आयुर्वेदिक च्वयनप्राश दो मूल शब्दों से बना होता है, “च्यवन’ और “प्रशा’। असल में च्वयन नाम के एक ऋषि थे। प्राश एक तरह की दवा होती है, जो खाद्द पदार्थों के निरूपण से बनता है। असल में च्वयनप्राश का नाम च्वयन ऋषि के नाम से ही आता है जिन्होंने खुद को युवा बनाये रखने और जीवन शक्ति को बढ़ाने के लिए च्वयनप्राश जैसे मिश्रण का पान किया था। यह मिश्रित सेहतमंद टॉनिक सेहतमंद बनाने और शरीर को बीमारियों से लड़ने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। असल में च्वयनप्राश एक प्रकार के पॉली हर्बल दवा का भारतीय संस्करण है। च्वयनप्राश मूल रूप से विटामिन (Vitamin), मिनरल्स (Minerals), एंटी ऑक्सिडेंट (Antioxidant) से भरपूर मिश्रण होता है जो विभिन्न प्रकार के रोगों से राहत दिलाने में प्रभावकारी रूप से काम करता है।
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शायद आपको यह जानकारी नहीं होगी कि आयुर्वेद चिकित्सा में एक शाखा रसायण होता है। रसायण के अंतर्गत उन तत्वों का प्रयोग जो जीवन शक्ति को बढ़ाने, शरीर को रोगो के प्रभाव से दूर रखने में सहायता करता है। च्वयनप्राश में जो आंवला का प्रयोग किया जाता है वह रसायण शाखा के अंतगर्त इस्तेमाल किये जाने वाले तत्वों के अंतगर्त आता है। आंवला खट्टा, कड़वा, तीखा और कसैले गुणों वाला होता है। इसके सेवन से शरीर की कार्यप्रणाली सुचारू रूप से काम करने लगती है और पूरा शरीर फिर से जीवंत जैसा महसूस करने लगता है। जिसका असर शरीर के हर अंग, त्वचा और बाल सब पर होता है।
आयुर्वेदिक च्वयनप्राश के तत्वों का सही विश्लेषण करें तो यह बहुत ही प्रभावकारी एंटीऑक्सिडेंट (Antioxidant) मिश्रण है। जो लगभग 50 प्रकार के हर्ब्स और मसालों से बना होता है। च्वयनप्राश की सबसे बड़ी विशेषता यह होती है कि इसको कितना भी सुखाये या जला जाये इसमें जो विटामिन सी होता है वह नष्ट नहीं होता है। वैसे तो यह 50 प्रकार के चीजों से बनती है लेकिन मूल रूप से इसमें 36 तरह की जड़ी बूटियां होती हैं जिनमें आंवला, केसर, दालचीनी, शहद, तिल का तेल, तेजपत्ता, बाला, अश्वगंधा, पिप्पली, छोटी इलायची, गोक्षुरा, शतावरी, ब्राह्मी, गुणची, नागमोथा, पुष्करमूल, अरणी, गंभारी, विल्व और बहुत सारे चीजें आती हैं।