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Pelvic Inflammatory Disease: पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय

के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. पूजा दाफळ · Hello Swasthya


Anu sharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 21/09/2021

Pelvic Inflammatory Disease: पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय

परिचय

पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (पीआईडी) महिला प्रजनन अंगों में होने वाला संक्रमण है। यह संक्रमण आमतौर पर तब होता है जब यौन संचारित बैक्टीरिया महिला की योनि से उसके गर्भाशय, फैलोपियन ट्यूब या अंडाशय में फैल जाते हैं। यह बैक्टीरिया पहले योनि के अंदर प्रवेश करते हैं और उसके बाद संक्रमण का कारण बनते हैं। समय के साथ यह संक्रमण पेल्विक में फैल जाता है। पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (Pelvic Inflammatory disease) के शुरुआत में कोई लक्षण नहीं दिखाई देते। इस कारण रोगी को इस बीमारी का पता भी नहीं लगता और उपचार प्राप्त होने में देरी हो सकती है। लेकिन, अगर उपचार में देरी हो जाए तो इससे पेल्विक एरिया में अत्यधिक दर्द हो सकता है। इसके साथ ही, गर्भधारण में भी समस्या हो सकती है। महिलाओं में यह समस्या बहुत ही सामान्य है। लेकिन,अगर यह इन्फेक्शन खून में फैल जाए तो यह बीमारी और भी खतरनाक सिद्ध हो सकती है और कई बार जानलेवा भी हो सकती है। ऐसे में तुरंत डॉक्टर की सलाह लेना अनिवार्य है।

लक्षण

पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (पीआईडी) के सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं: (Pelvic Inflammatory disease Symptoms)

  • बुखार
  • पेल्विक, पेट या पीठ के निचले हिस्से में दर्द होना या इनका नर्म होना
  • योनि से फ्लूइड निकलना जो असामान्य रंग, टेक्सचर या गंध का हो सकता है
  • पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (PID) के अन्य लक्षण:

    पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज

  • शारीरिक संबंध के बाद ब्लीडिंग होना
  • ठंड लगना
  • बहुत अधिक थकान होना
  • मूत्र त्याग करते हुए दर्द होना
  • सामान्य से अधिक बार मूत्र त्याग
  • पीरियड क्रैम्प्स, जो सामान्य से अधिक या लंबे समय तक दर्द का कारण बनते हैं
  • मासिक धर्म के दौरान असामान्य रक्तस्राव या स्पॉटिंग
  • भूख न लगना
  • पीरियड न आना
  • इस बारे में शहानी हॉस्पिटल की डायरेक्टर की डाॅक्टर संतोष शहानी का कहना है कि  पीआईडी होने पर ऐसा आवश्यक नहीं है कि पीड़ित व्यक्ति को ऊपर दिए लक्षण ही दिखाई दें। कई बार, इस रोग में प्रभावित व्यक्ति को कोई भी लक्षण नहीं दिखाई देते। जिन महिलाओं को एक्टोपिक गर्भावस्था की समस्या होती है या जो बांझ होती हैं, उनमें क्लैमाइडिया के कारण अक्सर पीआईडी की समस्या ​​होती है। हिलाओं में आजकल सबसे ज्यादा हॉर्मोनल प्रॉब्लम देखने को मिल रही है। जिसका प्रभाव उनके मासिक धर्म पर भी पड़ रहा है। उनकी इस समस्या का सबसे बड़ा कारण उनकी खराब लाइफस्टाइल और डायट है।

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    कारण (Pelvic Inflammatory disease Causes)

    • पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज आमतौर पर सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इन्फेक्शन के कारण होती है। यह बैक्टीरिया तब फैलते हैं जब आप शारीरिक संबंध बनाते हैं। क्लैमाइडिया और गोनोरिया पीआईडी ​​के सबसे मुख्य कारण हैं। क्लैमाइडिया और गोनोरिया का मिश्रण भी इसका कारण बन सकता है।
    • माइकोप्लाज्मा जेनिटाइलयाम नामक बैक्टीरिया भी एक इस संक्रमण का सामान्य कारण है। कभी-कभी बैक्टीरिया बिना किसी लक्षण के कुछ समय के लिए गर्भ के ऊपर हो सकते हैं। जब यह बैक्टीरिया गर्भ में जाते हैं तो यह रोग का कारण बनते हैं। यही कारण है कि आप संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाने के एक ​​सप्ताह या महीने के बाद यह रोग से संक्रमित हो सकते हैं।
    • कुछ मामलों में, पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज, सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज के कारण नहीं होती। महिला की योनि में कई तरह के बैक्टीरिया होते हैं। यह आमतौर पर हानिरहित होते हैं और यौन संपर्क से यह नहीं फैलते। लेकिन, कई बार यह बैक्टीरिया पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज का कारण बन सकते हैं।

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    जोखिम

    कुछ ऐसी स्थितियां भी होती हैं जिसमे पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज का जोखिम बढ़ जाता है, (Pelvic Inflammatory disease risk factors)

    जैसे:

    • 25 साल की उम्र से कम महिलाओं का सेक्सुअली एक्टिव होना
    • एक से अधिक सेक्सुअल पार्टनर होना
    • किसी ऐसे व्यक्ति का सेक्सुअल पार्टनर होना, जिसके पहले से ही एक से अधिक सेक्स पार्टनर हों
    • कंडोम के बिना संभोग करना
    • पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज या सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इन्फेक्शन का इतिहास होना
    • हाल ही में किसी गर्भनिरोधक उपकरण (IUD) का प्रयोग
    • विशेषज्ञ इस बात से सहमत हैं कि अंतर्गर्भाशयी उपकरण (IUD) को इन्सर्ट करने से पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज की बीमारी का खतरा नहीं बढ़ता है। कोई भी जोखिम आमतौर पर इसे इन्सर्ट करने के बाद पहले तीन हफ्तों के भीतर तक रहता है।

    उपचार (Pelvic Inflammatory disease diagnosis)

    • पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज के निदान के लिए डॉक्टर आपसे सबसे पहले इसके लक्षणों के बारे में जानेंगे। इसके बाद पेल्विक एग्जाम, योनि स्राव और गर्भाशय ग्रीवा की विश्लेषण या यूरिन टेस्ट आदि कराया जाएगा।
    • पेल्विक एग्जाम के दौरान, डॉक्टर सबसे पहले लक्षणों को जानने के लिए पेल्विक की जांच करेंगे।

    डॉक्टर रोगी की योनि और गर्भाशय ग्रीवा से कॉटन सवाब का प्रयोग करेंगे। संक्रमण का कारण बनने वाली चीज़ों के बारे में जानने के लिए प्रयोगशाला में नमूनों का विश्लेषण किया जाएगा।

    टेस्ट

    निदान की पुष्टि करने या यह निर्धारित करने के लिए कि संक्रमण कितना फैला है, आपके डॉक्टर अन्य टेस्ट भी करा सकते हैं, जैसे:

    • खून और यूरिन टेस्ट : इन टेस्टों के द्वारा शरीर में वाइट ब्लड सेल काउंट को जांचा जाएगा, जो इन्फेक्शन और जलन का कारण बताएंगे। इसके साथ ही डॉक्टर आपको HIV और सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इन्फेक्शन्स के टेस्ट्स के बारे में कह सकते हैं जो पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज से जुड़े हुए हैं।
    • अल्ट्रासाउंड : इस टेस्ट में साउंड वेव्स का प्रयोग किया जाता है ताकि प्रजनन अंग की तस्वीर ली जा सके।
    • लेप्रोस्कोपी : इस तकनीक के दौरान, डॉक्टर रोगी पेट में एक उपकरण डालते हैं ताकि पेल्विक की पूरी तस्वीर सामने आये।

    पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज का उपचार इस प्रकार किया जाता है: (Pelvic Inflammatory disease treatment)

    • एंटीबायोटिक्स: डॉक्टर आपको तुरंत एंटीबायोटिक लेने की सलाह दे सकते हैं। लैब टेस्ट के परिणाम आने पर आपके डॉक्टर आपको एंटीबायोटिक देंगे और इन्हे लेने के तीन दिन बाद आप लगातार डॉक्टर को बताते रहें कि यह उपचार काम आ रहा है या नहीं। इन सभी दवाइयों को समय से और सही सलाह के अनुसार लें। एंटीबायोटिक उपचार से गंभीर जटिलताओं से बचा सकता है।
    • अपने पार्टनर का उपचार :सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इन्फेक्शन्स को रोकने के लिए रोगी का सेक्सुअल पार्टनर का एग्जामिनेशन और उपचार कराना आवश्यक है। हो सकता है कि संक्रमित पार्टनर में भी इस रोग के कोई लक्षण न हों ।
    • अस्थायी परहेज़ : उपचार पूरा होने तक और जब तक टेस्ट से यह पता न चल जाए कि आपके पार्टनर में भी संक्रमण नहीं है, शारीरिक संबंध बनाने से बचें।

    पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज से पीड़ित ज्यादातर महिलाओं को सिर्फ आउट पेशेंट ट्रीटमेंट की जरूरत होती है। हालांकि, अगर कोई गंभीर रूप से बीमार है, गर्भवती है या ओरल दवाईयां नहीं ले सकती है, तो आपको अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता पड़ सकती है। इस रोग के होने की स्थिति में सर्जरी की जरूरत बहुत कम होती है। अगर कोई फोड़ा बन जाता है तो डॉक्टर इसे निकाल सकते हैं। लेकिन, अगर एंटीबायोटिक उपचार से कोई असर नहीं होता है या अगर इस रोग के एक से अधिक लक्षण दिखाई देते हैं, तो इस स्थिति में सर्जरी की जरूरत हो सकती है।

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    घरेलू उपाय

    • कंडोम का प्रयोग करें: सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज से बचने के लिए कंडोम सबसे अच्छा तरीका है। जन्म नियंत्रण के अन्य उपाय जैसे बर्थ कंट्रोल पिल्स, शॉट्स, इम्प्लांट आदि सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज नहीं बचा सकते।
    • टेस्ट कराएं : समय-समय पर सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज से बचने के लिए अपना और अपने पार्टनर का टेस्ट कराएं। शारीरिक संबंध बनाने से पहले अपने पार्टनर से टेस्ट के परिणाम के बारे में पूछें। सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज से बचाव ही पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज से बचाव है।
    • एक ही पार्टनर : एक ही पार्टनर के साथ संबंध बनाने से सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज की संभावना कम होती है। सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज के टेस्ट के बाद अपने पार्टनर के साथ ईमानदार रहें।
    • डाउचिंग से बचे : डाउचिंग योनि में उन सामान्य बैक्टीरिया को दूर करते हैं जो इन्फेक्शन से सुरक्षित रखते हैं। डाउचिंग आपके गर्भाशय, अंडाशय, और फैलोपियन ट्यूब जैसे अन्य क्षेत्रों में बैक्टीरिया को ले जाने में मदद करके पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज के जोखिम को बढ़ा सकती है।
    • अल्कोहल या ड्रग से बचे: पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज से बचने के लिए अधिक एल्कोहल या ड्रग्स का प्रयोग करने से बचे।

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