विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, सालाना 1.5 करोड़ बच्चों का जन्म प्रीटर्म बर्थ में होता है। इसका मतलब यह हुआ कि 10 डिलिवरी में से एक से अधिक शिशु का जन्म प्रीटर्म डिलिवरी (Preterm delivery) से हुआ। हर वर्ष करीब 10 लाख शिशुओं की मृत्यु प्रीटर्म डिलिवरी की जटिलताओं के चलते हो जाती है।
हालांकि, जो बच्चे जीवित रह जाते हैं वो आजीवन दिव्यांग्यता का समाना करते हैं। इसमें सीखने, देखने और सुनने की दिव्यांग्यता भी शामिल है। दुनिया भर में प्रीटर्म बर्थ की वजह से शिशुओं की मृत्यु पांच वर्ष की आयु से पहले ही हो जाती है। लगभग सभी देशों में प्रीटर्म डिलिवरी (Preterm delivery) के मामले बढ़ रहे हैं। दुनियाभर में प्रीटर्म बर्थ से जीवित रहने वाले शिशुओं के आंकड़ों में असमानता है।