
परिचय
अर्जुन की छाल क्या है?
अर्जुन की छाल अर्जुन के पेड़ से प्राप्त होती है। अर्जुन का पेड़ भारत में हिमालय की तराई, बिहार, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश समेत कई अन्य राज्यों में भी पाया जाता है। अर्जुन का पेड़ एक सदाबहार वृक्ष होता है जिसका इस्तेमाल औषधी के रूप में किया जाता है।
औषधी के तौर पर इसके छाल, पेड़ से मिलने वाले गूदे, पत्तियों और फलों का इस्तेमाल किया जा सकता है। जिसमें सबसे ज्यादा लाभकारी इस पेड़ की छाल हो सकते हैं। इस छाल के इस्तेमाल से हृदय संबंधी बीमारियों, टीबी (क्षय रोग) जैसी गंभीर बीमारियों के उपचार के साथ-साथ कान दर्द, सूजन, बुखार का उपचार भी किया जा सकता है।
अर्जुन का पेड़ लगभग 80 फीट तक लंबा हो सकता है। इसकी पत्तियां काफी हद तक अमरुद के पेड़ की पत्तियों के आकार में होती है। वैज्ञानिक भाषा में इसे टर्मिमिनेलिया अर्जुना (Terminalia Arjuna) कहते हैं। यह कॉम्ब्रेटेसी (Combretaceae) प्रजाति का पेड़ होता है। कई इलाकों में इसे सामान्य तौर पर कहुआ या सादड़ी के नाम से भी जाना जाता है।
अर्जुन के पेड़ से प्राप्त होने वाली अर्जुन की छाल बाहर से सफेद रंग की होती है। यह छाल अंदर से चिकनी, मोटी और हल्के गुलाबी या लाल रंग की हो सकती है। कई लोगों में मत है कि इस पेड़ का नाम अर्जुन महाभारत के पांडव पुत्रों बीर अर्जुन के नाम पर पड़ा है।
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लेकिन यह तथ्य सिर्फ एक मिथक है। इस पेड़ का अर्जुन नाम इसके सफेद रंग की वजह से पड़ा हो सकता है। क्योंकि, अर्जुन शब्द का संस्कृत में अर्थ सफेद या स्वच्छ होता है।
अर्जुन की छाल का स्वाद कसैला होता है। हालांकि, यह अपने विभिन्न औषधीय गुणों से शरीर को ठंडा बनाए रखने के साथ-साथ, हृदय संबंधी रोग, रक्त संबंधी रोग, मोटापे से जुड़ी समस्या, डायबिटीज की समस्या, अल्सर की समस्या, कफ और पित्त के उपचार में भी मदद कर सकता है।
इसके अलावा इस छाल के सेवन से दिल की मांसपेशियों को ऊर्जा मिल सकती है जिससे हृदय को अच्छा पोषण मिल सकता है। साथ ही, इससे हार्ट रेट भी बेहतर हो सकता है।
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अर्जुन की छाल का उपयोग किस लिए किया जाता है?
अर्जुन के पेड़ और छाल में उच्च मात्रा में हाइड्रॉलिपिडेमिक गुणों को पाया जाता है। वहीं, इसमें पाए जाने वाले सैपोनिन ग्लाइकोसाइड इसके इंट्रोपिक प्रभावों के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं, जबकि फ्लेवोनोइड्स/फेनोलिक्स एंटीऑक्सिडेंट जैसे गुणों के साथ यह कार्डियो यानी दिल के बेहतर स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी साबित हो सकता है।
इसका उपयोग फ्रैक्चर, अल्सर, लीवर के उपचार के साथ-साथ हाइपोकोलेस्टेरोलेमिक, जीवाणुरोधी, रोगाणुरोधी, एंटीऑक्सिडेंट, एंटीलार्जिक और एंटीफीडेंट, एंटीफर्टिलिटी और एचआईवी के उपचार में भी किया जाता है।
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साथ ही, छाल का उपयोग निम्न स्वास्थ्य स्थितियों के उपचार में किया जा सकता है, जिसमें शामिल हो सकते हैं –
खून साफ करे
अर्जुन का स्वाद कसैला होता है साथ ही, इसका प्रभाव भी इसके स्वाद के जैसा होता है, जो खून को डिटॉक्सीफाई करने का काम कर सकता है। इसके होमोस्टैटिक गुण रक्तस्राव की स्थिति को दूर करने में मदद कर सकते हैं और हार्ट रेट को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।
ब्लड शुगर को कंट्रोल कर सकती है
पशुओं पर की गई रिसर्च के अनुसार अर्जुनारिष्टा और इसके तत्वों में ब्लड शुगर को कम करने की क्षमता हो सकती है। वहीं चूहों पर किये गए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने अर्जुन की छाल और इसके अर्क को फास्टिंग ब्लूस शुगर को कम करने में बहुत असरकारी है।
इसी तरह डायबिटीज से ग्रस्त चूहों पर किये गए एक अध्ययन में पाया गया कि अर्जुन की छाल के अर्क को लगातार 15 दिन लेने से फास्टिंग ब्लड शुगर कम और सामान्य स्तर पर आता है।
इसके अलावा डायबिटीज वाली चुहियाओं पर किये गए अध्ययन में भी पाया गया कि इसके काढ़े से तेजी से फास्टिंग ब्लड शुगर को कम किया जा सकता है।
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मूत्र पथ संक्रमण का उपचार करे
इसका इस्तेमाल मूत्र संक्रमण (यूटीआई) के उपचार में भी किया जा सकता है।
अनियमित पीरियड्स को नियमित करे
महिलाओं में इसका इस्तेमाल गर्भाशय को मजबूत बनाने और हार्मोनल चक्र को नियंत्रित करने के लिए किया जा सकता है। यह सभी प्रकार के हार्मोनल असंतुलन, फाइब्रॉएड, सिस्ट और एंडोमेट्रियोसिस जैसे कई समस्याओं में लाभकारी साबित हो सकता है। यह मेनोरेजिया (menorrhagia) के दौरान होने वाले अतिरिक्त रक्तस्राव की स्थिति को भी दूर कर सकता है।
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एंटीऑक्सीडेंट से युक्त
एंटीऑक्सीडेंट्स फ्री रेडिकल्स को खत्म करने वाले होते हैं। फ्री रेडिकल डैमिज का संबंध दीर्घकालिक स्थितियों जैसे हृदय रोगों, टाइप 2 डायबिटीज और कैंसर से है। अर्जुन की छाल में ऐसे यौगिक होते हैं जो एंटीऑक्सीडेंट्स की तरह काम करते हैं, इनमें फ्लेवेनोइड्स, ट्रीटरपेनोइड, ग्लाइकोसाइड और फेनोलिक एसिड शामिल हैं।
अल्सर के उपचार में लाभकारी
अर्जुन के पेड़ की छाल शरीर के कफ और पित्त दोषों को दूर करने में प्रभावी माना जाता है। अपने इन गुणों से यह घावों और अल्सर को ठीक करने में मदद कर सकता है।
कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित करे
इसके सेवन से बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम किया जा सकता है। यह खून में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित कर सकता है और एथेरोस्क्लेरोसिस की समस्या से परेशान लोगों के लिए यह एक अच्छी औषधी हो सकती है क्योंकि, यह धमनियों में कोलेस्ट्रॉल ब्लॉकेज होने से रोकता है।
वायुमार्ग को साफ रखे
अर्जुन की छाल श्वसन प्रणाली को साफ रखने में मदद कर सकता है और फेफड़ों की गंभीर बीमारी से शरीर की रक्षा कर सकता है।
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हार्ट फेलियर
अर्जुन की छाल में हार्ट फेलियर के खतरे को कम करने की शक्ति होती है। यह लेफ्ट वेंटरीकुलर स्ट्रोक वॉल्यूम इंडेक्स और लेफ्ट वेंटरीकुलर इजेक्शन को बढ़ाता है। रिसर्च में बताया गया है कि यह एक्सरसाइज के प्रभाव को बेहतर करने में भी प्रभावी है।
अर्जुन की छाल का अर्क हृदय की कार्यक्षमता को बढ़ाती है। यह हृदय को फेल होने से रोकती और इसके खतरे को कम करती है।
पेट दर्द दूर करे
अर्जुन के पेड़ की छाल पेट संबंधित बीमारियों को दूर करने में कारगर हो सकते हैं। पेट दर्द की शिकायत होने पर छाल का उपयोग किया जा सकता है। इसके लिए छाल में भुना हुआ हींग और काला नमक मिला कर दिन में दो बार इसका सेवन करना चाहिए।
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अर्जुन की छाल कैसे काम करता है?
कई अलग-अलग अध्ययनों के दौरान छाल में निम्न बायोएक्टिव पदार्थों के औषधीय गुण पाए गए हैं, जिसमें शामिल हैंः
- बीटा-सिटोस्टिरोल
- इलेजिक एसिड
- ट्राईहाइड्रोक्सी ट्राईटरपीन
- मोनो कार्बोक्सिलिक एसिड
- अर्जुनिक एसिड
- एंटी-ऑक्सिडेंट
- हाइपोटेंशन
- एंटी-एथेरोजेनिक
- एंटी-इंफ्लेमेटरी
- एंटी-कार्सिनोजेनिक
- एंटी-म्यूटाजेनिक
- गैस्ट्रो-प्रोड्क्टिव
- टैनिन
- अल्कलॉइड
- कार्बोहाइड्रेट
- टेरानोइड्स
- स्टेरॉयड
- फ्लेवोनोइड्स
- फिनोल
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उपयोग
अर्जुन की छाल का उपयोग करना कितना सुरक्षित है?
आमतौर पर एक औषधी के तौर पर अर्जुन की छाल का सेवन करना पूरी तरह से सुरक्षित माना जा सकता है। हालांकि, अगर आपको कोई गंभीर शारीरिक समस्या है, तो इसका सेवन करने से पहले आपको अपने डॉक्टर की सलाह लेनी जरूरी हो सकती है।
अर्जुन की छाल के औषधीय गुण
इसका स्वाद कसैला होता है और गुण रूखे और हल्के होते हैं। इस जड़ी बूटी की तासीर ठंडी होती है और यह सीधा हृदय पर प्रभाव डालती है। इसे हृदय के लिए शक्तिवर्धक कहा जाता है। अर्जुन की छाल कफ और पित्त दोष को संतुलित करता है।
साइड इफेक्ट्स
अर्जुन की छाल के क्या साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं?
यह शरीर में शुगर की मात्रा को कम करता है। इसलिए लो शुगर की समस्या वाले लोगों को भी इसका सेवन करने से परहेज करना चाहिए। इसके अलावा अधिक मात्रा में अर्जुन की छाल का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। इसके ओवरडोज से निम्न स्थितियों की समस्या हो सकती है, जिसमें शामिल हैंः
- शुगर लेवल में कमी होना
- हड्डियों और स्पाइन में समस्या
- इसके अलावा प्रेग्नेंट महिलाओं को भी इसके सेवन से पहले अपने डॉक्टर की उचित सलाह लेनी चाहिए।
अगर आपको इसके सेवन से कोई गंभीर साइड इफेक्ट्स दिखाई देते हैं, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
डोसेज
अर्जुन की छाल को लेने की सही खुराक क्या है?
सामान्य तौर पर एक स्वस्थ व्यक्ति प्रति दिन संतुलित मात्रा में इसका सेवन कर सकता है। एक बात का ध्यान रखें कि अर्जुन की छाल की मात्रा का सेवन व्यक्ति के उम्र और उसकी स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर कर सकता है। इसकी उचित मात्रा के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
अर्जुन की छाल कैसे उपयोग करें
हृदय को शक्ति देने के लिए दूध के साथ अर्जुन की छाल ली जाती है। यह फ्रैक्चर को ठीक करने में भी लाभकारी होता है।50 मिली अर्जुन की छाल के पाउडर को पानी में मिलाकर दिन में खाना खाने से पहले एक या दो बार पियें।
एक चम्मच अर्जुन की छाल के पाउडर को 2 कप पानी में डालकर उबालें और आधा कप रह जाने पर छां कर गुनगुना पी लें।आप दूध के साथ अर्जुन की छाल को ले सकते हैं और इसके अर्क से बने कैप्सूल भी ले सकते हैं। इस जड़ी बूटी का किसी भी रूप में सेवन डॉक्टर से पूछे बिना ना करें।
उपलब्ध
यह किन रूपों में उपलब्ध है?
अर्जुन की छाल निम्न रूपों में उपलब्ध हैः
- अर्जुन के पेड़ की छाल की लकड़ी
- अर्जुन की छाल का पाउडर
- अर्जुन का फल
- अर्जुन का गोंद
अगर आपका इससे जुड़ा किसी तरह का कोई सवाल है, तो इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श कर सकते हैं। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।
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