डायबिटीज एक ऐसी समस्या है, जिसमें ब्लड शुगर लेवल की मात्रा बढ़ जाती है। आज के दौर में बड़ों के साथ-साथ बच्चे भी डायबिटीज का शिकार हो रहे हैं। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के रिपोर्ट के अनुसार भारत में सबसे ज्यादा मधुमेह (डायबिटीज) के मरीज हैं। इस हिसाब से डायबिटीज की समस्या हमारे देश की बड़ी आबादी को अपना शिकार बना चुकी है। आज हम बात करेंगे डायबिटीज (Diabetes) से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी के बारे में, जिससे इस समस्या को समझने और इसका इलाज ढूंढने में आप सफल हो पाएं। चलिए सबसे पहले जानते हैं डायबिटीज (Diabetes) क्या है और क्या है डायबिटीज के प्रकार (Types of Diabetes)।
डायबिटीज क्या है? (What is Diabetes)
डायबिटीज को चिकित्सिक भाषा में डायबिटीज मेलिटस (diabetes mellitus) कहते हैं। यह मेटाबॉलिज्म से जुड़ी बहुत पुरानी और आम बीमारी है। डायबिटीज में, आपका शरीर इंसुलिन नाम के हॉर्मोन को बनाने और उसे इस्तेमाल करने की क्षमता खो देता है। डायबिटीज की बीमारी (Diabetes) होने पर आपके शरीर में ग्लूकोज की मात्रा बहुत अधिक बढ़ जाती है, यह स्तिथि आगे चल कर आंखों, किडनी, नसों और दिल से संबंधित गंभीर बीमारियों को जन्म दे सकती है। चलिए अब जानते हैं डायबिटीज के प्रकारों के बारे में।
डायबिटीज के प्रकार (Types of Diabetes)
डायबिटीज के प्रकार तीन होते हैं, जिन्हें टाइप 1 (Type 1 Diabetes) , टाइप 2 (Type 2 Diabetes) , और जेस्टेशनल डायबिटीज (gestational diabetes) कहा जाता है। ये तीनों ही समस्याएं आपको लम्बे समय तक परेशान कर सकती हैं। इसलिए इससे जुड़ी जानकारी होना बेहद जरूरी है। आइए शुरुआत करते हैं टाइप 1 डायबिटीज से।
टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes)
टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) या जुवेनाइल डायबिटीज एक तरह का ऑटोइम्यून विकार है जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम आंतों पर अटैक करता है, जिसके कारण शरीर में इंसुलिन की कमी हो जाती है और रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है।
अगर आप टाइप 1 डायबिटीज के शिकार हैं तो इसके लक्षण कम उम्र यानी बचपन से ही नजर आने लगते हैं।
टाइप 1 डायबिटीज का सटीक कारण स्पष्ट नहीं है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि टाइप 1 डायबिटीज विरासती और पर्यावरणीय कारकों के संयोजन से होती है।
वायरल बीमारी के संपर्क में जल्दी आने जैसी परिस्थितियां होती हैं।
डायबिटीज (Diabetes) ऑटोएंटीबॉडीज की उपस्थिति।
विटामिन-डी कि कमी, बच्चों को कम उम्र से ही गाय का दूध पिलाना और 4 महीने से कम उम्र में डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ जैसे सीरियल्स खिलाना।
यह टाइप 1 डायबिटीज का सीधा कारण तो नहीं हैं लेकिन यह उसके खतरे को बढ़ाते हैं।
फिनलैंड और स्वीडन जैसे देशों में टाइप 1 डायबिटीज के खतरे बहुत ज्यादा हैं।
डायबिटीज के प्रकार – टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes)
टाइप 2 डायबिटीज, डायबिटीज (Type 2 Diabetes) की बहुत आम प्रकार है जिसमें डायबिटीज के तमाम प्रकारों से जुड़े 90 से 95 प्रतिशत लोग इस केटेगरी में आते हैं। यह बीमारी ज्यादातर वयस्क के शरीर में अपनी जगह बनाती है। आजकल, मोटापा बढ़ने के कारण युवाओं और बच्चों में भी टाइप 2 डायबिटीज आम हो रही है। ऐसा मुमकिन है कि आपको भी टाइप 2 डायबिटीज हो, लेकिन आप इस बात से बेखबर हों।
टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) में आपके सेल्स इंसुलिन प्रतिरोधी हो जाते हैं और आपका अग्न्याशय (पैंक्रिया) जरुरत के मुताबिक इंसुलिन नहीं बना पाता। आपके सेल्स को ऊर्जा के लिए शकर की जरुरत होती है लेकिन इस स्तिथि में चीनी का निर्माण सेल्स के बजाय रक्तप्रवाह में होता है।
यह क्यों होता है इसका यकीनी उत्तर नहीं है, लेकिन डॉक्टरों का मानना है कि इसमें जेनेटिक्स (विरासत) और पर्यावरण अहम किरदार निभाते हैं। मोटापा इस बीमारी का सबसे मुख्य कारण है, लेकिन टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित हर शख्स मोटा नहीं होता।
डायबिटीज के प्रकार और भी हैं (Other types of diabetes)
अब तक हमने बात की टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज के बारे में, लेकिन इसके अलावा और भी दो तरह के डायबिटीज पाए जाते हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
डायबिटीज के प्रकार – जेस्टेशनल डायबिटीज
डायबिटीज के प्रकार में जेस्टेशनल डायबिटीज (gestational diabetes), डायबिटीज की वह है जो केवल गर्भवती महिलाओं को होती है। यह बीमारी गर्भवती महिला के साथ-साथ गर्भ में पलने वाले बच्चे को भी प्रभावित करती है। जेस्टेशनल डायबिटीज आमतौर पर डिलीवरी के बाद खत्म हो जाती है।
अन्य डायबिटीज (gestational diabetes) के प्रकार में विरासत में मिलना, सर्जरी या दवाओं के कारण होना, कुपोषण के जरिए होना, इंफेक्शन और दूसरी बिमारियों के नतीजे में होने वाली डायबिटीज शामिल हैं।
डायबिटीज के प्रकार – डायबिटीज इन्सिपिडस:
डायबिटीज का ये प्रकार में ऊपर बताई गई डायबिटीज के प्रकार से मिलता-जुलता है, लेकिन दरअसल यह किडनी में पानी न रुक पाने के कारण होता है। यह डायबिटीज़ का रेयर प्रकार है और इसका आसानी से इलाज किया जा सकता है।
जानें, क्यों है आपको डायबिटीज?
डायबिटीज़ की समस्या को समझने से पहले जानते हैं आपका शरीर किस प्रकार से ग्लूकोस का निर्माण करता है।
ग्लूकोज शरीर, खासतौर पर आपके दिमाग के सेल्स और मसल्स की ऊर्जा की जरुरत को पूरा करता है। ग्लूकोज की प्राप्ति आप जो खाना खाते हैं, उसके अलावा आपके लिवर और ग्लाइकोजन से होती है। अगर आपने अच्छी तरह से खाना न खाया हो और आपके रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बहुत कम हो, तो आप का लिवर ग्लाइकोजन के जरिए ग्लूकोज तैयार करेगा, जो आपके खून में शुगर के स्तर को बैलेंस कर सकेगा। इसके बाद यह ग्लूकोज पूरे शरीर के सेल्स में पहुंचाया जाएगा। लेकिन, आपके सेल्स में इंसुलिन नाम के हॉर्मोन की गैर-मौजूदगी में ग्लूकोज को सेल्स तक पहुंचाना मुश्किल हो जाएगा। इंसुलिन ग्लूकोज को आपके सेल्स तक पहुंचाने का काम करता है और खून में ग्लूकोज के लेवल को बढ़ने से रोकता है। फिर, चूंकि आपके खून में ग्लूकोज कम हो चुका है, पैंक्रियास के जरिए इन्सुलिन बनना भी कम हो जाएगा। जिसके कारण ग्लूकोज आपके रक्त में ही रह जाएगा। यह असंतुलन समय के साथ-साथ और बिगड़ सकता है और रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बहुत ज्यादा बढ़ सकती है, इस स्तिथि को हाइपरग्लायसेमिया के नाम से जाना जाता है। इस तरह आपको डायबिटीज (Diabetes) की दिक्कत हो सकती है और यह जीवन भर आपकी परेशानी का सबब बन सकती है।
डायबिटीज में हो सकती हैं ये कॉम्पलिकेशन (Complications of diabetes)
डायबिटीज एक ऐसी समस्या है, जो अपने साथ और भी कई शारीरिक व्याधियों को लेकर आ सकती है। ये धीरे-धीरे आपके शरीर में अपनी जगह बनाती है। इसलिए इससे जुड़ी जानकारी होना बेहद जरूरी है।
मधुमेह से होने वाली जटिलताएं बहुत सी हैं, उन्हीं में से एक है आंखों की समस्याएं (Eye Problems)। जिससे कुछ भी दिखाई देने (खासतौर पर रात को) में परेशानी हो सकती हैं। रोशनी से भी आंखों को परेशानी होगी। रोगी के अंधा होने का जोखिम भी रहता है।
मधुमेह हमारे शरीर को कई तरीके से प्रभावित कर सकता है। डायबिटीज के कारण रोगी के पैर और त्वचा में घाव और संक्रमण हो सकते हैं। ऐसा लंबे समय तक रहता है तो पैर, उंगलियां या टांग काटने की नौबत भी आ सकती है। संक्रमण (Infection) से आपके पैर, टांग और अन्य क्षेत्रों में दर्द, खुजली आदि भी हो सकती है।
डायबिटीज (Diabetes) के कारण ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करना मुश्किल हो सकता है। इसके कारण हार्ट-अटैक, स्ट्रोक और अन्य समस्याएं भी हो सकती है। इसके कारण टांगे और पैरों में खून के प्रवाह में मुश्किल होती है।
डायबिटीज के कारण शरीर के नर्वस को भी नुकसान हो सकता है। जिससे दर्द, जलन, झुनझुनी या सुन्नता हो सकती है। इसके कारण पुरुषों को इरेक्शन की समस्या भी हो सकती है।
डायबिटीज (Diabetes) के कारण भोजन को पचने में समस्या होती है। जिससे कमजोरी या पेट में अन्य समस्याएं हो सकती है।
ब्लड शुगर के बढ़ने से किडनी डैमेज भी ही सकती है। इससे किडनी अच्छे से काम नहीं करती या काम करना बंद कर सकती है।
मधुमेह से पीड़ित लोगों को तनाव हो सकता है। यही नहीं, महिलाएं डायबिटीज के कारण (Diabetes) अनियमित मासिक धर्म और गर्भवती होने में समस्या का अनुभव भी कर सकती है।
डायबिटीज के बढ़ने से हड्डियों की समस्याएं भी हो सकती है।
डायबिटीज के उपचार (Treatment of Diabetes) से लो ब्लड शुगर (हाइपोग्लाइसीमिया) भी हृदय रोग के खतरे को बढ़ा सकता है।
डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए?
आप ऊपर बताए गए डायबिटीज के प्रकार के लक्षणों को महसूस करते हों तो आपको डॉक्टर के पास चेकअप के लिए जाना चाहिए| इसके अलावा इन स्तिथियों में आपको फौरी तौर पर डॉक्टर की जरुरत पड़ सकती है:
बहुत ज्यादा उल्टी, मतली, चक्कर या कमजोरी महसूस होना|
बहुत ज्यादा प्यास लगना या बार-बार पेट दर्द के साथ पेशाब होना|
आपको अपने खून का शुगर लेवल बार-बार जांचने की जरुरत होगी और डायबिटीज बढ़ने या घटने के लक्षणों पर ध्यान देना होगा| डॉक्टर आपको इंसुलिन के इंजेक्शन के बारे में समझा देगा जिससे आप दिन में 2 से 3 बार खुद घर पर ही इंजेक्शन ले सकेंगे|
हालाँकि, टाइप 1 डायबिटीज का इलाज नहीं किया जा सकता, टाइप २ डायबिटीज को जीवन शैली में बदलाव ला कर नियंत्रण करने की कोशिश की जा सकती है|
लाइफस्टाइल में बदलाव से डायबिटीज में आराम संभव (Lifestyle modifications in diabetes)
लाइफ़स्टाइल का डायबिटीज़ की समस्या में एक अहम रोल माना जाता है। इसलिए एक हेल्दी और बेहतर लाइफ़स्टाइल को अपनाकर आप डायबिटीज़ की तकलीफ़ में आराम पा सकते हैं।
हमेशा अपने वजन को नियंत्रित रखें। मोटापा की वजह से शुगर (डायबिटीज) की संभावना बढ़ जाती है।
शुगर (डायबिटीज) को कंट्रोल या बचाव का सबसे अच्छा तरीका है कि समय पर सोएं और समय पर उठें।
अपने ब्लड शुगर लेवल की जांच नियमित रूप से करते रहें और उसका एक चार्ट बना लें, ताकि रक्त शर्करा (Blood sugar) के घटने-बढ़ने के बारे में पता रहे।
स्मोकिंग (smoking) और शराब से दूर रहें।
फिजिकल एक्टिविटी (physical activity) या व्यायाम को नियमित करें। इससे मधुमेह से बचाव होता है।
सही मात्रा में पानी पिएं।
डायट में कम से कम मीठा शामिल करें।
क्या खाएं?
केले में फाइबर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जो किसी भी शुगर (डायबिटीज) के मरीज के लिए एक महत्वपूर्ण फल है।
प्रोटीन से भरपूर अंडे का इस्तेमाल भी डायबिटीज (Diabetes) के मरीजों के लिए अच्छा रहता है। यह ग्लूकोज के अवशोषण को धीमा करता है।
शुगर (डायबिटीज) को नियंत्रित करने में अंगूर भी महत्वपूर्ण योगदान देता है।
कीवी में कम मात्रा में कैलोरी और अधिक मात्रा में फाइबर (Fibre) पाया जाता है, जो मधुमेह (Diabetes) के मरीजों के लिए फायदेमंद होता है।
क्या ना खाएं?
नीचे दिए गए फूड्स आपके शुगर लेवल को तेजी से बढ़ा सकते हैं। इसलिए, इन फूड्स के सेवन से जितना हो सके दूर रहें।
केक, पेस्ट्री, मिठाई
पास्ता या वाइट ब्रेड
प्रोसेस्ड फूड्स (processed foods) या डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ
कोल्ड ड्रिंक
चीनी
इस आर्टिकल में हमने आपको डायबिटीज के प्रकार से संबंधित जरूरी बातों को बताने की कोशिश की है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस बीमारी से जुड़े किसी अन्य सवाल का जवाब जानना है, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे। अपना ध्यान रखिए और स्वस्थ रहिए।
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