रैक्ट से बना होता है।  इसका मूल सामग्री आंवला होता है जो नैचुरल विटामिन सी से भरपूर होता है।

    आयुर्वेदिक च्वयनप्राश (Ayurvedic Chyawanprash) का मूल तत्व आंवला (Gooseberry) होता है। आंवला को आम तौर पर करौंदा भी कहा जाता है। यह आयुर्वेद में या पारंपरिक चिकित्सा पद्धति में सबसे महत्वपूर्ण औषधीय पौधा होता है। इस फल के पौधे का हर एक अंग विभिन्न प्रकार के रोगों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। आंवला का इस्तेमाल औषधि के रूप में अकेले तत्व के रूप में भी किया जाता है या दूसरे चीजों के साथ मिलाकर भी औषधि बनाई जाती है। आंवला में एन्टीपाइरेटिक (Antipyretic), एनाल्जेसिक (Analgesic), एंटीलिथोजेनिक (Anti Lithogenic), एंटिडायहेरिल (Antidiarrheal) , हेपाटोप्रोटेक्टिव (Hepatoprotective), नेफ्रोप्रोटेक्टिव (Nephroprotective), न्यूरोप्रोटेक्टिव (Neuroprotective) जैसे बहुत सारे गुण होते हैं। इसके अलावा आंवला आम सर्दी-खांसी, बुखार, दस्त संबंधित समस्या, बाल, लिवर के लिए टॉनिक, पेप्टिक अल्सर और अपच जैसे बहुत सारे समस्याओं के लिए औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है। आंवला में एन्टीऑक्सिडेंट, एंटी इंफ्लैमटोरी, केमोप्रिवेंटिव जैसे गुण होने के कारण यह कैंसर के लिए भी उपचार स्वरूप इस्तेमाल किया जाता है। संक्षेप में यही कह सकते हैं कि आंवला का बहुगुणी गुण आयुर्वेदिक च्वयनप्राश (Ayurvedic Chyawanprash) को सेहत के नजरिये से अनन्य गुणों वाला बना देता है।

    आयुर्वेदिक च्वयनप्राश दो मूल शब्दों से बना होता है, “च्यवन’ और “प्रशा’। असल में च्वयन नाम के एक ऋषि थे। प्राश एक तरह की दवा होती है, जो खाद्द पदार्थों के निरूपण से बनता है। असल में च्वयनप्राश का नाम च्वयन ऋषि के नाम से ही आता है जिन्होंने खुद को युवा बनाये रखने और जीवन शक्ति को बढ़ाने के लिए च्वयनप्राश जैसे मिश्रण का पान किया था। यह मिश्रित सेहतमंद टॉनिक सेहतमंद बनाने और शरीर को बीमारियों से लड़ने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। असल में च्वयनप्राश एक प्रकार के पॉली हर्बल दवा का भारतीय संस्करण है। च्वयनप्राश मूल रूप से विटामिन (Vitamin), मिनरल्स (Minerals), एंटी ऑक्सिडेंट (Antioxidant) से भरपूर मिश्रण होता है जो विभिन्न प्रकार के रोगों से राहत दिलाने में प्रभावकारी रूप से काम करता है।

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    शायद आपको यह जानकारी नहीं होगी कि आयुर्वेद चिकित्सा में एक शाखा रसायण होता है। रसायण के अंतर्गत उन तत्वों का प्रयोग जो जीवन शक्ति को बढ़ाने, शरीर को रोगो के प्रभाव से दूर रखने में सहायता करता है। च्वयनप्राश में जो आंवला का प्रयोग किया जाता है वह रसायण शाखा के अंतगर्त इस्तेमाल किये जाने वाले तत्वों के अंतगर्त आता है। आंवला  खट्टा, कड़वा, तीखा और कसैले गुणों वाला होता है। इसके सेवन से शरीर की कार्यप्रणाली सुचारू रूप से काम करने लगती है और पूरा शरीर फिर से जीवंत जैसा महसूस करने लगता है। जिसका असर शरीर के हर अंग, त्वचा और बाल सब पर होता है। 

    आयुर्वेदिक च्वयनप्राश के तत्वों का सही विश्लेषण करें तो यह बहुत ही प्रभावकारी एंटीऑक्सिडेंट (Antioxidant) मिश्रण है। जो लगभग 50 प्रकार के हर्ब्स और मसालों से बना होता है। च्वयनप्राश की सबसे बड़ी विशेषता यह होती है कि इसको कितना भी सुखाये या जला जाये इसमें जो विटामिन सी होता है वह नष्ट नहीं होता है। वैसे तो यह 50 प्रकार के चीजों से बनती है लेकिन मूल रूप से इसमें 36 तरह की जड़ी बूटियां होती हैं जिनमें आंवला, केसर, दालचीनी, शहद, तिल का तेल, तेजपत्ता, बाला, अश्वगंधा, पिप्पली, छोटी इलायची, गोक्षुरा, शतावरी, ब्राह्मी, गुणची, नागमोथा, पुष्करमूल, अरणी, गंभारी, विल्व और बहुत सारे चीजें आती हैं। 

    वैसे तो यह सभी को पता है च्वयनप्राश सर्दी-खांसी को दूर करने में बहुत सहायक होता है लेकिन इसके अलावा यह बहुत सारे चीजों में लाभकारी होता है, चलिये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

    1. शरीर कि इम्युनिटी बढ़ाने में सहायक आयुर्वेदिक च्वयनप्राश (Ayurvedic Chyawanprash)

    आज के हालात ऐसे हैं कि जो चीज सबसे ज्यादा जरूरी है वह है, शरीर का इम्युनिटी पावर बढ़ाना तभी हम कोरोना वायरस से लेकर इस प्रदूषित वातावरण के नाना प्रकार के जीवाणुओं और विषाणुओं से लड़ सकते हैं।

    इसमें जो आंवला का इस्तेमाल मूल तत्व के रूप में किया जाता है उसका विटामिन सी का गुण शरीर की इम्युनिटी पावर बढ़ाने में बहुत मदद करता है। इसमें जो एन्टीबैक्टिरीयल और एन्टीऑक्सिडेंट का गुण होता है वह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक होता है।

    2. शरीर को एनर्जी से भरपूर करता है आयुर्वेदिक च्वयनप्राश

    आजकल की भागदौड़ वाली जिंदगी में थकना मना है। इसके लिए शरीर को नियमित रूप से एक ऐसे तत्व को देने की जरूरत होती है जो खोई हुई पौष्टिकता को वापस ला दे। च्वयनप्राश में जो एनर्जी का स्रोत होता है वह बच्चे से लेकर वयस्क और बुजुर्ग सबको ऊर्जा से भर देता है। यह शरीर में रक्त का संचालन सुचारू रूप से करने में मदद करता है जिससे शरीर की थकान दूर होती है।

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    3. शरीर के पाचन शक्ति को करता है बेहतर आयुर्वेदिक च्वयनप्राश

    बदहजमी, एसिडिटी, पेट में जलन, दस्त, खट्टी डकार ऐसे अनगिनत समस्याएं है जो लोग हर दिन किसी न किसी तरह महसूस करते हैं। लेकिन आपके पास एक ऐसा नैचुरल टॉनिक है जो इन सब समस्याओं से राहत दिला सकता है। इसके सेवन से शरीर से अवांछित पदार्थ निकल जाते हैं जिससे हजम करने की शक्ति बढ़ती है और आपका पेट टेंशन फ्री रहता है।

    4. दिल को बनाये सेहतमंद आयुर्वेदिक च्वयनप्राश

    दिल है तो जहान है। यहां दिल टूटने की बात नहीं हो रही है बल्कि दिल को स्वस्थ रखने की बात हो रही है। च्वयनप्राश का नियमित सेवन न सिर्फ कोलेस्ट्रोल (Cholesterol)  को नियंत्रित करता है बल्कि ब्लड प्रेशर को ठीक रखने में भी मदद करता है। इससे शरीर का रक्त का संचार सही तरह से हो पाता है और दिल की सेहत भी ठीक रहती है। 

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    5. श्वास संबंधी रोगो को दूर रखने में करे मदद आयुर्वेदिक च्वयनप्राश

    जैसा कि आप जानते ही है कि मौसम के बदलाव के साथ बुखार (Fever), सर्दी-खांसी जैसी समस्याओं का होना आम होता है। लेकिन जो नियमित रूप से च्वयनप्राश का सेवन करते हैं उनको श्वास संबंधी कोई भी समस्या कम ही होती है। उनके शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity Power) इतनी बढ़ जाती है कि इन समस्याओं से शरीर खुद ही लड़ लेता है।

    6. त्वचा में लायें नई रौनक आयुर्वेदिक च्वयनप्राश

    च्वयनप्राश में आंवला के साथ जो जड़ी बूटियां होती है वह शरीर से फ्री रैडिकल्स को निकालने में सहायता करते हैं। साथ ही यह डिटॉक्सिफाई भी करते हैं  जिससे असमय चेहरे पर झुर्रियां (Wrinkles) पड़ना, दाग, मुँहासों आदि जैसी समस्याएं नहीं हो पाती हैं। आप अपने यंग लुक से सबके होश उड़ा सकते हैं।

    7. त्रिदोष की समस्या से दिलाये राहत आयुर्वेदिक च्वयनप्राश

    त्रिदोष की बात सुनकर शायद आप अचरज में पड़ जायेंगे कि यह है क्या? आयुर्वेद के अनुसार त्रिदोष मतलब शरीर में वात, पित्त और कफ की समस्या। यह शरीर के तीनों दोषों को संतुलित रखने में सहायता करता है ताकि शरीर सेहतमंद रहें।

    8. मस्तिष्क को रखें सचेत आयुर्वेदिक च्वयनप्राश 

    आजकल नींद न आने की समस्या या याददाश्त कमजोर होने की समस्या से सब परेशान रहते हैं। इन समस्याओं से न सिर्फ बड़े परेशान रहते हैं बल्कि बच्चे भी होते हैं। च्वयनप्राश के नियमित सेवन से मस्तिष्क सुचारू रूप से काम कर पाता है जिससे अल्जाइमर, इन्सोमनिया जैसे रोगों के होने का खतरा कम हो जाता है।

    9. सेक्स लाइफ को बेहतर बनाने में सहायक आयुर्वेदिक च्वयनप्राश 

    च्वयनप्राश शरीर को एक्टिव बनाने में बहुत मदद करता है जिसके कारण सेक्चुअल स्टैमिना, लिबिडो, फर्टिलिटी जैसी समस्याओं से शरीर को लड़ने में मदद मिलती है।

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    10. खून की कमी को करे दूर आयुर्वेदिक च्वयनप्राश 

    अगर कोई एनीमिया की समस्या से जुझ रहा है तो च्वयनप्राश के नियमित सेवन से शरीर में हिमोग्लोबीन की कमी दूर हो जाती है।

    आयुर्वेदिक  च्वयनप्राश (Ayurvedic Chyawanprash) बनाने की विधि-

    फायदों के बारे में बताने के बाद सबसे जरूरी बात यह आती है कि घर पर आसानी से च्यवनप्राश कैसे बनायें। तो चलिये आपको बताते हैं कि इसको कैसे बनाया जाता है-

    च्वयनप्राश में लगने वाले सारे चीजों को पहले एकत्र कर लें। एक बात का ध्यान रखें कि सारे हर्ब्स ताजे होने चाहिए विशेष रूप से आंवला। सबसे पहले ताजा आंवला और दूसरे चीजों को पानी में डालकर अच्छी तरह से उबाल लें। फिर आंवला के बीजों को निकाल लें। आंवला और सारे चीजों के पल्प को पतला सूती कपड़े में डालकर छान लें। अब आंवला के गूदे को घी (Ghee) और तिल के तेल में अच्छी तरह से पकायें। जब तक कि मिश्रण हल्का भूरे रंग का न हो जाये तब तक पकाते रहें। चीनी की चाशनी अलग से बना लें। जब आंवला का पल्प का रंग भूरा होने लगे तो चाशनी में डालकर अच्छी तरह से मिलाकर ठंडा होने के लिए रख दें। उसके बाद हर्बल पाउडर और शहद डालकर अच्छी तरह से मिला लें और सीलबंद डब्बे में बंद करके रख दें। 

    आयुर्वेदिक च्वयनप्राश (Ayurvedic Chyawanprash) का सेवन कब करना चाहिए? 

    वैसे तो च्वयनप्राश का सेवन सर्दी के मौसम में करने के लिए आम तौर पर कहा जाता है क्योंकि उसी मौसम में सर्दी-खांसी की समस्या ज्यादा होती है। लेकिन इसको पूरे साल ले सकते हैं। च्वयनप्राश को खाली पेट या सोते समय लेने की सलाह दी जाती है। लेकिन इसका सेवन करने से पहले आयुर्वेदाचार्य से सलाह ले लेना ही बेहतर होता है। च्वयनप्राश का सेवन दूध के साथ लेना अच्छा होता है। 

    आयुर्वेदिक च्वयनप्राश के सेवन के साइड इफेक्ट्स (Side effects of Ayurvedic Chyawanprash)

    वैसे तो इस नैचुरल आयुर्वेदिक च्वयनप्राश का कोई साइड इफेक्ट्स नहीं होता है, लेकिन दूध के साथ लेने पर अगर किसी को एसिडिटी (Acidity) या दस्त (Loose motion) की समस्या होती है, तो खाली च्वयनप्राश का सेवन करना ही बेहतर होता है। मधुमेह (Diabetes) के रोगी बिना डॉक्टर के सलाह के इसका सेवन न करें। 1 साल से ज्यादा उम्र के शिशु कम मात्रा में च्वयनप्राश का सेवन कर सकते हैं। बच्चे से लेकर बुजुर्ग सभी पूरे साल आयुर्वेदिक च्वयनप्राश का सेवन कर सकते हैं।

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