जब आप रेम स्लीप स्टेज के आगे पहुंच जाते हैं तो शरीर में सुधार प्रक्रिया शुरू हो जाती है। हमारी कोशिकाएं फिर से बनती हैं, हड्डियों, मांसपेशियां और रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार होने लगता ह।
नींद के इन सारे चरणों से गुजरने में लगभग 70-90 मिनट लगते हैं और यह एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। रेम स्लीप सहित, एक पूरी नींद के चक्र में 90-110 मिनट लगते हैं और ज्यादातर लोग हर रात चार से छह स्लीप साइकिल (sleep cycle) पूरा करता है। रेम स्लीप की पहली अवधि आमतौर पर 10 मिनट तक रहती है। उसके बाद का प्रत्येक रेम स्लीप साइकिल लंबा हो जाता है और आखिर में एक घंटे तक चल सकता है। इस दौरान आपकी हृदय गति और श्वास तेज हो जाती है।
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हमें रेम स्लीप की आवश्यकता क्यों है?
- रेम स्लीप की अवस्था के बाद जब आप जागते हैं तो आप काफी रिफ्रेश और एक्टिव महसूस करते हैं। रेम स्लीप की अंतिम स्टेज है तो यदि आप इस दौरान नहीं सो पाते हैं तो अगले दिन आप काफी थकावट महसूस करते हैं।
- यदी आप बिना जागे पूरी रात एक लगातार नींद लेते हैं तो हमारा दिमाग न्यूरोटॉक्सिन (Neurotoxins) को हटाकर साफ कर देता है। जैसे-बीटा-एमाइलॉयड (beta-amyloid) नामक कुछ वेस्ट प्रोडक्ट, जो अल्जाइमर रोग (Alzheimer) वाले लोगों में पाए जाते हैं।
- रेम स्लीप स्टेज का सीधा संबंध प्रोटीन के निर्माण से है। एक रिसर्च के अनुसार रेम स्लीप का प्रभाव मेंटल स्किल्स पर पड़ता है। रेम स्लीप दिमाग के उन हिस्सों को उत्तेजित करती है जिनका उपयोग लर्निंग प्रोसेस में होता है। इसलिए, कहा जाता है कि रेम स्लीप वयस्कों की तुलना में बच्चों के लिए बहुत जरूरी होती है।
- रेम स्लीप हमारे दिमाग की दिनभर की गंदगी (खराब विचारों) को दूर करने में मदद कर सकती है। हालांकि, बाधित नींद का मतलब है कम रेम स्लीप , जिसका अर्थ है कि हम अपने विचारों को पूरी तरह से साफ नहीं कर पाए हैं या फिर हमें इसके लिए कम समय मिलता है।
- जिन लोगों को पर्याप्त मात्रा में रेम स्लीप नहीं आती है, उन्हें अल्जाइमर रोग और पार्किंसन (Parkinson’s disease) का हाई रिस्क हो सकता हैं। साथ ही सुबह उठने पर व्यक्ति को ताजगी महसूस नहीं होती है। ऐसे लोगों में दिन में सोने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।