आज के दौर में शिशुओं की प्रीटर्म डिलिवरी (Preterm delivery) के मामले बढ़ते जा रहे हैं। प्रीटर्म डिलिवरी वह स्थिति है, जब शिशु का जन्म तय ड्यू डेट से काफी पहले हो जाता है। ऐसे बच्चों में मानसिक और शारीरिक रूप से असमानताएं रहती हैं। आज हम इस आर्टिकल में प्रीटर्म डिलिवरी के कारण (Cause of Preterm delivery) के बारे में आपको बताएंगे।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, सालाना 1.5 करोड़ बच्चों का जन्म प्रीटर्म बर्थ में होता है। इसका मतलब यह हुआ कि 10 डिलिवरी में से एक से अधिक शिशु का जन्म प्रीटर्म डिलिवरी (Preterm delivery) से हुआ। हर वर्ष करीब 10 लाख शिशुओं की मृत्यु प्रीटर्म डिलिवरी की जटिलताओं के चलते हो जाती है।
हालांकि, जो बच्चे जीवित रह जाते हैं वो आजीवन दिव्यांग्यता का समाना करते हैं। इसमें सीखने, देखने और सुनने की दिव्यांग्यता भीशामिल है। दुनिया भर में प्रीटर्म बर्थ की वजह से शिशुओं की मृत्यु पांच वर्ष की आयु से पहले ही हो जाती है। लगभग सभी देशों में प्रीटर्म डिलिवरी (Preterm delivery) के मामले बढ़ रहे हैं। दुनियाभर में प्रीटर्म बर्थ से जीवित रहने वाले शिशुओं के आंकड़ों में असमानता है।
प्रीटर्म बर्थ (Preterm delivery) में भारत का स्थान
अफ्रीका और दक्षिण एशिया में प्रीटर्म बर्थ का आंकड़ा 60 प्रतिशत से भी ज्यादा है लेकिन, प्रीटर्म बर्थ एक वैश्विक समस्या है। कम आयु वाले देशों में औसतन 12 प्रतिशत शिशुओं का जन्म समय से पहले होता है। वहीं, ज्यादा आयु वाले देशों में यह आंकड़ा 9 प्रतिशत है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, भारत में यह आंकड़ा 35,19,100 है।
प्रीटर्म डिलिवरी के कारण क्या हैं? (Cause of Preterm delivery)
प्रीटर्म डिलिवरी के कारण निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे?
पिछली प्रेग्नेंसी में प्रीटर्म डिलिवरी से शिशु को जन्म देने वाली महिलाओं में प्रीटर्म लेबर का खतरा सबसे ज्यादा होता है।
जुड़वा और तीन बच्चों के गर्भ में होने से या असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी से गर्भधारण करने वाली महिलओं में प्रीटर्म लेबर का खतरा सबसे ज्यादा होता है। एक शोध में पाया गया कि 50 प्रतिशत जुड़वा बच्चों की प्रीटर्म डिलिवरी (Preterm delivery) होती है। वहीं, सिर्फ 10 प्रतिशत सिंगल बेबी में प्रीटर्म डिलिवरी की संभावना रहती है।
महिलाओं के रिप्रोडक्टिव ऑर्गन्स में कुछ विसंगतियों के चलते उनमें प्रीटर्म का खतरा बढ़ जाता है। वहीं, रिप्रोडक्टिव अंगों के सामान्य स्थिति में होने से इसका खतरा कम होता है। उदाहरण के लिए जिस महिला की गर्भाशय ग्रीवा छोटी (यूटरस का निचला हिस्सा) है उनमें प्रीटर्म लेबर का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि, तीसरे ट्रैमेस्टर (Third Trimester) में इसका खतरा कम रहता है।
इसके अतिरिक्त, प्रेग्नेंसी के दौरान कुछ खास किस्म की मेडिकल कंडिशन्स आने से महिलाओं में प्रीटर्म लेबर का खतरा बढ़ जाता है। इन समस्याओं के बारे में नीचे बताया गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन और सेंटर फोर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) ने इन कारणों की पुष्टि कर चुके हैं।
यूरिनरी ट्रैक संक्रमण- अक्सर महिलाएं इस रोग से ग्रसित पाई जाती हैं।
प्रेग्नेंसी से पहले वजन कम या ज्यादा (Weight gain or loss) होना
पहली और दूसरी प्रेग्नेंसी के बीच में छह महीने से भी कम का अंतराल होना।
प्लेसेंटा प्रीविया, जो एक प्रकार की मेडिकल कंडिशन है। इसमें प्लेसेंटा यूटरस के निचले हिस्से में विकसित होता है और गर्भाशय ग्रीवा के मुख को पूरी तरह से ढंक लेता है। इसकी वजह से भी प्रीटर्म लेबर होता है।
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, डायबिटीज (Diabetes), हाय ब्लड शुगर (High Blood Sugar) और प्रेग्नेंसी (Pregnancy) के दौरान होने वाली डायबिटीज (Diabetes) से प्रीटर्म लेबर का खतरा होता है।
ब्लड क्लॉटिंग होने से प्रीटर्म लेबर (Preterm labor) का खतरा होता है।
प्रीटर्म डिलिवरी (Preterm delivery) के कुछ अन्य कारण
महिला की उम्र
18 वर्ष से कम उम्र की युवतियों में प्रीटर्म लेबर (Preterm labor) का खतरा ज्यादा रहता है।
35 वर्ष से अधिक उम्र वाली महिलाओं में प्रीटर्म लेबर का खतरा सबसे ज्यादा रहता है क्योंकि, प्रेग्नेंसी के दौरान उन्हें हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure) और डायबिटीज जैसी समस्या होने से बच्चे की डिलिवरी (Baby delivery) समय से पहले कराई जाती है।
प्रेग्नेंसी और उम्र से जुड़े अक्सर कई सवालों का सामना महिलाओं को करना पड़ता है। नीचे दिए इस क्विज में प्रेग्नेंसी और प्रेग्नेंसी एज से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारी शेयर की गई हैं। क्विज खेलिए और सही जवाब जानिए।
दिनचर्या, आसपास का माहौल और प्रीटर्म लेबर
2003 में पबमेड में एक शोध प्रकाशित किया गया। इस शोध में प्रीटर्म बर्थ (Preterm birth) के नीचे बताए गए कारणों की पुष्टि की गई।
प्रेग्नेंसी में स्वास्थ्य सुविधाओं की देरी या ना लेने से प्रीटर्म लेबर का खतरा होता है।
धु्म्रपान से समय से पहले बच्चे की डिलिवरी होती है।
एल्कोहॉल (Alcohol) का सेवन करने से।
नशीली और गैर कानून दवाइयों के इस्तेमाल से प्रीटर्म लेबर का खतरा बढ़ता है।
यौन, शारीरिक या भावनात्मक हिंसा को मिलाकर घरेलू हिंसा से प्रीटर्म लेबर का खतरा होता है।
कुछ खास किस्म के पर्यावरण प्रदूषण के संपर्क में आने पर।
ऊपर बताए गए कुछ कारकों काे हम रोक सकते हैं। प्रेग्नेंसी के पहले और इस दौरान समय-समय पर डॉक्टरी सलाह लेना बहुत जरूरी है ताकि किसी भी स्थिति के के बारे में समय पर जानकारी मिल जाए और उसके गंभीर परिणामों को रोका जा सके।
उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और प्री टर्म डिलिवरी (Preterm delivery) से संबंधित जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं, तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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