क्या आप श्योर हैं कि आप लॉग आउट करना चाहते हैं?
डायबिटीज जिसे शुगर या मधुमेह के नाम से भी जाना जाता है। ब्लड में शुगर लेवल या ग्लूकोज की मात्रा अत्यधिक बढ़ जाने की स्थिति को डायबिटीज कहते हैं। डायबिटीज की समस्या होने पर प्यास अत्यधिक लगती है, यूरिन ज्यादा आता है और भूख भी ज्यादा लगती है। डायबिटीज दो तरह के होते हैं- टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज। आइए दोनों के बारे में विस्तार से जानते हैं…
डायबिटीज की चर्चा आम है और ज्यादातर लोगों को डायबिटीज (मधुमेह) की जानकारी होती भी है। हालांकि, गंभीर बीमारियों की लिस्ट में शामिल डायबिटीज, कभी भी और किसी भी उम्र में हो सकती है। दरअसल, शरीर में जब इंसुलिन की मात्रा बिगड़ने लगती है, तो ऐसी स्थिति में शुगर लेवल बिगड़ने लगता है और आप डायबिटीज के शिकार हो जाते हैं। डायबिटीज टाइप-1 और टाइप-2 दोनों में ही शरीर में इंसुलिन की मात्रा सामान्य से ज्यादा बढ़ने लगती है।
और पढ़ें : क्या है नाता विटामिन-डी का डायबिटीज से?
जब शरीर में इंसुलिन बनना बंद हो जाता है तब टाइप-1 डायबिटीज होता है। ऐसे में ब्लड शुगर लेवल को नॉर्मल रखना पड़ता है। जिसके लिए मरीज को पूरी तरह से इंसुलिन इंजेक्शन पर आश्रित रहना पड़ता है। टाइप-1 डायबिटीज बच्चों और किशोरों में होने वाली डायबिटीज की बीमारी है। बच्चों और युवा वयस्कों में यह अचानक से हो सकता है। शरीर में पैंक्रियाज से इंसुलिन नहीं बनने की स्थिति में ऐसा होता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार दवा से इसका इलाज संभव नहीं हो पाता है। इसलिए इंजेक्शन की मदद से हर दिन इंसुलिन लेना भी अनिवार्य हो जाता है।
[mc4wp_form id=”183492″]
और पढ़ें : डायबिटीज और इरेक्टाइल डिसफंक्शन, जानिए कैसे लायें सुधार
अगर शरीर में इंसुलिन की मात्रा कम होने लगे और शरीर उसे ठीक से इस्तेमाल नहीं कर पाता है, तो ऐसे स्थिति में डायबिटीज टाइप-2 की शिकायत शुरू हो जाती है। टाइप-2 डायबिटीज बहुत ही सामान्य है और यह 40 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों को होता है। ऐसा नहीं है की टाइप-2 डायबिटीज सिर्फ ज्यादा उम्र के लोगों को हो कभी-कभी यह बीमारी जल्दी भी हो सकती है।
इन कारणों के अलावा भी अन्य कारण हो सकते हैं।
किन कारणों से होता है टाइप-2 डायबिटीज
रिसर्च के अनुसार टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं। जैसे-
और पढ़ें : Diabetes : मधुमेह से बचने के प्राकृतिक उपाय
डायबिटीज होने पर प्रायः लोग खुद से ही निर्णय कर लेते हैं कि उन्हें क्या खाना है या क्या नहीं। लेकिन, ऐसा न करें। टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज में अंतर किसी भी स्थिति में डॉक्टर से सलाह लें। डॉक्टर से आहार भी जानें की आपके शरीर के अनुसार आपका आहार कैसा होना चाहिए?
रिसर्च के अनुसार टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज के पेशेंट को अपने आहार पर विशेष ध्यान रखने। दरअसल टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज के पेशेंट को होने निम्नलिखित आहार का सेवन करना चाहिए। जैसे-
आहार में शामिल करें कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate):
कार्बोहाइड्रेट तीन तरह के होते हैं जैसे- स्टार्च, शुगर और फायबर। कार्बोहाइड्रेट बीन्स, स्टार्च वाले सब्जी, फल, पास्ता और ब्रेड जैसे खाद्य पदार्थों के सेवन से प्राप्त किया जा सकता है। दरअसल कार्बोहाइड्रेट शुगर में बदलकर ब्लड में एब्सॉर्ब होने लगता है। इस कारण शुगर लेवल बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में टाइप-1 डायबिटीज के पेशेंट कार्बोहाइड्रेट की मात्रा का विशेष ख्याल रखना चाहिए। अगर ऐसे में आप लो ब्लड शुगर लेवल महसूस कर रहें हैं तो कार्ब का सेवन करना आपकी सेहत के लिए बेहतर हो सकता है।
फलों का सेवन करें (Eat Fruits):
ऐसा माना जाता है की टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज के पेशेंट को फलों का सेवन नहीं करना चाहिए लेकिन, ऐसा नहीं की टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज के पेशेंट फल नहीं कर सकते हैं। कम से कम फलों का सेवन करना चाहिए और टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज के पेशेंट पेर (नाशपाती) का सेवन कर सकते हैं। दरअसल नाशपाती में विटामिन-सी, विटामिन-के, फाइबर, मैग्नीशियम, पोटैशियम और मिनरल प्रचुर मात्रा में मौजूद होते हैं। इसके सेवन से इम्यूनिटी पावर बढ़ती है साथ ही यह डायबिटीज के मरीजों के लिए भी अत्यधिक लाभकारी होता है। डायबिटीज पीड़ित के लिए सामान्य जीवन जीना मुश्किल हो जाता है। डायबिटीज के कारण ब्लड शुगर लेवल शरीर के विभिन्न अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है। जिस कारण हार्ट अटैक, कम दिखाई देना या घाव का जल्दी न ठीक होना जैसी और भी शारीरिक समस्या शुरू हो सकती है
हरी सब्जियों का सेवन करें (Eat Green Veggies):
टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज पेशेंट के लोगों को अपने आहार में रोजाना हरी पत्तेदार सब्जियां, शताबरी (asparagus), चुकंदर, गाजर, अजवाइन, प्याज, काली मिर्च, स्प्राउट्स और टमाटर का सेवन नियमित रूप से करने से टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों को शुगर लेवल बैलेंस रखने में मददगार होता है।
और पढ़ें: बच्चों में डायबिटीज के लक्षण से प्रभावित होती है उसकी सोशल लाइफ
प्रोटीन और फैट का सेवन (Protein and Good Fats):
शरीर के मांसपेशियों को बनाए रखने और घावों को जल्दी ठीक होने के लिए प्रोटीन अत्यधिक महत्वपूर्ण है। वहीं वसा मस्तिष्क और हृदय को फिट रखने में मददगार होता है। ध्यान रखें की अपने आहार में प्रोटीन और फैट का सेवन अत्यधिक न करें।
किसी भी बीमारी का इलाज अगर ठीक से किया जाए तो आप जानलेवा बीमारी को हरा सकते हैं और आप स्वस्थ हो सकते हैं। अगर आप टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।
अपने बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) की जांच करने के लिए इस कैलक्युलेटर का उपयोग करें और पता करें कि क्या आपका वजन हेल्दी है। आप इस उपकरण का उपयोग अपने बच्चे के बीएमआई की जांच के लिए भी कर सकते हैं।
पुरुष
महिला
हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।
National Diabetes Statistics Report, 2017/https://www.cdc.gov/ Accessed on 03/07/2020
What is the difference between type 1 and type 2 diabetes?/https://jdrf.org.uk/ Accessed on 03/07/2020
Differences between Type 1 and Type 2 diabetes: https://www.diabetes.org.uk/diabetes-the-basics/differences-between-type-1-and-type-2-diabetes Accessed on 03/07/2020
What is the difference between type 1 and type 2 diabetes? https://jdrf.org.uk/information-support/about-type-1-diabetes/what-is-the-difference-between-type-1-and-type-2-diabetes/ Accessed on 03/07/2020
Diabetes: Differences Between Type 1 and 2: https://www.mottchildren.org/health-library/uq1217abc Accessed on 03/07/2020