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हॉवर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के डिपार्टमेंट ऑफ न्यूट्रिशन के एसोसिएट प्रोफेसर रॉबर्ट एम वेन डेन बताते हैं कि, जरूरी नहीं है कि कैफीन के सेवन से हर किसी में एक ही लक्षण दिखें। शोधकर्ता बताते हैं कि इसका सेवन करने से व्यक्ति में अलग-अलग लक्षण देखने को मिलते हैं। वहीं यदि कोई एंजाइटी से पीड़ित हैं तो उस स्थिति में कैफीन का सेवन करने से उसे पहले से भी ज्यादा गुस्सा आएगा।
वहीं सामान्य व्यक्ति की तुलना में यदि कोई सिगरेट की लत से ग्रसित वयक्ति कॉफी का सेवन करता है तो उसमें दो गुना तेजी से लक्षण देखने को मिलते हैं। एक्सपर्ट बताते हैं कि छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं व ऐसे लोग जो लिवर की बीमारी से ग्रसित हैं उनमें कैफीन का असर सामान्य की तुलना में धीमा होता है। वहीं आदमी के सेहत उम्र, लिंग के अंतर के अनुसार उनमें अलग-अलग लक्षण दिख सकते हैं।
ज्यादा सेवन करने पर व्यवहार में दिखेगा बदलाव
कैफीन का गलत प्रकार से सेवन या ज्यादा मात्रा में सेवन करने से व्यक्ति के व्यवहार में बदलाव के साथ मानसिक तौर पर बदलाव दिख सकते हैं। बता दें कि व्यक्ति पहले की तुलना में या तो ज्यादा गुस्सा करता है या फिर ज्यादा शांत रहता है। सीमित मात्रा में यदि इसका सेवन करने तो व्यवहारिक रहने के साथ हर वक्त शक्ति से भरपूर व अलर्ट महसूस कर सकते है।
इसके विपरीत कुछ लोगों में कैफीन के सेवन से दुष्परिणाम देखने को मिल सकते हैं। वहीं कैफीन के सेवन की दर घटाने या फिर कम कैफीन का सेवन करने पर भी कुछ लक्षण देखने को मिल सकते हैं। व्यक्ति को सिर दर्द, थकान, नींद न आना, लो मूड, एकाग्रता क्षमता कम होना, चिड़चिड़ापन, एनर्जी व अलर्टनेस का कम होना जैसे लक्षण दिख सकते हैं। वहीं कई डॉक्टर छोटे बच्चों को कैफीन का सेवन नहीं करने की सलाह देते हैं। उनका मानना है कि इससे बच्चों का मानसिक विकास सही से नहीं हो पाता है।
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कॉफी में पाए जाने वाले तत्व
कॉफी में जहां कुछ न्यूट्रीएंट्स हैं वहीं इसमें कई एंडीऑक्सीडेंट भी पाए जाते हैं। कॉफी बीन्स में कई मात्रा में न्यूट्रिएंट्स पाए जाते हैं। 240 एमएल की कॉफी में पाए जाने वाले तत्व:
- विटामिन बी2 (रिबोडेल्विन) Ribodlavin : डीवी का 11%
- विटामिन बी 5 (पेंटोथेनिक एसिड) Pantothenic Acid: डीवी का 6%
- विटामिन बी 1 थायमीन thiamine : डीवी का 2%
- विटामिन बी 3 (नियासिन) niacin : डीवी का 2%
- फोलेट (folate) : डीवी का 1%
- मैगनीज (manganese) : डीवी का 1%
- पोटेशियम : डीवी का 3%
- मैगनिशियम : डीवी का 2%
- फोसफोरस : डीवी का 1%
देखा जाए तो यह नंबर ज्यादा नहीं दिखता, लेकिन यदि कोई व्यक्ति रोजाना ज्यादा मात्रा में कॉफी का सेवन करता है तो इस मात्रा में भी इजाफा होता है।
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कैसे काम करता है कैफीन
डरहम की ड्यूक यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर के साइकोलॉजी के प्रोफेसर जेम्स डी लेन ने कहा- कैफीन के असर की बात करें तो इसका सेवन करने से तनाव कम होता है। वहीं इसके सर्कुलर लेबर की बात की जाए तो यह एडनोसीन के द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले रिसेप्टर को लॉक कर देता है, वहीं दिमाग का मॉड्यूलर अधिक उत्तेजना न हो इसके लिए फीडबैक देता है। ऐसे में यह तंत्र सही से काम न करने के कारण नर्वस सिस्टम का सर्कुलर लेवल बढ़ता है।
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युवावस्था के बाद कैफीन पुरुष व महिलाओं पर डालता है अलग-अलग असर
कैफीन के असर की बात करें तो बच्चों व किशोरावस्था की तुलना में युवाओं में कैफीन के असर विषय पर काफी कम शोध किए गए हैं। पब्लिक हेल्थ एंड हेल्थ प्रोफेशन की बफेल्लो स्कूल की यूनिवर्सिटी के द्वारा किए शोध में यह बात सामने आई कि युवावस्था के बाद पुरुषों और महिलाओं के शरीर में कैफीन के कारण अलग-अलग बदलाव देखने को मिले।
कैफीन के असर की बात करें तो जैसा कि हम जानते हैं कि कैफीन बच्चों, किशोरों और युवाओं के ब्लड प्रेशर को जहां बढ़ाता है वहीं हार्ट रेट को भी कम कर सकता है। वहीं रिसर्चर्स कैफीन के असर को लेकर इस बात की जानकारी जुटाने में लगे हैं कि युवावस्था के बाद पुरुषों और महिलाओं में क्या कुछ अंतर आता है। वहीं कैफीन के कारण कार्डियोवेस्कुलर सिस्टम के साथ महिलाओं के मासिक धर्म को तो प्रभावित नहीं करता, इसकी जानकारी जानने की कोशिश की जा रही है।
टीम के द्वारा इससे पहले किशोरों पर किए रिसर्च में यह बात सामने आई कि कैफीन के कारण उनमें साइकोलॉजिकल असर देखने को मिलता है। शोध में पता चला किया 12-17 साल के लड़कों में लड़कियों की तुलना में कैफीन के सेवन करने के कारण ज्यादा एनर्जी दिखी। वहीं शारीरिक रूप पर तंदरूस्त भी दिखे। शोध में यह भी पता चला कि लडकों में जैसे जैसे कैफीन का लेवल बढ़ता है उसके अनुसार ही उनका ब्लड प्रेशर भी बढ़ता है और हार्ट रेट में गिरावट आती है, लेकिन ऐसा लड़कियों में देखने को नहीं मिला।
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लड़कों-लड़कियों में दिखता है अलग-अलग असर
कैफीन के असर की बात करें तो डोज रिस्पॉन्स स्टडी के अनुसार रिसर्चर ने इस बात का पता लगाने के लिए 15 से 17 साल के 54 लड़कों और 47 लड़कियों पर शोध किया। इनमें आठ से नौ साल के 52 बच्चे भी थे। कैफीन के दो डोज देने के बाद बच्चों के हॉर्ट रेट और ब्लड प्रेशर की जांच की गई। शोधकर्ताओं ने लड़कों में लड़कियों की तुलना में काफी अलग रिस्पांस महसूस किया। कैफीन के असर को लेकर असमानता बच्चों को छोड़ किशोरावस्था की उम्र के बच्चों में देखने को मिली।
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मासिक धर्म पर भी पड़ा असर
शोध में यह भी पता चला कि कैफीन के कारण लड़कियों में मासिक धर्म पर भी असर पड़ता है। यूनिवर्सिटी ऑफ बफैल्लो के डिपार्टमेंट ऑफ एक्सरसाइज एंड न्यूट्रिशन साइंसेस की एसोसिएट प्रोफेसर जेनिफर टेंपल ने कहा- शोध के जरिए हम कैफीन के भौतिक परिणामों को देख रहे थे। मासिक धर्म के दौरान हार्मोन में बदलाव देखने को मिला। वहीं साइकिल के पहले दिन से लेकर ऑव्युलेशन तक असर देखा गया कि पिछले बार की तुलना में प्रोस्टेजन की अधिक मात्रा थी।
डॉ टेंपल के अनुसार मासिक धर्म में लडकियों के हार्ट रेट में जहां कमी आई वहीं उनके ब्लड प्रेशर में बढ़ोत्तरी देखने को मिली। यह तमाम रिजल्ट व्यस्क किशोरियों में देखने को मिले। कुल मिलाकर कहा जाए तो शोध में यही पता चला कि किशोरावस्था में ही कैफीन का असर देखने को मिलता है।
हम आशा करते हैं कि कैफीन के असर पर लिखा यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित होगा और आप रूटीन में इसकी मात्रा का सही निर्धारण कर सकेंगे। इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए डाॅक्टरी सलाह लें।