तीन साल के उम्र के बच्चे खाने के लिए काफी उत्सुक होते है। वह खाने के मामले नखरे दिखाने लगते हैं। ऐसे में बच्चे को एक ही चीज के अलग-अलग व्यंजन खाने के लिए दे सकते हैं। बच्चे को अगर आप रोज एक ही चीज खिलाएंगे तो वह परेशान हो जाएगा। ऐसे में वह अपनी पसंदीदा चीज खाने में भी आनाकानी करने लगेगा। उदाहरण के तौर पर अगर आपके बच्चे को खाने में दाल बहुत पसंद है, तो आप उसे एक दिन दाल दें। फिर अगले दिन भी अगर दाल देंगे, तो वह फिर भी खाएगा। लेकिन, अगर आप उसे रोज-रोज दाल देती रहेंगी तो वह बोर हो जाएगा। दाल खाने से कतराने लगेगा। इसके साथ ही वह दाल देख के चिढ़ भी सकता है। ऐसे में आप बच्चे को दाल अलग-अलग तरह से खिला सकती हैं। जैसे कभी दाल को फ्राई कर दें, कभी उसमें पालक मिला दें या दाल का पराठा बना दें। इसके अलावा, बच्चे के सामने दाल व उससे बना व्यंजन रखें और उसे चुनने दें कि वह क्या खाना चाहता है। बच्चों का खाना (Baby food) या बेबी डायट बनाते समय तेल-मसालों का भी खास ख्याल रखें।
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बच्चों का खाना (Baby food) ऐसे चुनें कि वे कुछ नया ट्राई कर सकें
एक साल के बाद बच्चे ठोस भोजन खाना शुरू करते हैं। उनके लिए कोई नया व्यंजन चखना खुद में एक अलग ही अनुभव होगा। इसलिए बच्चे को जब कोई नई चीज खाने के लिए दें तो उसे समझने की कोशिश करें। उसे जो भी चीज पहली बार टेस्ट कराएं थोड़ी मात्रा में कराएं। अगर बच्चे को पसंद आए तो उसे और दें। वरना कोई भी चीज खिलाने के लिए जबरदस्ती न करें। बच्चों का खाना समय-समय पर थोड़ा बदलते रहें। ऐसा करने से वह नई चीजों को खाने के लिए तैयार रहेगा।
बच्चों का खाना हेल्दी होना है जरूरी