नींद में आवाजे निकालना (Sleep-related groaning)
सोते समय तेजी से कराहने की आवजें निकालना कैटथ्रेनिया (Catathrenia) कहते हैं। ऐसे धीरे-धीरे सांस छोड़ने के कारण होता है। आपको बताते चले कि सोते समय खर्राटे मारना (snoring) और सोते समय कराहने की आवाजें निकालना (groaning), दोनों ही अलग प्रक्रिया हैं। सोते समय आवाजें निकालने की प्रक्रिया ब्रीथ यानी सांस से संबंधित नहीं है।
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नाइटमेयर यानी बुरे सामने आना (Nightmares)
सोते समय बुरे सपने आने से किसी की भी नींद टूट सकती है और फिर दोबारा सोना मुश्किल हो जाता है। इस कारण से गुस्सा, चिंता और डर मन में बना रहता है। अक्सर बुरा सपना देखने के कारण लोग भयभीत हो जाते हैं। कई बार तो एक ही नींद में कई सारे बुरे सपने दिखाई देते हैं। ये रैम स्लीप (Rapid eye movement sleep) के दौरान होता है।
नाइट टैरर (Night terrors)

नाइट टैरर या स्लीप टैरर के कारण व्यक्ति अचानक से उठ जाता है। नाइट टैरर 30 सेकेंड से 5 मिनट के लिए व्यक्ति को भयभीत कर देता है और व्यक्ति अचानक से चिल्लाने लगता है। ऐसे में दिल की धड़कन यानी हार्टबीट बढ़ जाती है और पसीना भी आने लगता है। नाइट टेरर कुछ समय के लिए होता है और ये नॉन रैप स्लीप के दौरान आता है।
बिस्तर गीला करना (Bedwetting)
बेडवेटिंग की समस्या बच्चों को होती है लेकिन पैरासोम्निया से पीड़ित व्यक्ति भी बिस्तर गीला कर सकते हैं। जब ब्लैडर में अधिक यूरिन होता है, तो यूरिन पास न करने की स्थिति में सोते समय बेड गीला हो जाता है। कुछ लोगों में यूरिनरी ट्रेक इन्फेक्शन के कारण भी ये स्थिति पैदा हो सकती है।
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सोते समय दांतों को चबाना
दांतों में सेंसिटिविटी (tooth sensitivity) पैरासोम्निया के कारण परेशान कर सकती है। रात में दांतों को पीसने की आदत भी देखने को मिलती है। दांत में दर्द जबड़े, चेहरे या गर्दन का दर्द, कान का दर्द आदि समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है।
नॉन रैपिड आई मूवमेंट स्लीप के दौरान लोग कुछ भी खा सकते हैं। खाने के साथ ही टॉक्सिक फूड खाने की भी संभावना रहती है, जो शरीर को नुकसान पहुंचा सकते हैं। वहीं कुछ लोग सोते हुए मैसेज भी कर सकते हैं। सोते समय सेक्शुअल बिहेवियर, सोते हुए ड्राइविंग करना आदि पैरासोम्निया के दौरान देखने को मिलता है। अब तो आप समझ ही गए होंगे कि पैरासोम्निया नींद खराब करने के साथ ही किस तरह से शरीर को खतरे में डालने का काम करता है। अगर बीमारी का सही समय पर इलाज न कराया गया, तो जान का खतरा भी हो सकता है।
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पैरासोम्निया को कैसे किया जाता है डायग्नोज (Diagnosing a parasomnia)
स्लीप स्पेशलिस्ट आपसे स्लीपिंग बिहेवियर के बारे में जानकारी ले सकते हैं। पिछली मेडिकल कंडीशन के साथ ही डॉक्टर मेडिकेशन, लाइफस्टाइल और फैमिली हिस्ट्री के बारे में जानकारी ले सकते हैं। आपके साथ सोने वाले व्यक्ति को आपके नींद के पैटर्न के बारे में अच्छे से जानकारी होगी। डॉक्टर नींद के पैटर्न के बारे में भी पूछ सकते हैं। डॉक्टर अधिक जानकारी के लिए पेशेंट को पॉलीसोम्नोग्राम (Polysomnogram) लैब में रात भर सोने के लिए कह सकते हैं ताकि स्लीप बिहेवियर के बारे में जानकारी मिल सके। ऐसे में ब्रेन वेव्स, ब्रीथिंग, हार्ट रेट भी चेक कर सकते हैं।