इस बीमारी से ग्रसित लोगों में पाया गया है कि मस्तिष्क के बाहरी भाग और भीतरी भाग के बीच तालमेल का अभाव होता है। ऐसा पाया गया है कि न्यूरोट्रांसमीटर सिरोटोनिन के असंतुलित फॉरमेशन के कारण OCD ( Obsessive Compulsive Disorder) जैसी बीमारी लोगों में पाई जाती है। इस ओसीडी एंग्जायटी डिसऑर्डर की वजह अनुवांशिक (Genetic ) भी हो सकती हैं। साथ ही मस्तिष्क में खराबी और स्ट्रेस (Stress) मतलब जीवन में असंतुलन भी वह वजह है, जिनकी वजह से ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर ( Obsessive Compulsive Disorder) की बीमारी से लोग पीड़ित हो सकते हैं। फिलहाल इस पर शोध जारी है और इसको लेकर कई और जानकारियां जुटाने के लिए मेडिकल साइंस लगातार प्रयासरत है।
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ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (Obsessive Compulsive Disorder) क्या एक चिंता विकार है?
यह बिल्कुल जरूरी नहीं कि अगर आप एक हरकत को दोहराते हैं या किसी बात की बहुत चिंता करते हैं या फिर किसी चीज से डरते हैं, तो आप ओसीडी के शिकार हैं। ओसीडी के लक्षणों को समझने के लिए आपको यहां कुछ निर्देश और लक्षण बताए गए हैं, जिन्हें पढ़कर आप इस बात की पुष्टि कर सकते हैं। चिंता करना बुरा नहीं है, लेकिन चिंता को खुद पर हावी होने देना और फिर उससे प्रभावित होकर अपने जीवन को कष्ट देना बुरा है। ओसीडी एंग्जायटी डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति जुनूनी और अनवांटेड थिंकिंग से घिरा होता है। उसका अपने दिमाग और अपनी हरकतों पर कोई नियंत्रण नहीं होता। पर यह बिल्कुल जरूरी नहीं कि व्यक्ति ऑब्सेसिव हो और वह कंपल्सिव डिसऑर्डर से भी पीड़ित हो।
जनरलाइज्ड एंग्जायटी (जीएडी) और ओसीडी अलग हैं। ओसीडी में चिंता काफी हद तक तर्कहीन होती हैं। ओसीडी एंग्जायटी डिसऑर्डर में यह निश्चित रूप से तुलना में थोड़ा अधिक होता है। जीएडी वाले लोग बहुत चिंता करते हैं, वे आमतौर पर अपनी चिंता से निपटने के लिए बाध्यकारी, अनुष्ठानिक व्यवहार में संलग्न नहीं होते हैं। हालांकि, ओसीडी एंग्जायटी डिसऑर्डर वाले लोग आमतौर पर दोहराए जाने वाले व्यवहारों का उपयोग करते हैं।
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ओसीडी एंग्जायटी डिसऑर्डर का उपचार
ओसीडी एंग्जायटी डिसऑर्डर के निदान होने के बाद मनोचिकित्सक दवाइयां देते हैं, जिनकी मात्रा में फेर बदल करने की जरूरत पड़ सकती है। एक दवाई काम न करे, तो दूसरी बदल कर देनी पड़ सकती है, इसलिए मानसिक रोगों का इलाज कराते समय धैर्य रखें।
केवल दवाइयां ही कारगर नहीं होती व्यावाहरिक चिकित्सा भी दी जाती है। बाध्यता को रोकने और उससे उत्पन्न व्याकुलता को सहने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। उदाहरण के लिए जो व्यक्ति 15-15 मिनट में हाथ धोता हो, उसे कहा जाएगा कि आधे घंटे तक हाथ नहीं धोने हैं। पीड़ित व्यक्ति बेचैन होगा पर उसे बार-बार कहना पड़ेगा कि हाथ न धोने से कुछ नुकसान नहीं हुआ, तुम ठीक हो, कुछ गलत नहीं हो रहा। सायकोथेरिपी के अन्य तरीके भी हैं, जो पीड़ित व्यक्ति की आवश्यकता के अनुरूप मनोवैज्ञानिक प्रयोग करते हैं ।