आंखों में जब विट्रोस ह्यूमर (vitreous humour) जमा होने लगे, तो ऐसी स्थिति को आई फ्लोटर्स कहते हैं। विट्रोस ह्यूमर एक तरह का चिपचिपा पदार्थ होता है, जो आंख के पिछले हिस्से में भर जाता है। यह विट्रोस ह्यूमर आंखों के लगभग दो-तिहाई हिस्से तक फैल जाता है। जिन लोगों को आई फ्लोटर्स (आंख फ्लोटर्स) की समस्या होती है, तो उन्हें धब्बे या डॉट्स नजर आने लगते हैं। आई मूवमेंट के साथ-साथ इन धब्बों को भी व्यक्ति देख सकते हैं। आंखों की यह समस्या एक आंख में या दोनों आंखों में हो सकती है। दरअसल कॉर्निया (Cornea) और रेटिना (Retina) पर प्रकाश की किरणें फोकस होती हैं और रेटिना पर पड़ने वाली किरणें हमें देखने में मदद करती हैं। यह ध्यान रखें कि लाइट यानी प्रकाश रेटिना से गुजरने से पहले, विट्रस ह्यूमर से होकर गुजरती हैं। जन्म के वक्त और छोटी उम्र के शुरुआती सालों में यह बिल्कुल साफ नजर आता है, लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है या वृद्धावस्था में आई फ्लोटर्स की समस्या भी बढ़ने लगती है। अगर आपको काले या भूरे धब्बे नजर आते हैं, तो आपको ऑप्टोमेट्रिस्ट से कंसल्ट करना चाहिए। इस आर्टिकल में आगे जानेंगे आंखों की इस बीमारी के लक्षण क्या हो सकते हैं।
और पढ़ें : शगुन-अपशगुन नहीं बल्कि यहां जानिए आंख फड़कने (आईलिड ट्विचिंग) की असल वजह
आई फ्लोटर्स के लक्षण क्या हैं?
आई फ्लोटर्स के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं, जो इस प्रकार हैं:
- आंखों के सामने डॉट या धब्बा नजर आना (ऐसा एक या दोनों आंखों के सामने हो सकता है)।
- लाइट या आसमान की ओर देखने पर आंखों में धागे जैसी संरचना नजर आना।
- आंखों के मूवमेंट के साथ-साथ डॉट या धब्बा दिखाई देना।
इन लक्षणों के अलावा अन्य लक्षण भी हो सकते हैं।
आई फ्लोटर्स के कारण क्या हैं?
यह एक सामान्य सी आई प्रॉब्लम है, जो उम्र बढ़ने के साथ-साथ बढ़ती है। दरअसल विट्रोस ह्यूमर रेटिना से अलग होने लगती है, जो आई फ्लोटर्स का कारण बन सकती है। इसके अन्य कारण इस प्रकार हैं:
- आंखों से ब्लीडिंग होना
- आंख में चोट लगना
- आई इंफेक्शन होना
- आंखों में सूजन या जलन होना
- आंखों से निकलने वाले आंसु से चिपचिपा पदार्थों का आना
- रेटिना का अपने स्थान से खिसकजाना
- आंख के किसी दवा का साइड इफेक्ट्स होना
इन कारणों के अलावा अन्य कारण भी हो सकते हैं। हालांकि आई फ्लोटर्स होने के प्रमुख कारण पर अभी भी रिसर्च जारी है।
आई फ्लोटर्स का निदान कैसे किया जाता है?
आंखों के फ्लोटर्स के इलाज के लिए खासतौर से वाई ए जी (YAG) लेजर का उपयोग किया जाता है। हालांकि इस तरह से आई फ्लोटर्स का निदान अत्यधिक सफल नहीं माना जाता है। इसलिए नेत्र रोग विशेषज्ञ हमेशा यही सलाह देते हैं कि आंख से संबंधित कोई भी परेशानी महसूस होने पर जल्द से जल्द डॉक्टर से कंसल्ट करें।