स्लीप हिप्नोसिस काम कैसे करता है?
सबसे पहले 19वीं शताब्दी में जेम्स ब्रेड नामक एक सर्जन ने हिप्नोसिस का इस्तेमाल नींद दिलाने के लिए किया था। जेम्स ब्रेड ने सर्जरी में उपचार के रूप में हिप्नोसिस का इस्तेमाल किया था। जिससे मरीज का दर्द और चीरे वाले स्थान से ब्लीडिंग दोनों कम हो जाता था। हिप्नोसिस विधि से मरीज जल्दी ठीक होते थे।
ब्रेड की स्लीप हिप्नोसिस थेरिपी एक प्लेसिबो थेरिपी की तरह काम करती थी। इस बात की पुष्टि 2014 में हुए एक रिसर्च में हुई। इस रिसर्च में 100 ऐसे लोगों को शामिल किया गया, जिन्हें नींद ना आने की समस्या थी। इसके साथ ही इस ग्रुप में ऐसे लोग भी थे, जिन्हें हल्की नींद आती थी। सभी के साथ स्लीप हिप्नोसिस किया गया। जिसमें 80 लोगों को अच्छी और गहरी नींद आई। इस रिसर्च में बुजुर्ग भी शामिल थे, जिन्हें अपनी नींद में बदलाव नजर आया। गहरी नींद के लिए हिप्नोसिस दो तरह से किया जा सकता है :
सजेशन थेरिपी (Suggestion therapy) : इस थेरिपी में मरीज हिप्नोटाइज हो जाता है, लेकिन डॉक्टर द्वारा दिए गए सभी सजेशन को मानता है। इस थेरिपी को स्लीप के साथ-साथ स्मोकिंग को छोड़ने, नेल बाइटिंग को छोड़ने आदि में इस्तेमाल किया जाता है। सजेशन थेरिपी से दर्द में भी राहत मिलती है।
एनालिसिस (Analysis) : एनालिसिस में रिलैक्स स्टेट में मरीज को ले जाया जाता है। ये स्लीपिंग डिसऑर्डर को ठीक करने के लिए किया जाता है।
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इसके अलावा स्लीप हिप्नोसिस कई सेशन में किया जाता है :
- मरीज को पहले सेशन में कम्फर्टेबल महसूस कराया जाता है। जिससे वह अगले सेशन के लिए तैयार होता है।
- इसके बाद उसे वर्बल साउंड सुनाया जाता है, जिसमें उसे अपनी सभी चिंताओं को साइड रखने को कहा जाता है।
- वर्बल साउंड सुन कर धीरे-धीरे मरीज रिलैक्स होने लगता है। इस दौरान कॉन्शियस माइंड शांत हो जाता है और सबकॉन्शियस माइंड एक्टिव होने लगता है।
- इसके बाद मरीज को लंबी सांसें लेने के लिए कहा जाता है, जिससे वह रिलैक्स महसूस करता है।
- फिर इस्तेमाल होती है, सजेशन थेरिपी। इस दौरान थेरिपिस्ट मरीज को सो जाने का निर्देश देते हैं और मरीज गहरी नींद में सो जाता है।