“हैलो स्वास्थ्य” ने महिलाओं में इंसोम्निया के संबंध में डॉक्टर अरुण कुमार सिंह (चरक हॉस्पिटल, लखनऊ) से भी बात की। उन्होंने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि “कार्डियोवस्क्युलर बीमारी (Cardiovascular disease) को रोकने में मदद के लिए महिलाओं को नींद की गड़बड़ी के लिए स्क्रीन करना समझदारी हो सकती है। यही कारण है कि कई महिलाओं में इंसोम्निया की समस्या देखी जाती है।” महिलाओं में इंसोम्निया न केवल कार्डियोवस्क्युलर हेल्थ को, बल्कि ब्लड प्रेशर को भी प्रभावित करता है। कई बार तो अनिद्रा की समस्या उम्र बढ़ने के साथ-साथ बढ़ती जाती है।” हालांकि, महिलाओं में नींद की समस्या के कई कारण होते हैं लेकिन, हार्मोनल बदलाव के दौरान अनिद्रा की समस्या ज्यादा देखने को मिलती है।
महिलाओं में इंसोम्निया का कारण है हॉर्मोनल परिवर्तन (Hormonal changes)
हार्मोन में बदलाव के कारण ज्यादातर महिलाओं में इंसोम्निया की समस्या देखने को मिलती है। पेरिमेनोपॉज (perimenopause) यानी मेनोपॉज के पहले पीरियड्स का अनियमित होना और मेनोपॉज (menopause) में पीरियड्स बंद होने के दौरान, महिला के अंडाशय से एस्ट्रोजेन (estrogen) और प्रोजेस्टेरोन (progesterone), हॉर्मोन के उत्पादन में कमी आने लगती है। दरअसल, ये दोनों हॉर्मोन्स नींद को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार होते हैं। हार्मोन का यह परिवर्तन कभी-कभी अनिद्रा की समस्या पैदा करता है। इसके अलावा, एस्ट्रोजन का स्तर कम होने से आप आस पास के ऐसे वातावरण और अन्य कारकों के प्रति अतिसंवेदनशील हो सकते हैं जो नींद को बाधित करते हैं।
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हॉट फ्लैशेस (Hot flashes)
हॉट फ्लैशेस मेनोपॉज और पेरिमेनोपॉज का एक सामान्य लक्षण है जिसमें महिलाओं को अत्यंत पसीना आने के साथ ही उनकी दिल की धड़कन तेज हो जाती है। रात के समय ये लक्षण आपकी नींद में डालते हैं। इससे एक बार जागने के बाद दोबारा नींद आने में परेशानी आ सकती है।
मेनोपॉज (Menopause) के बाद नींद की समस्या