प्रेग्नेंसी में पोषण की कमी से होने वाले खतरे
महिला जब गर्भधारण करती है उस वक्त बॉडी में पोषण की स्थिति प्रेग्नेंसी के दौरान उसके स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। इसका असर बच्चे पर भी पड़ता है। प्रेग्नेंसी से पहले उसके और बच्चे के लिए कितने पोषक तत्वों की जरूरत है इसका पता लगाया जाना चाहिए। अगर किसी महिला को गर्भधारण करने से पहले संपूर्ण पोषण ना मिल रहा हो, तो वह गर्भधारण के वक्त कुपोषित और अंडरवेट हो सकती है।
उसकी सेहत पर इसका असर पूरी प्रेग्नेंसी के दौरान रह सकता है। गर्भधारण करते वक्त उसके स्वास्थ्य की स्थिति भ्रूण को भी प्रभावित करती है। यहां तक कि इसका असर दीर्घकालीन समय में शिशु पर भी पड़ता है।
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प्रेग्नेंसी में पोषण की कमी से मां के लिए खतरा
गर्भधारण के समय जिन महिलाओं को संपूर्ण पोषण नहीं मिलता है, वे प्रेग्नेंसी के दौरान भी पोषण के स्तर को सुधारने में कामयाब नहीं हो पाती हैं। इस दौरान बॉडी में शिशु का विकास होने की वजह से पोषण की अतिरिक्त मांग बढ़ जाती है। कुपोषित महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान पर्याप्त वजन नहीं बढ़ा पाती हैं, जिसके चलते गर्भावस्था के दौरान उनकी मृत्यु तक हो सकती है।
कुपोषित शिशुओं के लिए खतरा
प्रेग्नेंसी में पोषण की कमी से बच्चों में बर्थ डिफेक्ट और मेंटल हेल्थ से जुड़ी परेशानियां हो सकती हैं। पहले ट्राइमेस्टर के दौरान मां के कुपोषित होने के चलते बच्चे को भविष्य में मोटापा, कॉरनरी हार्ट डिजीज होने का खतरा रहता है। यदि दूसरे या तीसरे ट्राइमेस्टर में महिला बुरी तरह कुपोषित है तो शिशु में ग्लूकोज को झेलने की झमता नहीं होती, फेफड़ों की बीमारी, हाइपरटेंशन, दो प्रकार की डायबिटीज, ऑस्टियोपरोसिस और अंगों के डायफ्यूजन होने का खतरा बढ़ जाता है। इस प्रकार के बच्चों को आजीवन जल्दी संक्रमण होने का खतरा रहता है। प्रेग्नेंसी में पोषण की कमी होने से बच्चे का इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है जिसकी वजह से उसे बीमारी लगने का खतरा बना रहता है।
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प्रेग्नेंसी में पोषण की कमी से होने वाले खतरे
आयरन: आयरन का इस्तेमाल हीमोग्लोबिन बनाने में होता है। प्रेग्नेंसी के दौरान आयरन की कमी से बच्चे के इम्यून सिस्टम के विकास में बाधा आती है।
कैल्शियम: शिशु और मां की हड्डियों को मजबूत बनाने में कैल्शियम सबसे अहम होता है। इससे इम्यून सिस्टम, मसल्स और सर्कुलेटरी सिस्टम ठीक रहता है। अध्ययन के अनुसार प्रेग्नेंट महिला में कैल्शियम की कमी से नवजात शिशु में हाई ब्लड प्रेशर का खतरा हो सकता है।
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विटामिन डी: विटामिन डी
बच्चे की हड्डियों के निर्माण के लिए सबसे जरूरी होता है। इसकी कमी के चलते हड्डियों में असमानता आ जाती है, जिससे नवजात शिशुओं में रिकेटस का खतरा होता है।