इन चीजों से बढ़ सकता है अल्सरेटिव कोलाइटिस का खतरा? (Risk factor of Ulcerative Colitis)
इस बीमारी के कई रिस्क फैक्टर हैं जैसे:
एज (Age):
अल्सरेटिव कोलाइटिस आमतौर पर 30 साल की उम्र से पहले शुरू होता है। हालांकि, यह किसी भी उम्र में हो सकता है, और कुछ लोगों को 60 साल की उम्र तक इस बीमारी का कोई लक्षण नजर नहीं आता।
स्किन कलर (Skin color):
गोरे रंग के लोगों में संक्रमण (Infection) का सबसे अधिक खतरा होता है, लेकिन यह बीमारी किसी भी स्किन कलर वाले को हो सकती है।
फैमिली हिस्ट्री (Family history):
अगर आपके घर में किसी को यह बीमारी है तो इसका खतरा आपके लिए और बढ़ जाता है। जैसे कि माता-पिता, कोई रिश्तेदार या आपके भाई -बहन में यह बीमारी होना।
आइसोट्रेटिनियोन का उपयोग करना:
आइसोट्रेटिनियोन एक दवा है जो कभी-कभी पिम्पल के निशान या पिम्पल का इलाज करने के लिए उपयोग की जाती है। कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि यह यूसी का एक रिस्क फैक्टर है लेकिन, अल्सरेटिव कोलाइटिस और आइसोट्रेटिनियोन के बीच कोई क्लियर कनेक्शन नहीं नजर आता है।
प्रदान की गई जानकारी किसी भी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
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कैसे लगाएं अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative Colitis) का पता ?
डॉक्टर फेमिली हिस्ट्री और फुल बॉडी चेकअप (Body checkup) करके बीमारी को डायग्नोस करेंगे। ब्लीडिंग और इंफेक्शन के टेस्ट के लिए डॉक्टर ब्लड सैंपल (Blood sample) और स्टूल का सैंपल लेते हैं। यूसी का पता एंडोस्कोपी द्वारा भी लगाया जा सकता है। फ्लेक्सिबल सिग्मोइडोस्कोपी के द्वारा डॉक्टर आपके कोलोन की जांच करता है।
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कैसे करें अल्सरेटिव कोलाइटिस का उपचार? (Treatment for Ulcerative Colitis)
- उपचार का मुख्य उद्देश्य सूजन (Swelling) को रोकना और कॉम्प्लिकेशन को कम करना होता है।
- अल्सरेटिव कोलाइटिस के इलाज के लिए मुख्य रूप से इंफ्लमेटरी ड्रग्स (Drugs) का इस्तेमाल किया जाता है। जिसमे मेसलामाइन, सल्फसेलजीन (Sulfasalazine), ऑल्सालजीन और स्टेरॉइड शामिल है। मेसलामाइन का उपयोग बीमारी को बढ़ाने वाले लक्षणों को कंट्रोल करने के लिए किया जाता है। ज्यादा गंभीर स्थिति में अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ सकती है। जिससे पेट को आराम देने के लिए इंटरवेनस का उपयोग किया जा सके।
- जब दवाएं काम नहीं करती हैं या बीमारी गंभीर हो जाती है तब लगभग 25% रोगियों को सर्जरी की आवश्यकता होती है। सर्जरी में कोलोन के हिस्से को निकाल दिया जाता है।