के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. पूजा दाफळ · Hello Swasthya
हनटिंग्टन रोग (एचडी) एक घातक न्यूरोलॉजिकल समस्या है। इस बीमारी की वजह से मस्तिष्क की तंत्रिका कोशिकाएं कमजाेर होकर धीरे-धीरे टूटने लगती हैं। हनटिंग्टन रोग का व्यक्ति के कार्य करने की क्षमता पर बड़ा प्रभाव पड़ता है। यह एक वंशानुगत बीमारी है, जो विरासत में मिले खराब जीन की वजह से होती है। हनटिंग्टन रोग में विषैले प्रोटीन दिमाग में इक्कट्ठे हो जाते हैं और तंत्रिका कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं। हनटिंग्टन रोग चलने फिरने, व्यवहार और सोचने समझने की शक्ति को प्रभावित करता है। हनटिंग्टन रोग से पीढ़ित व्यक्ति को अक्सर फुल टाइम केयर की आवश्यकता पड़ती है। आमतौर पर इससे पैदा होने वाली जटिलताएं गंभीर होती हैं।
हनटिंग्टन रोग से पीढ़ित लोगों में इसके लक्षण 30 या 40 वर्ष की आयु में नजर आते हैं। हालांकि, यह लक्षण इससे पहले या बाद में नजर आ सकते हैं। 20 वर्ष की आयु से पहले यदि हनटिंग्टन रोग होता है तो इसे जुवेनाइल हनटिंग्टन रोग कहते हैं। कम उम्र में होने से इसके लक्षण अलग हो सकते हैं और यह तेजी से आगे बढ़ सकता है। हालांकि, हनटिंग्टन रोग को मैनेज करने के लिए दवाइयां उपलब्ध हैं, लेकिन इलाज शारीरिक, मानसिक और व्यवहारिक बदलावों को रोक नहीं पाता है।
हनटिंग्टन रोग एक समान्य और दुर्लभ समस्या हो सकती है। ज्यादातर मामलों में यह परिवार से मिले खराब जीन की वजह से होती है। इससे संबंधित बदलाव नजर आते ही चिकित्सा सहायता लेना अनिवार्य है।
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हनटिंग्टन रोग के निम्नलिखित लक्षण हैं:
अति सक्रिय होना।
इन लक्षणों को तीन भागों में विभाजित किया गया है, जो निम्नलिखित हैं:
उपरोक्त लक्षणों के अलावा भी हनटिंग्टन रोग के कुछ लक्षण हो सकते हैं।
बच्चों और युवाओं में हनटिंग्टन रोग के लक्षण व्यस्कों से भिन्न हो सकते हैं। ऐसी परेशानियां या समस्याएं जो बीमारी के दौरान अक्सर जल्दी नजर आने लगती हैं, उनमें निम्नलिखित लक्षण शामिल हैं:
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यदि आपको हनटिंग्टन रोग के लक्षण नजर आते हैं तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। शुरुआती चरण में इसके लक्षणों की पहचान करके उपचार शुरू किया जा सकता है।
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हनटिंग्टन रोग होने के कारण निम्नलिखित हैं:
एक जीन में दोष हनटिंग्टन बीमारी का कारण बनता है। इसे ऑटोसोमल डॉमिनेंट (autosomal dominant) डिसॉर्डर माना जाता है। इसका मतलब यह हुआ कि असमान्य जीन की एक प्रतिलिप (कॉपी) इस बीमारी का कारण बनने के लिए काफी है। यदि आपके माता-पिता में से किसी एक के जीन में दोष है तो आपको वंशानुगत यह बीमारी होने की 50% संभावना होगी। यह बीमारी आपसे आपके बच्चों में भी फैल सकती है।
जेनेटिक म्युटेशन हनटिंग्टन रोग का कारण बनते हैं, जो अन्य म्युटेशन्स से अलग होते हैं। हनटिंग्टन रोग में जीन के दोषों को कॉपी कर लिया जाता है। वह जीन के भीतर का एक क्षेत्र होता है, जो कई बार कॉपी हो जाता है। हनटिंग्टन रोग में प्रत्येक पीढ़ी में जीन कॉपी की संख्या बढ़ जाती है।
आमतौर पर, हनटिंग्टन रोग के लक्षण उन लोगों में जल्दी नजर आने लगते हैं, जिनमें कॉपी किए गए जीन की संख्या ज्यादा होती है। बार-बार खराब जीन कॉपी होने से यह बीमारी तेजी से विकसित होती है।
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जीन की सामान्य कॉपी हनटिंग्टन को प्रोड्यूस करती है। यह एक प्रोटीन है। वहीं, खराब जीन इससे अधिक बड़े होते हैं। इनसे साइटोसाइन (cytosine), एडेनाइन (adenine) और गुएनाइन (guanine) (CAG) का अधिक उत्पादन होता है। यह तीनों ही डीएनए (DNA) के बिल्डिंग ब्लॉक्स हैं। आमतौर पर, CAG की पुनरावृत्ति 10 और 35 के बीच होती है। हनटिंग्टन रोग में यह 36 और 120 के बीच में पुनरावृत (रिपीट) होते हैं। यदि यह 40 या इससे अधिक बार दोहराए जाते हैं तो हनटिंग्टन के लक्षण नजर आते हैं। इस नतीजे में बदलाव आने से एक बड़ा हनटिंग्टन बनता है, जो कि एक प्रोटीन है। यह विषैला होता है और मस्तिष्क में इक्कट्ठा होता है। यह दिमाग की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है।
विशाल हनटिंग्टन प्रोटीन के प्रति कुछ मस्तिष्क कोशिकाएं संवेदनशील होती हैं। विशेषकर वह कोशिकाएं जो मूवमेंट, सोचने की शक्ति और याद्दाश्त से जुड़ी होती हैं। विशाल हनटिंग्टन इनके कार्यों को कम कर देता है और अक्सर इन्हें खत्म भी कर देता है। हालांकि, इस विषय पर वैज्ञानिकों के बीच एकमत नहीं है कि यह कैसे होता है।
हनटिंग्टन रोग को विकसित होने से रोकने का कोई तरीका नहीं है। चूंकि, यह एक अनुवांशिक विकार है, जो परिवार से विरासत में मिलता है। हालांकि, हर मामले में इसके विकसति होने की रफ्तार अलग-अलग हो सकती है। यह पूरी तरह जीन की प्रतिलिपियों पर निर्भर करता है कि आपके भीतर रिपीटेड जीन कितने हैं। आमतौर पर इनकी संख्या कम होने पर हनटिंग्टन रोग का विकास धीमा होता है।
हनटिंग्टन रोग के व्यस्कों में लक्षण नजर आने के बाद वह सामान्यतः 15-20 साल जीवित रहते हैं। हालांकि कम उम्र में इसके लक्षण नजर आने पर यह बीमारी जल्दी विकसित होती है। इस प्रकार के लोग 10-15 साल तक ही जीवित रह पाते हैं। ज्यादातर मामलों में हनटिंग्टन रोग से जान का खतरा रहता है।
यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
आमतौर पर हनटिंग्टन रोग का पता परिवार की मेडिकल हिस्ट्री से लगाया जाता है। हालांकि, कई प्रकार के क्लीनिकल और लैब टेस्ट से इसका पता लगाया जा सकता है।
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एक न्यूरोलॉजिस्ट निम्नलिखित टेस्ट कर सकता है:
आपका डॉक्टर किसी मनोवैज्ञानिक जांच की सलाह दे सकता है। इस जांच में आपके कोपिंग स्किल्स (Coping skills), भावुकता और व्यवहार के पैटर्न का आंकलन किया जा सकता है। मनोवैज्ञानिक दोषपूर्ण थिंकिंग (सोच) के लक्षण की जांच भी कर सकता है। आपके ऊपर नशीली दवाइयों का परीक्षण किया जा सकता है कि क्या यह दवाइयों आपके लक्षणों की जानकारी दे सकती हैं।
यदि आपके भीतर हनटिंग्टन रोग से जुड़े कई लक्षण नजर आते हैं तो जेनेटिक टेस्टिंग की सलाह दी जा सकती है। जेनेटिक टेस्टिंग से हनटिंग्टन रोग का पता लग सकता है। जेनेटिक टेस्टिंग से यह पता लगाने में भी मदद मिलेगी कि यह बीमारी आपके बच्चों को होगी या नहीं। हनटिंग्टन रोग से पीढ़ित कुछ ऐसे लोग होते हैं जो अपने बच्चों में दोषपूर्ण जीन जाने नहीं देना चाहते हैं।
हनटिंग्टन रोग का इलाज निम्नलिखित तरीकों से किया जाता है:
फिजिकल थेरेपी कॉर्डिनेशन, संतुलन और लोचशीलता (फ्लेक्सिबिलिटी) को सुधारने में मदद कर सकती है। इस ट्रेनिंग से मोबिलिटी में सुधार और शरीर को गिरने से बचाया जा सकता है। ऐसे में व्यावसायिक थेरेपी का इस्तेमाल प्रतिदिन की दिनचर्या का आंकलन करने के लिए किया जा सकता है। साथ ही इनमें मददगार डिवाइस या मशीन का इस्तेमाल करने का सुझाव भी दिया जा सकता है।
स्पीच थेरेपी से आपको स्पष्ट रूप से बोलने में मदद मिलेगी। यदि आप बोल नहीं सकते तो आपको अन्य प्रकार के संचार के तरीकों के बारे में सिखाया जा सकता है। स्पीच थेरेपिस्ट आपको निगलने और खाने की समस्याओं में मदद कर सकते हैं। साइकोथेरिपी आपकी भावनात्मक और मानसिक समस्याओं में मदद कर सकती है। इससे आपको कोपिंग स्किल्स (Coping skills) को विकसित करने में भी मदद मिलेगी।
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इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
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