के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
हाइपरसोम्निया एक ऐसी बीमारी है जिसमें व्यक्ति को दिन में बहुत अधिक नींद आती है। यहां तक कि रात में अच्छी नींद लेने के बावजूद भी दिन में ज्यादा नींद आती है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को किसी भी समय नींद आ सकती है जैसे-काम करते समय या ड्राइविंग करते समय। हाइपरसोम्निया दो प्रकार का होता है-प्राइमरी और सेकेंडरी। प्राइमरी हाइपरसोम्निया होने पर कोई गंंभीर स्वास्थ्य समस्या नहीं बल्कि अधिक थकान जैसे लक्षण सामने आते हैं।
जबकि सेकेंडरी हाइपरसोम्निया पर्किंसन डिजीज, किडनी फेल होने और स्लिप एप्निया के कारण होती है। अगर समस्या बढ़ जाती है तो आपके लिए गंभीर स्थिति बन सकती है । इसलिए इसका समय रहते इलाज जरूरी है। इसके भी कुछ लक्षण होते हैं ,जिसे ध्यान देने पर आप इसकी शुरूआती स्थिति को समझ सकते हैं।
हाइपरसोम्निया एक स्लीप डिसॉर्डर है। यह बीमारी महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों को अधिक प्रभावित करती है। पूरी दुनिया में लाखों लोग हाइपरसोम्निया से पीड़ित हैं। ज्यादा जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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हाइपरसोम्निया का मुख्य लक्षण शरीर में लगातार थकान महसूस होना है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को पूरे दिन झपकी आती रहती है। साथ ही लंबे समय तक सोने के बावजूद नींद नहीं खुलती है। समय के साथ हाइपरसोम्निया के ये लक्षण सामने आने लगते हैं :
कभी-कभी कुछ लोगों में इसमें से कोई भी लक्षण सामने नहीं आते हैं और लंबी नींद लेने के बाद व्यक्ति को अचानक चक्कर आने लगता है।
ऊपर बताएं गए लक्षणों में किसी भी लक्षण के सामने आने के बाद आप डॉक्टर से मिलें। हर किसी के शरीर पर हाइपरसोम्निया अलग प्रभाव डाल सकता है। इसलिए किसी भी परिस्थिति के लिए आप डॉक्टर से बात कर लें।
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हाइपरसोम्निया आमतौर पर कई कारणों से होती है। प्राइमरी हाइपरसोम्निया ब्रेन सिस्टम में गड़बड़ी के कारण होती है जिससे सोने और जागने की क्रिया पर मस्तिष्क का नियंत्रण नहीं रहता है। सेकेंडरी हाइपरसोम्निया अधिक थकान और अपर्याप्त नींद के कारण होती है। जैसे कि स्लीप एप्निया के कारण हाइपरसोम्निया हो सकती है जिससे की रात में सांस लेने में कठिनाई होती है और रात में बार- बार व्यक्ति की नींद खुल जाती है।
कुछ दवाओं के प्रभाव के कारण भी हाइपरसोम्निया हो सकती है। लगातार दवाओं और एल्कोहल के सेवन से दिन के समय अधिक नींद आ सकती है। इसके अलावा सिर में चोट लगने या थॉयरायड के कारण भी हाइपरसोम्निया की समस्या हो सकती है।
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जो लोग स्लीप एप्निया, किडनी रोग, हृदय रोग, मस्तिष्क रोग और डिप्रेशन से पीड़ित होते हैं या जिनकी थॉयरायड ग्रंथि ठीक से काम नहीं करती है उन्हें दिन के समय अधिक थकान लगती है और हाइपरसोम्निया की समस्या बढ़ जाती है। इसके अलावा अधिक धूम्रपान या नियमित एल्कोहल का सेवन करने वाले लोगों को भी हाइपरसोम्निया की समस्या होने की संभावना होती है। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
हाइपरसोम्निया का पता लगाने के लिए डॉक्टर शरीर की जांच करते हैं और मरीज का पारिवारिक इतिहास भी देखते हैं। इसके अलावा मरीज के शरीर में दिखने वाले लक्षणों और दवाओं के सेवन के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं। इस बीमारी को जानने के लिए कुछ टेस्ट कराए जाते हैं :
इसके अलावा मरीज को एक स्लीप डायरी पर अपने सोने और जगने के समय को नोट करने के लिए कहा जाता है। इससे यह जानने में मदद मिलती है कि मरीज कितनी नींद ले रहा है और उसका स्लीप पैटर्न क्या है।
हाइपरसोम्निया का इलाज अलग-अलग होता है और आमतौर पर इस बीमारी के कारणों पर निर्भर करता है। लेकिन कुछ थेरिपी और दवाओं से व्यक्ति में हाइपरसोम्निया को कम किया जाता है। हाइपरसोम्निया के लिए यह मेडिकेशन की जाती है :
इसके अलावा हाइपरसोम्निया की समस्या से पीड़ित लोगों को अधिक एल्कोहल या ड्रग्स का सेवन नहीं करना चाहिए। रात में बिस्तर पर जाने के बाद लैपटॉप या मोबाइल का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। अपनी आदतों में सुधार करके हाइपरसोम्निया की बीमारी से काफी हद तक बचा जा सकता है।
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अगर आपको हाइपरसोम्निया है तो आपके डॉक्टर पोषक तत्वों से भरपूर आहार का सेवन करने के लिए कहेंगे। इससे शरीर में एनर्जी का स्तर बना रहता है और इस बीमारी के लक्षण कम दिखते हैं। इसके साथ ही आपको पर्याप्त पानी पीने की सलाह दी जाती है और ऐसी दवाओं का सेवन करने से बचने के लिए कहा जाता है जिनसे आपको अधिक सुस्ती या चक्कर आता हो। डॉक्टर आपको निम्न फूड के सेवन के लिए कह सकते हैं:
इसके साथ ही नाइट शिफ्ट करने से बचना चाहिए और एक शांतिपूर्ण वातावरण में नींद लेने की कोशिश करनी चाहिए जिससे हाइपरसोम्निया का जोखिम कम हो सकता है। इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।
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हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
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