37 हफ्तों की डिलिवरी क्यों है सुरक्षित?
जुड़वा बच्चों की डिलिवरी मुश्किल मानी जाती है। गर्भाशय में बच्चों की मौत और जन्म के बाद मृत्यु को रोकने के लिए 37 हफ्तों की डिलिवरी को सबसे सुरक्षित माना जाता है। हालांकि जिन मामलों में गर्भवती में एक ही गर्भनाल हो वहां 36 हफ्तों की डिलिवरी पर विचार किया जाता है।
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (बीएमजे) में प्रकाशित एक अध्ययन में निष्कर्ष निकाला गया कि 36 हफ्तों के प्रेग्नेंसी पीरियड के समर्थन में स्पष्ट प्रमाण नहीं मिले हैं। हालांकि सिंगल बच्चे की डिलिवरी के मुकाबले जुड़वा बच्चों में मृत्यु का सबसे ज्यादा खतरा रहता है। इस प्रकार के खतरों को कम करने के लिए अक्सर डिलिवरी पहले कराई जाती है।
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जुड़वा बच्चों की डिलिवरी का सही समय
ऐसे वैज्ञानिक सुबूत कम हैं कि जुड़वा बच्चों की डिलिवरी के लिए प्रेग्नेंसी पीरियड का कौन सा समय उचित है। मौजूदा सुझावों में अंतर है। इसमें जुड़वा बच्चों की डिलिवरी का समय 34-37 हफ्ते है। जो एक ही गर्भनाल से लिपटे रहते हैं। वहीं 37-39 हफ्ते का समय उन जुड़वा बच्चों के लिए बताया गया है जो अलग-अलग गर्भनाल से लिपटे होते हैं।
इस अंतर को समझने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय समूह ने जुड़वा बच्चों वाली 32 प्रेग्नेंसी के अध्ययनों की समीक्षा की। इन्हें पिछले 10 सालों में प्रकाशित और विश्लेषित किया गया। इस विश्लेषण में 35,171 जुड़वा बच्चों की प्रेग्नेंसी (29,685 दो गर्भनाल वाले और 5,486 एक गर्भनाल वाले) को शामिल किया गया।
इस अध्ययन में गर्भाशय में बच्चों की मौत और जन्म के बाद शिशुओं की मौत के खतरों की तुलना की गई। जिसमें 34 हफ्तों के बाद अलग-अलग प्रेग्नेंसी पीरियड के समय में गर्भाशय में बच्चों की मौत और नवजात शिशुओं की मृत्यु (जन्म के 28 दिन के बाद तक) के मामले सामने आए। समूह ने पहले के परसेप्शन को ध्यान रखते हुए अध्ययन के तरीके और गुणवत्ता का भी ध्यान रखा।