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प्रेग्नेंसी में हाॅर्मोनल बदलाव (Hormonal changes in pregnancy) : ह्यूमन कोरियॉनिक गोनाडोट्रॉपिन (hCG)
प्रेग्नेंसी में हॉर्मोनल बदलाव में ह्यूमन कोरियॉनिक गोनाडोट्रॉपिन भी मुख्य है। गर्भ ठहरने के बाद सबसे पहले प्लसेंटा से ह्यूमन कोरियॉनिक गोनाडोट्रॉपिन (hCG) हॉर्मोन का निर्माण होने लगता है। प्रेग्नेंसी टेस्ट से hCG की जानकारी मिल जाती है। गर्भ धारण के शुरुआती दिनों में इसका लेवल कम होता है लेकिन, कुछ ही दिनों में ह्यूमन कोरियॉनिक गोनाडोट्रॉपिन हॉर्मोन का लेवल बढ़ने लगता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, गर्भधारण के बाद ह्यूमन कोरियॉनिक गोनाडोट्रॉपिन हॉर्मोन हर 48 घंटे में डबल होने लगता है। ह्यूमन कोरियॉनिक गोनाडोट्रॉपिन (hCG) हॉर्मोन के कारण ब्लॉटिंग (पेट फूलना), पेट दर्द, पेल्विक फ्लोर मसल्स में दर्द, मतली और उल्टी आना, स्किन प्रॉब्लम्स, वजन बढ़ना, नींद न आना, सिरदर्द और स्तन में बदलाव होते हैं।
प्रेग्नेंसी में हाॅर्मोनल बदलाव में प्रोजेस्ट्रॉन (Progestron) में बदलाव भी है शामिल
ओवरी से प्रोजेस्ट्रॉन रिलीज होता है। प्रोजेस्ट्रॉन लेवल में बदलाव के कारण पीरियड्स (मासिकधर्म) अनियमित हो जाते हैं। गर्भ ठहरने के लिए प्रोजेस्ट्रॉन की अहम भूमिका होती है। प्रोजेस्ट्रॉन के लेवल में आ रहे बदलाव के कारण मूड स्विंग्स, डिप्रेशन और एकने जैसी परेशानी शुरू हो जाती हैं। इस तरह प्रेग्नेंसी में हाॅर्मोनल बदलाव का महिलाओं के व्यवहार पर गहरा असर पड़ता है।
प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को सेक्स करने की इच्छा भी नहीं होती है। प्रेग्नेंसी के दौरान सेक्स का आनंद उठाया जा सकता है लेकिन कुछ महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान सेक्स करने से डरती है। साथ ही महिलाओं में हार्मोन में बदलाव के कारण सेक्स ड्राइव में कमी भी होती है। इस कारण से महिलाएं सेक्स से झिझकती हैं। अगर प्रेग्नेंसी के दौरान कुछ बातों पर ध्यान दिया जाए तो सेक्स का आनंद भी लिया जा सकता है।

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प्रेग्नेंसी में हाॅर्मोनल बदलाव (Hormonal changes during pregnancy) में ईस्ट्रोजन में भी होता है बदलाव
ईस्ट्रोजन हॉर्मोन महिलाओं के लिए बेहद जरूरी है। ईस्ट्रोजन की कमी के कारण अनियमित पीरियड्स, तनाव और इनफर्टिलिटी की समस्या शुरू हो सकती है। प्रेग्नेंसी के दौरान ईस्ट्रोजन गर्भ में पल रहे भ्रूण (Embryo) के विकास में सहायक होता है।