गर्भावस्था के दौरान सेहत का खास ख्याल इसलिए रखना चाहिए, क्योंकि आपके गर्भ में एक जान पल रही है। इसलिए आप इस दौरान अपने खानपान का विशेष ध्यान रखें। वैसे भी गर्भावस्था के दौरान महिला में शारीरिक और मानसिक बदलाव होते हैं, जिसका जिम्मेदार हॉर्मोन होता है। गर्भावस्था में आपको निम्न पोषक तत्वों को लेना बहुत जरूरी है :
आयोडीन
एक गर्भवती के लिए आयोडीन लेना बहुत जरूरी होता है। आयोडीन बच्चे के मानसिक विकास के लिए एक जरूरी पोषक तत्व है। इसके लिए आपको पालक, दूध, आलू (छिलके के साथ), आयोडाइज्ड नमक, दही, मछली, उबले अंडे आदि खाना चाहिए।
फॉलिक एसिड
फॉलिक एसिड बच्चे में हड्डियों, खून और मस्तिष्क विकास के लिए बहुत जरूरी पोषक तत्व है। इसलिए आपको अपने डायट में पत्तागोभी, भिंडी, पालक, गाजर, मटर, संतरा, मछली आदि को शामिल करना चाहिए।
आयरन
आयरन की जरूरत तो गर्भावस्था में बहुत अहम मानी जाती है। इसके लिए डॉक्टर आपको गर्भावस्था के दौरान आयरन की गोलिया भी खाने के लिए देते हैं। आयरन को प्राप्त करने के लिए आप चौलाई या लाल पालक, पालक, पत्ता गोभी, मूली, सरसों, गुड़, उबले अंडे, चिकन आदि खाएं।
विटामिन बी 12
ब्रेस्टफीडिंग के 1000 दिन में विटामिन बी 12 का सेवन एक गर्भवती के लिए बेहद जरूरी है। रोजाना विटामिन बी 12 की 1.2 माइक्रोग्राम की मात्रा का सेवन करने से बच्चे के ब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड का सुचारु विकास हो सकता है। विटामिन बी 12 के लिए आपको अपनी थाली में सोयामिल्क, मूंगफली, दूध, दही, मछली, उबले अंडे, चिकन आदि को शामिल करना चाहिए।
विटामिन डी
विटामिन डी बच्चे के हड्डियों के विकास के लिए बहुत जरूरी पोषक तत्व है। इसके लिए आपको विटामिन डी की रोजाना 1.10 मिलीग्राम मात्रा गर्भवती महिला को लेना जरूरी है। इसके लिए आपको मशरूम, बादाम, दूध, दही, उबले अंडे, मछली का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा आपको रोजाना सुबह की हल्की धूप भी लेना चाहिए, क्योंकि सूर्य की रोशनी शरीर में विटामिन डी को स्टीम्यूलेट करता है।
ओमेगा 3
ओमेगा 3 बच्चे के आंखों और ब्रेन के लिए बहुत जरूरी पोषक तत्व है। इसके लिए आपको ओमेगा 3 का सेवन करना चाहिए। इसके लिए आपको अपने डायट में हरा पत्तेदार सब्जियां, अखरोट, सरसों का तेल, राइस ब्रान ऑयल, चिया सीड, मछली, फलियां आदि का सेवन करें।
ये सभी पोषक तत्व महिला को ब्रेस्टफीडिंग के 1000 दिन में ना सिर्फ गर्भावस्था के दौरान बल्कि डिलिवरी के बाद भी लेना चाहिए। क्योंकि मां के दूध से ही बच्चे के शरीर में पोषक तत्व पहुंचता है।
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ब्रेस्टफीडिंग के 1000 दिन : मां का पहला दूध है अमृत
ब्रेस्टफीडिंग के 1000 दिन में 231वां दिन बच्चे का इस दुनिया में पहला दिन होता है। ऐसे में अब वह अपनी मां के शरीर से बाहर होता है और अब भी वह मां के द्वारा दिए जाने वाले भोजन पर ही निर्भर होता है। मां का दूध ही बच्चे के लिए अमृत होता है। मां का पहला पीला गाढ़ा दूध बच्चे को जन्म के एक घंटे के भीतर ही पिलाना चाहिए। ये बच्चे के लिए अमृत होता है। मां के पहले दूध में बच्चे के शरीर में इम्यूनिटी को विकसित करने के लिए पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसलिए बच्चे को मां का पहला दूध जरूर पिलाएं।
ब्रेस्टफीडिंग के 1000 दिन : छह महीने तक मां का दूध है जरूरी
ब्रेस्टफीडिंग के 1000 दिन में बच्चे का जन्म के बाद छह महीने तक का समय सिर्फ मां के दूध पर ही बीतना चाहिए। वहीं, इस दौरान बच्चे को कोई भी ऊपरी चीज ना दें, यहां तक कि पानी भी नहीं। पानी की मात्रा मां के दूध से बच्चे में पहुंचती रहती है। इस दौरान मां को अपने खानपान का ख्याल रखना चाहिए, जिससे मां के दूध से होते हुए बच्चे में सही पोषण जा सके और बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास हो सके।
ब्रेस्टफीडिंग के 1000 दिन : छह महीने के बाद बच्चे को स्तनपान के साथ आहार भी दें
अन्नप्राशन की रस्म बच्चे के छह महीने पूरे होने पर निभाई जाती है। ये रस्म भले ही हमारी परम्परा है, लेकिन इसका वैज्ञानिक कारण है कि ब्रेस्टफीडिंग के 1000 दिन के दौरान बच्चे को छठे महीने से स्तनपान के साथ कुछ गिला भोजन भी खिलाना चाहिए। जैसे- दाल के पानी में मसली हुई रोटियां, केला या किसी भी मुलायम फल के गूदे को मसल कर खिलाएं। बस बच्चे को खाना खिलाने के दौरान आपको साफ सफाई का ध्यान रखना होगा।