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आंतों में ऐंठन (Colon Spasm) की समस्या कर सकती है बुरा हाल

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 20/01/2021

    आंतों में ऐंठन (Colon Spasm) की समस्या कर सकती है बुरा हाल

    कोलन स्पाज्म (colon spasm) या आंत में ऐंठन कोलन की मांसपेशियों में अचानक से हुए संकुचन के कारण होती है। कोलन बड़ी आंत का हिस्सा है। मल का निर्माण, भंडारण और निष्काशन कोलन की ही जिम्मेदारी है। आंतों में ऐंठन IBS के लक्षणों में से एक है। ऐंठन की वजह से आंतों की दीवारों में अत्यधिक जलन होती है। कोलन स्पाजम के दौरान कुछ संकुचन केवल महसूस होते हैं। कई बार विभिन्न कारणों की वजह से आंतों की ऐंठन के दौरान विभिन्न लक्षण उत्पन्न होने लगते हैं। कभी-कभार संकुचन अनऑर्गेनाइज्ड होते हैं। इंटेस्टाइनल डिसऑर्डर को स्पास्टिक कोलन (spastic colon) के नाम से भी जाना जाता है। आज हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में हम आपको आंतों में ऐंठन होने से जुड़ी जरूरी जानकारियां देंगे। इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि आंतों में ऐंठन क्यों होती है और इसके लक्षण क्या हैं। साथ ही इससे राहत पाने के उपायों पर भी नजर डालेंगे।

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    आंतों में ऐंठन की समस्या होने पर ये लक्षण दिख सकते हैं

    आंतों में ऐंठन के कारण हो सकता है दर्द

    अचानक से पेट में दर्द शुरू होता है, खासतौर पर पेट के निचले हिस्से में और बाईं ओर तेजी से दर्द होता है। पेट में ऐंठन कोलन की आम समस्या है। ऐंठन के साथ ही दर्द की तीव्रता भी बढ़ती जाती है।

    गैस या ब्लोटिंग (Gas or bloating)

    आजकल गैस और ब्लोटिंग की समस्या से हर दूसरा व्यक्ति परेशान है। खाने पीने में लापरवाही और अस्वस्थ जीवनशैली से गैस और ब्लोटिंग की समस्या होने लगती है, जिससे कई तरह की शारीरिक समस्याएं होने लगती हैं। गैस बनने से जी मिचलाना, उल्टी आना, सिर दर्द, पेट दर्द या शरीर के अन्य हिस्से में दर्द होना सामान्य बात है। लेकिन कई बार ये समस्या इतनी ज्यादा बढ़ जाती हैं कि इससे हार्ट पर भी असर पड़ने लगता है। ये समस्या भी आंतों में ऐंठन होने के कारण हो सकती है। गैस की समस्या दिन में किसी भी समय हो सकती है।

    बाउल मूवमेंट में बदलाव

    आपने दूसरों के साथ या खुद के साथ कभी न कभी डायरिया या कब्ज की समस्या देखी होगी। ये ऐसी समस्या है जो पूरे शरीर को प्रभावित कर देती है। कब्ज होने से गैस बनती हैं और आपको पेट फूलने (bloating) जैसी परेशानी का सामना भी करना पड़ सकता है, जिस कारण अन्य शारीरिक विकार जन्म ले सकते हैं। ये समस्याएं ज्यादातर बाउल मूवमेंट में बदलाव होने के कारण जन्म लेती हैं। डायरिया और कब्ज के समय पेट में ऐंठन की समस्या बढ़ जाती है।

    लूज स्टूल (Sudden urge to use the restroom )

    कई लोगों को लूज मोशन की समस्या हो जाती है। कभी-कभी आप ऐसी चीजें खा लेते हैं, जिससे ये समस्या होने लगती है। लूज मोशन के दौरान शरीर ढीला पड़ जाता है, शरीर में मल बनने की प्रक्रिया सही से नहीं हो पाती है और यही लूज मोशन का कारण बनता है। ऐसी समस्या में बार-बार बाथरूम जाने का एहसास भी हो सकता है।

    स्टूल में म्यूकस

    बाउल मूवमेंट के दौरान वाइट म्यूकस दिख सकता है। ये IBS (Irritable bowel syndrome) का लक्षण हो सकता है।

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    आंतों में ऐंठन होने के कारण क्या हैं?

    कोलन या आंतों में ऐंठन आंतरिक शारीरिक स्थिति का एक लक्षण है। IBS सबसे आम आंतरिक स्वास्थ्य स्थिति है जो पेट की ऐंठन का कारण बन सकती है। अन्य स्थितियों के कारण भी ये संकुचन हो सकता हैं। नीचे हम आपको इसके कुछ लक्षण बताने जा रहे हैं, जैसे :

    1.अल्सरेटिव कोलाइटिस(Ulcerative colitis)

    2.क्रोहन रोग (Crohn’s disease)

    3.विकृत या बढ़ा हुआ कोलन (Distended, or enlarged, colon)

    4.बाधित हुई गैस (Trapped gas)

    5.आंत में जीवाणु संक्रमण (Bacterial infection in the gut)

    6. आंतों में रुकावट (A bowel or intestinal obstruction)

    7. इंटेस्टाइनल इस्किमिया (Intestinal Ischemia)

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    आप इन समस्याओं से राहत पाने के कई तरीके अपना सकते हैं, जिनके बारे में हम नीचे बताने जा रहे हैं। अगर आपको आंतों में ऐंठन की समस्या रहती है, तो आप नीचे बताए गए तरीके अपना सकते हैं।

    आप अपनी दिनचर्या में सुधार कर आंत में ऐंठन की समस्या से छुटकारा पा सकते हैं

    स्ट्रैस कम करके : तनाव कई बीमारियों की जड़ होता है। यह न सिर्फ आपको मानसिक रूप से तकलीफ देता है, बल्कि आपको शारीरिक रूप से भी काफी तकलीफ देता है। स्ट्रेस का असर आपके पेट पर भी पड़ सकता है इसलिए तनाव को कम करने की कोशिश करें। तनाव कम करने के लिए आप योगा, मेडिटेशन जैसी एक्टिविटी शुरू कर सकते हैं, जिससे आपको काफ हद तक राहत मिल सकती है। आप चाहें तो रनिंग भी कर सकते हैं। रनिंग करने से भी स्ट्रेस लेवल कम होने लगता है।

    चलना जरूरी है : कई बार खाना खाने के बाद बैठे रहते हैं या फिर लेट जाते हैं, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं करना चाहिए। खाना खाने के तुरंत बाद लेटने से आपके डाइजेस्टिव सिस्टम पर बुरा असर पड़ सकता है और आपको आंतों की समस्याएं होने लग सकती हैं।

    फाइबर लें : खाने में फाइबर की मात्रा को बढ़ाने की कोशिश करें, क्योंकि ये आपके पेट के पाचन को दुरुस्त रखने में मदद करेगा। फाइबर हमारी आंतों में जाता है और कब्ज नहीं बनने देता। इससे खाना भी अच्छी तरह पच जाता है। कब्ज न बनने के कारण आपको गैस भी नहीं बनती, जिससे कई तरह की शारीरिक समस्याएं दूर रहती हैं। अगर आपकी समस्या बढ़ रही है तो कब्ज के घरेलू उपाय छोड़कर तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।

    एल्कोहॉल से रहें दूर : एल्कोहॉल GI फंक्शन को बिगाड़ सकता है। अगर आपको आंतों से जुड़ी समस्याएं रहती हैं, तो कोशिश करें कि एल्कोहॉल और तंबाकू का सेवन बंद कर दें। ऐसा करने से भी आपकी ये समस्याएं काफी हद तक कम हो सकती है। बेहतर होगा कि आप नशा न करें क्योंकि ये शरीर को कई प्रकार के नुकसान पहुंचाता है। वहीं स्मोकिंग से भी दूरी बना लें।

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    आंतों में मरोड़ की समस्या होने पर कुछ घरेलू उपाय अपनाएं जा सकते हैं। कई बार समस्या गंभीर भी हो सकती है। ऐसी समस्या से बचने के लिए आपको किसी भी तह की परेशानी होने पर डॉक्टर को जरूर बताना चाहिए। कई बार पेट में मरोड़ की समस्या विभिन्न प्रकार से हो सकती है और ये एक गंभीर समस्या का संकेत भी हो सकती है। अगर आपको वॉमिटिंग की समस्या हो रही है या फिर स्टूल को पास करने में समस्या हो रही है तो ऐसे में लापरवाही न बरतें और तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। अगर आपको पेट में छूने पर दर्द का एहसास हो रहा है तो भी ये गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है।

    आंतों में मरोड़ का कारण किसी विशेष भाग में कैंसर डिजीज भी हो सकती है। आपको जानकर हैरानी होगी कि कई बार आंतों के कैंसर, पेंक्रिएटिक कैंसर या फिर पेट का कैंसर होने पर खास लक्षण नजर नहीं आते हैं। जब कैंसर फैलने लगता है तो शरीर में विभिन्न प्रकार के लक्षण नजर आते हैं।

    जांच की सलाह दे सकता है डॉक्टर

    आंतों में ऐंठन का क्या कारण है, ये जांच के माध्यम से ही पता चल सकता है। ऐसे में डॉक्टर खून की जांच, यूरिन की जांच, रेक्टल टेस्ट, अल्ट्रासाउंड की सलाह दे सकता है। अगर आपको किसी प्रकार की गंभीर समस्या नहीं है तो डॉक्टर आपरको कुछ मेडिसिन लेने की सलाह देगा।

    मेडिकल ऑप्शन

    डायरिया रोधी दवा (Anti-diarrheal medication)- ओवर-द-काउंटर और प्रिस्क्रिप्शन एंटी-डायरियल मेडिसिन, दोनों कोलन ऐंठन के लक्षणों को कम करने और दस्त को रोकने में मदद करती है। एंटीस्पास्मोडिक दवा (Antispasmodic medication) या मेडिसिन मसल्स को रिलेक्स करने और पेट की ऐंठन के दौरान गंभीर संकुचन को कम करती है।

    आंतों की बीमारी के लक्षण दिखें तो अपनाएं ये घरेलू उपाय

    आपने उपरोक्त जानकारी के अनुसार अब ये तो जान ही लिया होगा कि आंतों में ऐंठन के कई कारण हो सकते हैं। आपको सामान्य समस्या महसूस होने पर आंतों में सिकाई करनी चाहिए। साथ ही जरूरत पड़ने पर तेल की सहायता से पेट में मालिश करें। ऐसा करने से भी आराम महसूस हो सकता है।मालिश करने पर ब्लड सर्कुलेशन बढ़ जाता है। ऐसे में दर्द की समस्या से राहत मिल सकती है।

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    पानी का न होने दें कमी

    पेट में मरोड़ होने पर लूज मोशन की समस्या भी हो सकती है। ऐसी समस्या होने पर अधिक मात्रा में पानी का सेवन करना चाहिए ताकि शरीर में पानी की कमी न हो। आप चाहे तो पानी में शक्कर और नमक मिलाकर भी पी सकते हैं।

    सॉल्ट बाथ लें

    गुनगुने पानी में सॉल्ट (मैग्नीशियम और सल्फर कम्पाउंड एप्सोम) मिलाकर बाथ लेने से भी मरोड़ की समस्या से राहत मिल सकती है। थकावट में लोग गुनगुने पानी से नहाते हैं। गुनगुना पानी मसल्स को राहत प्रदान करता है। वहीं एप्सोम सॉल्ट (Epsom Salt) जो कि सालों से हीलिंग प्रोसेस में यूज किया जाता है, मांसपेशियों को राहत पहुंचाने का काम करता है।

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    फल और सब्जियों का करें सेवन

    पेट में समस्या होने पर आपको ऐसे फूड खाने बिल्कुल बंद कर देने चाहिए जो पेट में गैस की समस्या उत्पन्न करें। आपको खाने में डेयरी प्रोडक्ट को इग्नोर करना चाहिए वहीं फल और सब्जियों को अधिक मात्रा में शामिल करना चाहिए। आप चाहे तो फलों का जूस और वेजीटेबल सूप बनाकर भी पी सकते हैं। आपको ऐसे समय में ऑयली फूड बिल्कुल इग्नोर करना चाहिए।

    लें हल्की डायट

    वॉमिटिंग की समस्या होने के बाद हल्का भोजन ही लें। आप खाने में चावल का माड़, फलों का जूस आदि। आपको इस तरह की समस्या में खट्टे फलों का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए। साथ ही चाय या कॉफी का सेवन भी न करें। ऐसा करने से आपको अधिक समस्या महसूस हो सकती है।

    आंतों में ऐंठन होना ऐसी समस्या है, जिसे आप आसानी से कुछ बातों का ध्यान में रखकर ठीक कर सकते हैं। इसके लिए बस आपको ऊपर बताई गई बातों का ध्यान रखने की जरूरत है। लेकिन अगर ये समस्या ज्यादा बढ़ती है, तो आप इसे बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें। ऐसा होने पर डॉक्टर की सलाह से सही उपचार लेने की जरूरत पड़ सकती है। आप स्वास्थ्य संबंधि अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं।

    डिस्क्लेमर

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