अल्जाइमर रोग के कारण ध्यान केंद्रित करने और सोचने में कठिनाई होती है। एक साथ कई काम करने में कठिनाई समय पर बिलों का भुगतान न करना, चेक-बुक को बैलेंस रखना आदि कार्य चुनौती पूर्ण हो सकते हैं। संख्याओं को पहचानने में कठिनाई। अल्जाइमर होने पर क्या करना चाहिए ?
यदि आपको लगता है कि आपके किसी प्रियजन को बढ़ती उम्र में अल्जाइमर या उससे जुड़ी परेशानी है, तो सबसे बेहतर होगा कि डॉक्टर से बात करें। वह आपको बता सकते हैं कि इन लक्षणों का क्या मतलब है और उनके उपचार के लिए आपके पास क्या विकल्प हैं। बढ़ती उम्र में अल्जाइमर के लिए डॉक्टर आपको सही सलाद देता है। कई बार डॉक्टर अल्जाइमर के लिए थेरेपी देने की बात करते हैं लेकिन इसका इलाज हर किसी के लिए अलग-अलग है। बढ़ती उम्र में अल्जाइमर होन पर परेशान होने से बेहतर है कि परिवार से व्यक्ति को सहानूभुति मिले ताकि अल्जाइमर से पीड़ित व्यक्ति खुद को अकेला ना समझें।
डिमेंशिया क्या है?
अल्जाइमर रोग डिमेंशिया (मनोभ्रंश) का सबसे आम कारण है। इसमें धीरे-धीरे इंसान की याददाशत कम होने लगती है। हालांकि, डिमेंशिया कोई एक बीमारी नहीं है। बल्कि, यह याददाशत और सोचने की शक्ति से जुड़ी कई समस्याओं के समूह की एक अवस्था है। डिमेंशिया के कई अलग-अलग प्रकार हैं और इस पर सबसे अधिक शोध होता रहा है।
भारत में अल्जाइमर
मौजूदा समय में भारत में लगभग 40 लाख लोग डिमेंशिया से पीड़ित हैं। इस बीमारी के लिए नई दवाओं को खोजने के लिए एक लंबा समय लगा है और इस कोशिश में कई प्रयास विफल भी रहे हैं। विशेषज्ञों को उम्मीद है कि एक उपचार विकसित किया जा चुका है। लेकिन, वे सतर्क हैं और इन एडुकैनुमैब (Aducanumab) के परीक्षण परिणामों की बारीकी से जांच करने की जरूरत होगी।
भारत में भी अल्जाइमर एक बड़ी समस्या बन कर उभर रहा है। ऐसे में अल्जाइमर की नई दवा विकसित होना भारत में इस बीमारी को झेल रहे लोगों के लिए आशा की किरण साबित होती है।