अमेरिकन साइकियाट्रिक एसोसिएशन (एपीए) के अनुसार, इंसोम्निया, सभी तरह के नींद विकारों में सबसे आम है। वैसे तो इंसोम्निया के उपचार के लिए कई तरह के मेडिकल ट्रीटमेंट उपलब्ध हैं लेकिन, अनिद्रा के उपचार के लिए मेडिटेशन भी एक बेहतर विकल्प है। योग एक्सपर्ट विपिन बलोनी (वाओ वेलनेस योगा सेंटर, लखनऊ) का कहना है कि “व्यस्त जीवनशैली और काम के तनाव की वजह से एड्रेनलाइन (Adrenaline) और कॉर्टिसोल (Cortisol) हार्मोन शरीर में ज्यादा बनने लगते हैं। ये हार्मोन मानसिक व शारीरिक प्रक्रिया पर आघात करके नींद में बाधा डालते हैं। इसलिए, इंसोम्निया के उपचार में मेडिटेशन मददगार साबित होता है। ‘ध्यान लगाने’ से इन हार्मोनों का स्राव कम होता है और नींद आने में मदद मिलती है।”
इंसोम्निया (Insomnia) क्या है?
नेशनल स्लीप फाउंडेशन की मानें तो 30% से 40% लोगों का कहना है कि उन्हें कभी-कभी इंसोम्निया की समस्या होती है। वहीं, 10% से 15% लोग कहते हैं कि उन्हें हर समय नींद न आने की समस्या से जूझना पड़ता है। दरअसल, इंसोम्निया नींद से जुड़ा एक प्रकार का विकार है। यह दो तरह का होता है- एक्यूट इंसोम्निया (Acute insomnia) और क्रोनिक इंसोम्निया (Chronic insomnia)। इससे ग्रस्त इंसान को सोने में दिक्कत आती है या वो सही तरह से सो नहीं पाता। नतीजतन, उसे पर्याप्त नींद नहीं मिल पाती है और उसका बुरा प्रभाव मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। अगर नींद की कमी ज्यादा दिनों तक बनी रहे, तो इंसान को हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक, इम्युनिटी पावर, डायबिटीज जैसी तमाम बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।