के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट या ओजीटीटी शरीर द्वारा चीनी का उपयोग करने की क्षमता को मापता है, इस चीनी को ग्लूकोज कहा जाता है, यह बॉडी एनर्जी का मुख्य स्रोत है। ओजीटीटी का उपयोग प्रीडाइबिटीज और डायबिटीज के डायग्नोस के लिए किया जा सकता है। ओजीटीटी आमतौर पर गर्भावस्था (गर्भकालीन डाइबिटीज) के साथ होने वाली डाइबिटीज की जांच के लिए किया जाता है।
ज्यादातर डॉक्टर सलाह देते हैं कि सभी गर्भवती महिलाओं की गर्भकालीन डाइबिटीज की जांच की जानी चाहिए। डॉक्टर इस टेस्ट की सलाह गर्भवती महिलाओं को देते हैं जिनमे 24 से 28 सप्ताह के बीच का गर्भ पल रहा है।
जिस किसी व्यक्ति में डायबिटीज के शुरुआती लक्षण पाए जाते है उन्हें भी ये टेस्ट कराने के निर्देश दिए जा सकते है ।
ग्लूकोज शुगर का एक प्रकार है। व्यक्ति को खाने के माध्यम से शुगर प्राप्त होता है। ग्लूकोज ब्लड के माध्यम से पूरे शरीर में यानी सेल्स में जाता है। जब ग्लूकोज ब्लड में मिलता है तो इसे ब्लड ग्लूकोज या ब्लड शुगर कहते हैं। इंसुलिन हार्मोन की सहायता से ब्लड से ग्लूकोज सेल्स तक पहुंचता है जो कि एनर्जी और स्टोरेज का काम करता है। जब शरीर में इसकी मात्रा कम या ज्यादा हो जाती है तो समस्या होने लगती है। हाई ब्लड ग्लूकोज की मात्रा किडनी, आंखों के साथ ही शरीर के अन्य ऑर्गेन को भी नुकसान पहुंचा सकती है।
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भले ही आपका गर्भकालीन डाइबिटीज आपके बच्चे के जन्म के बाद दूर हो जाएगा लेकिन दोबारा माँ बनने की स्थिति में आपको गर्भकालीन डाइबिटीज होने का खतरा है। यदि आप फिर से गर्भवती हो जाती हैं और बाद में टाइप 2 डाइबिटीज से पीड़ित हो जाती हैं तो बच्चे के जन्म के 6 से 12 सप्ताह बाद, जब आप बच्चे को दूध पिलाना बन्द करती है उस दौरान आपका ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट होना चाहिए। यदि इस टेस्ट के रिजल्ट नॉर्मल हैं, तो भी आपको हर 3 साल में एक बार डाइबिटीज की जांच करानी होगी।
टेस्ट के दिन, निम्नलिखित कदम उठाए जाएंगे:
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उपवास करने से आपको बेहोशी या चक्कर आ सकते हैं। टेस्ट के बाद भोजन करना आपके लिए अच्छा रहेगा
टेस्ट किए जाने के बाद आप अपनी रिजल्ट रूटीन फॉलोें कर सकते हैं। आपका डॉक्टर आपकी हेल्थ कंडीसन पे बात करके आपका ट्रीटमेंट शुरू करेगा। हो सकता है कि डॉक्टर कुछ और टेस्ट कराने के लिए बोल दे। कृपया अपने डॉक्टर के निर्देशों का ध्यानपूर्वक पालन करें।
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यहां जारी की गई लिस्ट एक रिजल्ट वैल्यू को दिखाती है जिसे रिफ्रेंस रेंज कहा जाता है – यह सिर्फ एक मार्गदर्शिका है। आपकी लैब रिपोर्ट में उपयोग में आई सभी रेंज शामिल होनी चाहिए क्योंकि ये रेंज लैब दर लैब में अलग अलग होती हैं।
आपकी हेल्थ कंडीशन और अन्य कारकों को भी आपके टेस्ट रिजल्ट का मूल्यांकन करते समय ध्यान में रखा जाता है। इसलिए, एक वैल्यू जो यहां लिस्टेड रिजल्ट वैल्यू से बाहर है, वह आपके या आपके लैब के लिए अभी भी नॉर्मल हो सकता है।
बिना डायबिटीज वाले व्यक्तियों के लिए OGTT रिजल्ट –
फास्टिंग वैल्यू (बिफोर टेस्ट) : अंडर 6 mmol/L
2 घंटे में: 7.8 mmol/L
फास्टिंग वैल्यू (Fasting value before test) : 6.0 से 7.0 mmol/L
2 घंटे में -7.9 से 11.0 mmol/L
डायबिटिक लेवल (DIABETIC LEVELS)
फास्टिंग वैल्यू (परिक्षण के पहले) – 7.0 7.0 mmol/L से अधिक
2 घंटे में – 11.0 mmol/L से अधिक
अगर आपके बिगड़े हुए ग्लूकोज लेवल टॉलरेंस रेंज के भीतर है तो डॉक्टर आपको लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करने की सलाह दे सकता है। डॉक्टर आपको ऐसी डायट लेनी की भी सलाह दे सकता है जो ग्लूकोज को बॉडी में नियंत्रित रखें। साथ ही डॉक्टर ब्लड में शुगर लेवल को कंट्रोल करने की सलाह भी दे सकता है। अगर आप डायबिटिक रेंज के भीतर आते हैं तो ब्लड ग्लूकोज लेवल को कम करने के लिए खास तरह की मेडिकेशन की सलाह दी जा सकती है। ये सभी बातें टेस्ट के परिणाम पर निर्भर करती हैं। बेहतर होगा कि परिणाम आने के बाद अपनी जीवशैली में बदलाव करें। हो सके तो रोजाना एक्सरसाइज के साथ ही योगा भी करें। खाने में जिन चीजों को इग्नोर करने की सलाह दी गई है, उनसे परहेज करें। अगर आप डॉक्टर की सलाह पर ध्यान देंगें तो आपका शरीर स्वस्थ्य रहेगा और साथ ही बॉडी का ग्लूकोज लेवल भी नियंत्रण में रहेगा। आप अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से परामर्श कर सकते हैं।
कई दूसरी हेल्थ कंडीशन आपके ब्लड शुगर लेवल को बदल सकती हैं। आपका डॉक्टर आपके सिम्टम्स और पहले की हेल्थ कंडीसन के दौरान कराए किसी भी एब्नॉर्मल टेस्ट रिजल्ट के बारे में बात कर सकता है
प्रयोगशाला और अस्पताल के आधार पर, ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट के लिए रिजल्ट वैल्यू अलग अलग हो सकती है। टेस्ट के बारे में यदि आपके मन मे कोई प्रश्न है तो कृपया अपने डॉक्टर से बात करे।
उपरोक्त दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से जानकारी लें।
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