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पोस्टप्रांडियल ब्लड शुगर क्या है और इसे कैसे नियंत्रित किया जा सकता है?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Anu sharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 17/05/2021

    पोस्टप्रांडियल ब्लड शुगर क्या है और इसे कैसे नियंत्रित किया जा सकता है?

    पोस्टप्रांडियल ब्लड शुगर (Postprandial blood sugar) यानी खाना खाने के कुछ समय बाद का ब्लड शुगर का लेवल। कुछ लोगों के शरीर में भोजन करने के बाद अस्थायी रूप से ब्लड शुगर बढ़ जाता है। इस स्थिति में थोड़ी मात्रा में कुछ खाने भर से ही ब्लड शुगर का लेवल बढ़ जाता है। लेकिन, अगर पोस्टप्रांडियल ब्लड शुगर (Postprandial blood sugar) बहुत अधिक बढ़ जाए तो यह आपके जीवन को प्रभावित कर सकती है और इसके कारण गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। यह समस्या उन लोगों में भी सामान्य है, जिन्हें डायबिटीज नहीं है।

    जिन लोगों को डायबिटीज नहीं है, उनमें कार्बोहाइड्रेट के सेवन से मूल रूप से दो तरह के रिएक्शंस हो सकते हैं, जैसे  1) उसी समय ब्लडस्ट्रीम में से इंसुलिन का निकल जाना 2) एक ऐसे हॉर्मोन का बनना जिसे एमेलन (Amylin) कहा जाता है। यह हार्मोन भोजन को आंतों तक बहुत जल्दी पहुंचाता है। ज्यादातर मामलों में, भोजन के बाद ब्लड शुगर में वृद्धि को नोटिस करना मुश्किल है। जानिए पोस्टप्रांडियल ब्लड शुगर को कैसे नियंत्रित किया जा सकता है।

    कितना होना चाहिए पोस्टप्रांडियल ब्लड शुगर (Postprandial blood sugar) का स्तर ?

    पोस्टप्रांडियल ब्लड शुगर (Postprandial blood sugar) का लेवल कैसा होना चाहिए जानिए, खाने के बाद ब्लड शुगर कितनी होनी चाहिए,यह कई चीजों पर निर्भर करता है जैसे आपकी उम्र, स्वास्थ्य स्थिति आदि। खाने के दो घंटे बाद आपका शुगर लेवल इस प्रकार होना चाहिए:

    • 5 साल से कम उम्र के बच्चे की- 250 mg/dL से कम
    • स्कूल जाने वाले बच्चे की (6 से 11 साल की उम्र)- 225 mg/dL से कम
    • किशोर की (१२ से १८ साल की उम्र) -200 mg/dL से कम
    • वयस्क जो इन्सुलिन ले रहे हों – 180 mg/dL से कम
    • टाइप-2 डायबिटीज पीड़ित जो इन्सुलिन नहीं ले रहे हों -140 mg/dL से कम
    • गर्भवस्था में डायबिटीज होने की स्थिति में- 140 mg/dL से कम

    अगर आपके कुछ खाने के दो घंटों बाद भी आपके शरीर में ब्लड ग्लूकोज लेवल अधिक है या जेस्टेशनल डायबिटीज ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट के एक घंटे बाद अधिक हो, तो इसका मतलब है कि आपको इंसुलिन संबंधित कोई समस्या है। पोस्टप्रांडियल ब्लड शुगर (Postprandial blood sugar) का लेवल कितना होना चाहिए यह जानने के लिए अपने डॉक्टर से सलाह लें। क्योंकि वो आपकी स्वास्थ्य स्थिति, उम्र आदि कारकों को जानकर इस बारे में आपको सही बता सकते हैं।

    नोट

    हालांकि, पोस्टप्रांडियल स्पाइक्स यानी पोस्टप्रांडियल ब्लड शुगर (Postprandial blood sugar) के लेवल का बढ़ना और कम होना स्थायी नहीं है। लेकिन, पूरे दिन होने वाले इस उतार-चढ़ाव के कारण शरीर में  HbA1c का लेवल बढ़ जाता है। HbA1c (Hemoglobin A1C ) हीमोग्लोबिन का एक प्रकार है, जो केमिकली शुगर से जुड़ा हुआ है। इसका अर्थ यह है पोस्टप्रांडियल ब्लड शुगर के लेवल को कम करना बेहद आवश्यक है। यदि आप इस पर नियंत्रण चाहते हैं, तो आपको भोजन से पहले के साथ साथ भोजन के बाद की ग्लूकोज पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।

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    पोस्टप्रांडियल ब्लड शुगर का स्तर बढ़ने से होने वाली समस्याएं

    • पोस्टपैंडियल हाइपरग्लेसेमिया के दीर्घकालिक प्रभावों का बड़े पैमाने पर अध्ययन किया गया है। ऐसा पाया गया है कि जिन लोगों को टाइप 1 डायबिटीज है। उनके शरीर में अगर पोस्टप्रांडियल ब्लड शुगर (Postprandial blood sugar)  बढ़ती है तो इससे किडनी सम्बन्धी रोग या आंखों की समस्या हो सकती है। इसके साथ ही हाल ही में हुए अध्ययन के मुताबिक, भोजन के बाद के शुगर के बढ़ने और ब्लड ग्लूकोज में परिवर्तन आने से दिमाग संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं।
    • यह समस्याएं केवल स्वास्थ्य सबंधी समस्याओं तक सीमित नहीं हैं। किसी भी समय ब्लड शुगर के बढ़ने से हमारे जीवन की गुणवत्ता कम हो जाती है। इससे शरीर ऊर्जा कम हो जाती है, सोचने-समझने क्षमता कमजोर हो जाती है और मूड बदल जाते हैं। यानी पीड़ित व्यक्ति कोई भी काम करने में असमर्थ रहता है।

    और पढ़ें: Quiz : फिटनेस क्विज में हिस्सा लेकर डायबिटीज के बारे में सब कुछ जानें।

    पोस्टप्रांडियल ब्लड शुगर का नियंत्रण (How to control postprandial blood sugar)

    पोस्टप्रांडियल ब्लड शुगर (Postprandial blood sugar) को बढ़ने से नियंत्रित करने के लिए आप कुछ आसान तरीके अपना सकते हैं जैसे:

    सही इंसुलिन (Insulin) का प्रयोग

    पोस्टप्रांडियल ब्लड शुगर (Postprandial blood sugar) को नियंत्रित करने के लिए सही इंसुलिन आपकी क्षमता को प्रभावित कर सकती है। इसमें आमतौर पर, इंसुलिन जो जल्दी और थोड़े समय के लिए काम करती है वो अधिक उपयोगी है। उदाहरण के लिए, रैपिड-एक्टिंग इंसुलिन एनालॉग्स (हैमोग्ल, नोवोलोग या एपिड्रा) भोजन के बाद की ब्लड शुगर को नियंत्रित करने के लिए बेहतर है। नए अल्ट्रा-रैपिड इंसुलिन, जैसे की (Fiasp) और भी तेज़ी से काम करते हैं।

    और पढ़ें: Type 2 Diabetes: टाइप 2 डायबिटीज क्या है?

    सही दवाई का चुनाव करें (Choose right medicine)

    पोस्टप्रांडियल ब्लड शुगर (Postprandial blood sugar) की स्थिति में भी आपको डॉक्टर द्वारा बताई गयी दवाइयों को सही तरीके और सही समय पर लेना चाहिए। डॉक्टर की सलाह के बिना किसी भी दवाई का सेवन करना आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।

    कम और संतुलित खाएं (Eat less and balanced)

    जब आप भोजन या नाश्ता करते हैं तो उसके एक हिस्से को एक या दो घंटे बाद के लिए बचा लें। एक बार में पूरा भोजन न खाएं। उदाहरण के लिए, यदि आपके पास नाश्ते के लिए पोहा का एक कटोरा और नारियल पानी है, तो उस समय पोहा खा लें, और उसके एक या दो घंटे बाद नारियल पानी पीएं। संतुलित आहार लें ऐसा भोजन लें जिसमें प्रोटीन, फाइबर हो जैसे अनाज, फल और सब्जियां। अधिक चीनी या प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों को लेने से बचे, खासतौर पर खाली पेट इन्हें न लें। अल्कोहलिक पेय और अल्कोहल भी न पीएं। अपनी ब्लड  शुगर को समय-समय पर जांचें। खासतौर पर भोजन करने से पहले भी इसकी जांच अवश्य करें।

    और पढ़ें: Uric Acid Blood Test : यूरिक एसिड ब्लड टेस्ट क्या है?

    शारीरिक गतिविधियां (Physical activities)

    शारीरिक गतिविधियां और व्यायाम आदि शुगर के नियंत्रण के लिए बहुत आवश्यक हैं। खाने के बाद कुछ देर शारीरिक गतिविधियां करने से आप पोस्टप्रांडियल ब्लड शुगर (Postprandial blood sugar) के बढ़ने की समस्या को कम कर सकते हैं। खाने के बाद दस से पंद्रह मिनटों तक कुछ न कुछ शारीरिक गतिविधि अवश्य करें। इसका अर्थ हैं कि खाने के बाद अधिक समय तक बैठे न रहें।

    सुबह का नाश्ता अवश्य करें 

    चाहे सुबह आपको जितनी भी जल्दी हो लेकिन सुबह के नाश्ते को न छोड़े। एक अध्ययन के अनुसार लोग जिन्हें डायबिटीज है और जो नाश्ता नहीं करते हैं। उनमें पोस्टप्रांडियल स्पाइक्स यानी ब्लड शुगर के बढ़ने की संभावना अधिक होती है।

    तनाव से बचें (Avoid stress)

    तनाव भी पोस्टप्रांडियल ब्लड शुगर (Postprandial blood sugar) को बढ़ने का एक कारण हो सकता है इसलिए तनाव, चिंता और अवसाद से दूर रहना आवश्यक है। इसके लिए आप सकारात्मक रहें, योग करें, अपने पसंद के कार्य में व्यस्त रहें, पर्याप्त नींद लें या दोस्तों व प्रियजनों के साथ समय बिताएं। इससे ब्लड शुगर को नियंत्रित होने में मदद मिलेगी।

    ऊपर दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। इसलिए किसी भी दवा या सप्लिमेंट का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूर करें। आपको इस आर्टिकल के माध्यम से पोस्टप्रांडियल ब्लड शुगर(Postprandial blood sugar)  के बारे में जानकारी मिल गई होगी। अगर मन में अधिक प्रश्न हैं, तो बेहतर होगा कि इस बारे में डॉक्टर से पूछें। आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं और अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।

    डिस्क्लेमर

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