दांतों में सेंसिटिविटी (tooth sensitivity) पैरासोम्निया के कारण परेशान कर सकती है। रात में दांतों को पीसने की आदत भी देखने को मिलती है। दांत में दर्द जबड़े, चेहरे या गर्दन का दर्द, कान का दर्द आदि समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है।
नॉन रैपिड आई मूवमेंट स्लीप के दौरान लोग कुछ भी खा सकते हैं। खाने के साथ ही टॉक्सिक फूड खाने की भी संभावना रहती है, जो शरीर को नुकसान पहुंचा सकते हैं। वहीं कुछ लोग सोते हुए मैसेज भी कर सकते हैं। सोते समय सेक्शुअल बिहेवियर, सोते हुए ड्राइविंग करना आदि पैरासोम्निया के दौरान देखने को मिलता है। अब तो आप समझ ही गए होंगे कि पैरासोम्निया नींद खराब करने के साथ ही किस तरह से शरीर को खतरे में डालने का काम करता है। अगर बीमारी का सही समय पर इलाज न कराया गया, तो जान का खतरा भी हो सकता है।
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पैरासोम्निया को कैसे किया जाता है डायग्नोज (Diagnosing a parasomnia)
स्लीप स्पेशलिस्ट आपसे स्लीपिंग बिहेवियर के बारे में जानकारी ले सकते हैं। पिछली मेडिकल कंडीशन के साथ ही डॉक्टर मेडिकेशन, लाइफस्टाइल और फैमिली हिस्ट्री के बारे में जानकारी ले सकते हैं। आपके साथ सोने वाले व्यक्ति को आपके नींद के पैटर्न के बारे में अच्छे से जानकारी होगी। डॉक्टर नींद के पैटर्न के बारे में भी पूछ सकते हैं। डॉक्टर अधिक जानकारी के लिए पेशेंट को पॉलीसोम्नोग्राम (Polysomnogram) लैब में रात भर सोने के लिए कह सकते हैं ताकि स्लीप बिहेवियर के बारे में जानकारी मिल सके। ऐसे में ब्रेन वेव्स, ब्रीथिंग, हार्ट रेट भी चेक कर सकते हैं।
पैरासोम्निया का ट्रीटमेंट (Parasomnia treatment)
पैरासोम्निया का ट्रीटमेंट करने के लिए डॉक्टर लक्षणों के आधार पर दवाइयों का सेवन करने की सलाह देते हैं। कुछ मेडिसिन्न जैसे कि टोपिरामेट (topiramate),
एंटीडिप्रेसेंट्स (antidepressants), डोपामाइन एगानिस्ट (dopamine agonists),मेलाटोनिन (melatonin), लीवोडोपा (levodopa) आदि। आपको डॉक्टर ने जिन दवाओं का सेवन करने की सलाह दी है, उन्हें रोजाना समय पर लें और दवा का डोज भी पूरा करें।
डॉक्टर कॉग्नेटिव बिहेवियरल थेरिपी (Cognitive behavioral therapy) की मदद से भी पैरासोम्निया का ट्रीटमेंट किया जा सकता है। पैरासोम्निया मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा है, इसलिए कॉग्नेटिव बिहेवियरल थेरिपी की सलाह दी जाती है। साथ ही साइकोथेरिपी (psychotherapy), रिलेक्सेशन थेरिपी (relaxation therapy), हिप्नोसिस (hypnosis) आदि की सलाह भी देते हैं।
आपको ट्रीटमेंट के साथ ही नींद की आदतों में भी सुधार करने की जरूरत है। आप जिस स्थान में सो रहे हैं, वहां से सभी खतरनाक वस्तुओं को हटा दें। साथ ही खिड़कियों और दरवाजों को भी बंद कर दें ताकि सोते समय आप बाहर न जा सकें। चाहे तो फर्श में मोटे गद्दे भी डाल सकते हैं। ऐसा करने से गिरते समय चोट नहीं लगेगी। इन बातों का ध्यान रख इस स्लीप डिसऑर्डर से राहत पाई जा सकती है। आप अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से परामर्श कर सकते हैं। उपरोक्त जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं और अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।