बच्चों को पाचन संबंधी समस्याएं होने पर इसके कई लक्षण दिखते हैं –
लगातार हिचकी आना
बच्चो को पाचन संबंधी समस्याएं होने पर उनके पेट में एसिड बनता है। यही कारण है कि बच्चों के पेट में हवा भी बढ़ जाती है, जिससे पेट में मरोड और दर्द होता है। मांसपेशियों में सिकुड़न के कारण बच्चों को हिचकी आती है , जो उनके शरीर पर बुरा प्रभाव डालती है।
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सांस लेने में परेशानी
पेट में एसिड की ज्यादा मात्रा के कारण बच्चों को सांस लेने में भी परेशानी होती है, जिससे बच्चों में सांस की समस्या होती है और कई बार तो यह समस्या अस्थमा का कारण भी बन जाती है। कुलमिलाकर लगातार सांस लेने में तकलीफ के कारण खांसी की समस्या बनी रहती है। समय रहते यह समस्या ठीक हो सकती है और बच्चा आराम का अनुभव कर सकता है। कभी-कभी रात को सोते समय बच्चे की नाक से आवाज भी निकलती है जो हानिकारक है। बच्चों को पाचन संबंधी समस्याएं होने पर आप ऊपर बताए टिप्स को अपना कर अपने बच्चे को इनसे छुटकारा दिला सकते हैं। इसके अलावा अगर बच्चे को राहत नहीं मिलती है, तो आपको उसे डॉक्टर के पास ले जाने की जरूरत होगी।
बच्चों का पाचन कैसे रखें ठीक?
अपच की समस्या से बचाएं
बच्चे को अपच की समस्या हो सकती है। बच्चा खाने में क्या ले रहा है और साथ ही उसकी शारीरिक गतिविधि भी पाचन के लिए जिम्मेदार होती है। अगर बच्चा खाने के बाद भागता और खेलता है तो ये भी भोजन के अपच का कारण बन सकता है। बच्चे को खिलाने के बाद उसे डकार दिलाएं और फिर उसे कुछ देर बैठ कर खेलने की सलाह दें। ऐसा करने से बच्चे का खाना ठीक तरह से पच पाएगा। बच्चे अक्सर खेल-खेल में पानी बिल्कुल न के बराबर पीते हैं, जिसके कारण एसिड रिफलक्स की समस्या हो सकती है। बेहतर होगा कि बच्चे को रोजाना तय समय पर पानी पीने की आदत डलवाई जाए। आप बच्चे के लिए उसका पसंदी बोतल पसंद करें और फिर उसमे पानी दें। बच्चों को बोतल या कलरफुल मग से पानी पीना बहुत पसंद होता है।
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फाइबर्स की मात्रा खाने में बढ़ाएं
जिन बच्चों की पाचन शक्ति अच्छी नहीं होती है, उन बच्चों का पाचन गड़बड़ हो सकता है। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए बच्चे की डायट पर ध्यान देना पड़ेगा। बच्चों की डायट में फल और सब्जयों को जरूर जोड़े। आप बच्चों को अगर रोजाना फलों का सेवन करने को कहेंगी तो उन्हें फाइबर्स की उचित मात्रा मिलेगी। खाने में फाइबर्स की संतुलित मात्रा पाचन शक्ति को बढ़ाने का काम करती है। आप बच्चे को फाइबर युक्त फूड भी खिला सकती हैं। ऐसा करने से खाना पचने में आसानी होगी। फलों में केला, अनार, पपीता, अनानास आदि को शामिल कर सकते हैं। साथ ही आप बच्चे के पसंदीदा फलों को भी खाने में शामिल करें।
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कहीं ऑयली फूड तो नहीं दे रही हैं आप?
बच्चे को ऐसा फूड दें जो आसानी से पच जाए। अगर आप बच्चे को दाल, चावल, रोटी, दलिया, कॉर्न फ्लेक्स, दूध, फल, सब्जियां, अंडा आदि देती हैं तो बच्चे का पाचन दुरस्त रहेगा लेकिन खाने में अधिक तेल बच्चे को नुकसान पहुंचा सकता है। बच्चे का पाचन तंत्र बड़ों के मुकाबले कमदोर होता है, इसलिए उन्हें आसानी से पचने वाला खाना देना चाहिए। ज्यादा ऑयली और तीखा खाना पेट में समस्या भी पैदा कर सकता है। साथ ही बच्चे को ज्यादा मीठ (चॉकलेट, कैंडीज, स्वीट) न दें। किसी भी चीज की अति पाचन में समस्या पैदा कर सकती है। बेहतर होगा कि आप बच्चे को संतुलित आहार दें ताकि उसे पाचन में समस्या न हो।
बच्चे के अच्छे पाचन के लिए इन बातों पर दे ध्यान
आप बच्चे के पाचन को दुरस्त बनाएंगी तो उसे पेट संबंधि समस्याओं से छुटकारा मिलने में मदद मिलेगी। बच्चों को नहीं पता होता है कि उन्हें कितना खाना है और न वो ये जानते हैं कि कौन-सा फूड उनके लिए बेहतर रहेगा। आपको कुछ बातों पर ध्यान देना होगा, ताकि बच्चे के डायजेस्टिव सिस्टम को बेहतर किया जा सके।
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पाचन तंत्र और बच्चे की मालिश
पाचन तंत्र और मालिश का संबंध बच्चे के पेट से है। बच्चे के पेट में समस्या है तो मालिश करके भी उसे सही किया जा सकता है। बच्चे का पेट पूर्ण रूप से परिपक्व नहीं होता। नैचुरल तरीकों को अपनाकर बच्चे के पेट की समस्या को ठीक किया जा सकता है। चेहरे, पेट, त्वचा और अंगों पर करीब 15 मिनट तक मध्यम प्रेशर वाली मालिश करना बच्चे के लिए उपयोगी साबित होगा। हो सकता है कि डॉक्टर आपको इस बारे में सजेस्ट न करें। मालिश करने से बच्चे की ग्रोथ अच्छी होती है और साथ ही पाचन तंत्र भी सही रहता है।
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अगर आप बच्चे को ब्रेस्टफीड नहीं करा रही हैं तो उसके लिए प्रोबायोटिक्स फॉर्मुला मिल्क जरूर चुनें। फॉर्मुला मिल्क बनाते समय भी ध्यान रखने की जरूरत होती है। सही मात्रा में पाउडर और पानी को मिलाना बहुत जरूरी होती है। अगर पाउडर की मात्रा ज्यादा और पानी की मात्रा कम कर दी जाती है तो बच्चे को दस्त की समस्या भी हो सकती है। उचित रहेगा कि बच्चे के पेट में समस्या होने पर डॉक्टर से संपर्क करें और फिर फॉर्मुला मिल्क के बारे में जानकारी प्राप्त करें।
फॉर्मुला मिल्क पीने वाले बच्चों में सही मात्रा में दूध न बनाए जाने के कारण बच्चे में पेट की समस्या मुख्य रूप से देखने को मिलती है।
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ज्यादा दूध से हो सकती है बच्चे के पेट में समस्या
बच्चे को ब्रेस्ट मिल्क पिलाना उसकी सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है। कई बार न्यू मॉम को नहीं पता होता है कि बच्चे को कितना दूध पिलाना सही रहेगा। इसलिए मां बच्चे को अधिक मात्रा में ब्रेस्टफीड करवा देती है। ऐसा करने से बच्चे के पेट में समस्या हो सकती है। बच्चे को अधिक गैस बन सकती है जो दर्द का कारण बन जाता है। ऐसा ही बोतल से दूध देते समय भी हो सकता है। बच्चा दो घंटे के अंतराल में थोड़ा दूध पीता है, वहीं चार घंटे के अंतराल में अधिक दूध पीता है। आप चाहे तो इस बारे में लैक्टेशन कंसल्टेंट से भी राय ले सकती है।
पेट में गैस
जब बच्चे के पेट में गैस होती है तो वह रोने लगता है। अक्सर मां समझ नहीं पाती है कि बच्चे को क्या तकलीफ है? ऐसे में बच्चे के पेट पर हाथ रखकर देखें कि कहीं उसका पेट टाइट तो नहीं है। यदि ऐसा है तो बच्चे के पेट में गैस की समस्या हो सकती है। कई बार बच्चा जब तेजी से दूध पीता है तो ज्यादा मात्रा में हवा भी बच्चे के पेट के अंदर चली जाती है। इस कारण भी पेट में दर्द हो सकता है।
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फीडिंग के समय रखें ध्यान
ब्रेस्टफीडिंग के समय अचानक से तेज आवाज, तेज रोशनी या फिर बच्चे को चौंकाने वाली गतिविधियों से दूर रखें। बच्चे के पेट में समस्या को कम करने के लिए ये उपाय भी अपनाकर देखें। बच्चा जब अचानक से डर जाता है तो उसे रोना आ जाता है या फिर दूध गले में भी फंस सकता है। ऐसे में खांसी के साथ ही पेट की समस्या भी हो सकती है। फीडिंग के लिए शांत वातावरण चुनें।
बच्चा जब बहुत तेजी से भूखा होता है तो तेजी से मां के स्तन से दूध खींचता है। बच्चे को एक घंटे के अंतराल में दूध पिलाती रहे ताकि उसे अचानक से भूख न लगें। जब बच्चा तेजी से दूध पीता है तो भी उसके पेट में हवा जा सकती है जो दर्द का कारण बन सकती है। अगर बच्चा समय पर दूध नहीं पी रहा है तो एक बार अपने डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।
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अपने आहार पर ध्यान दें
आप जो भी खा रही हैं, बच्चा ब्रेस्टफीड के समय वही अपने पेट में दूध के माध्यम से ले रहा होता है। कुछ फल, हरी सब्जियां जैसे ब्रोकोली और ब्रसेल्स स्प्राउट्स, लहसुन आदि भी बच्चे के पेट में समस्या उत्पन्न कर सकते हैं। उचित रहेगा कि इस बारे में डॉक्टर से जानकारी लेने के बाद ही डिलिवरी के बाद अपनी डायट प्लान करें। ऐसा करने से बच्चे के पेट को राहत मिलेगी।
बच्चे के पेट में समस्या का मुख्य कारण मां के खानपान से भी संबंधित होता है। मां किसी भी प्रकार की समस्या होने पर एक बार डॉक्टर से संपर्क कर ये जरूर जान लेना चाहिए कि उसे बच्चे को दूध पिलाना चाहिए या फिर नहीं। अगर डॉक्टर दूध पिलाने के लिए मनाही करता है तो अन्य विकल्प के बारे में भी जानकारी ले लेनी चाहिए।
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डिफरेंट पुजिशन में दिलाएं डकार
बच्चे को अगर दूध पिलाने के बाद एक बार में डकार नहीं आ रही है तो उसकी पुजिशन चेंज करनी चाहिए। बच्चे को गले लगाकर पीठ थपथपाना चाहिए। सबसे सही पुजिशन बच्चे को कंधे के सहारे रखकर डकार दिलाना है। आपको जैसे भी सुविधा लगे, वैसे उसे डकार दिला सकती है। डकार दिलाने से बच्चे के पेट में दर्द (Stomach pain) की समस्या नहीं होती है। जब बच्चे को डकार दिलाना भुला दिया जाता है तो बच्चे के पेट से दूध बाहर आ जाता है। या फिर बच्चा दूध पीने के कुछ दे बाद तक वॉमिट कर सकता है।
छोटे बच्चे बोल नहीं सकते इसलिए आपको इन लक्षणों पर नजर रखनी होगी ताकि आप उनकी परेशानियों को समझ कर क्विक एक्शन ले सकें। नई मां के लिए यह थोड़ा मुश्किल हो सकता है लेकिन, कुछ दिनों में ही बच्चों की एक्टिविटीज समझ आने लगती हैं।
स्तनपान कराते समय बच्चे को कितना दूध पिलाना चाहिए और किस तरह से डकार दिलाना चाहिए, इस बात की जानकारी डॉक्टर से लें। बच्चे के पेट में समस्या है तो एक बार डॉक्टर से मिलकर इसका समाधान निकालें।
पाचन संबंधी समस्याएं के बारे में इस आर्टिकल के माध्यम से जरूरी जानकारी मिली होगी। फिर भी अगर आपके मन में इस विषय को लेकर कोई प्रश्न है तो बेहतर होगा कि आप डॉक्टर से इस बारे में परामर्श करें। एक बात का ध्यान रखें कि बच्चे बिना कारण के ज्यादा देर तक नहीं रोते हैं। आप ऐसी स्थिति को नजरअंदाज बिल्कुल भी न करें और बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाएं। आप स्वास्थ्य संबंधि अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं।
एक्सपर्ट की राय
इस बारे में बच्चों के डॉक्टर श्री का कहना है कि अगर आपको बच्चों में इस तरह की समस्या देखने को मिलती है तो आप इसके अलावा आप इसकी अधिक जानकारी के लिए हैलो हेलथ ग्रुप किसी उपचार की सलाह नहीं देता है ।