ICSI आईवीएफ के लिए कब सजेस्ट किया जाता है?
ICSI आईवीएफ की प्रक्रिया को तब अपनाया जाता है, जब फर्टिलाइजेशन की प्रोसेस में दिक्कत आ रही हो। ICSI आईवीएफ का प्रयोग उन जोड़ों के साथ किया जाता है, जिनमें पुरुष बांझपन का सामना कर रहे हो। अगर पुरुष में शुक्राणुओं की कम संख्या है, शुक्राणुओं की गतिशीलता में कमी है या फिर स्पर्म की खराब क्वालिटी है तो ICSI आईवीएफ सजेस्ट किया जा सकता है।
मुझे ICSI आईवीएफ की आवश्यकता क्यों होगी?
ICSI आईवीएफ प्रजनन समस्याओं को दूर करने में मदद करता है, जैसे:
- पुरुष साथी कृत्रिम गर्भाधान (अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान [IUI]) या IVF करने के दौरान बहुत कम शुक्राणु पैदा करता है।
- शुक्राणु की गति सामान्य तरीके से नहीं है।
- शुक्राणु को अंडे से जुड़ने में किसी भी तरह की परेशानी हो रही है।
- किसी वजह से अगर शुक्राणु को बाहर निकलने से दिक्कत हो रही हो।
- अगर आईवीएफ की कई साइकिल हो जाने के बाद भी एग फर्टिलाइज नहीं हो पाता है।
- इन विट्रो में परिपक्व अंडे का उपयोग किया जा रहा है।
- पहले फ्रीज अंडे का उपयोग किया जा रहा है।
क्या ICSI आईवीएफ सफल प्रयोग माना जा सकता है?
ICSI आईवीएफ 50% से 80% अंडों को निषेचित करता है। लेकिन आईसीएसआई प्रक्रिया के दौरान या बाद में निम्न समस्याएं हो सकती हैं:
- कुछ या सभी अंडे क्षतिग्रस्त हो सकते हैं।
- शुक्राणु के इंजेक्शन के बाद भी अंडा भ्रूण में विकसित नहीं हो सकता है।
- भ्रूण बढ़ना अचानक से बंद हो सकता है।
- एक बार जब फर्टिलाइजेशन हो जाता है तो एक जोड़े को एक ही बच्चे को जन्म देने की संभावना के साथ ही अन्य संभावनाएं भी जुड़ जाती हैं।
- जुड़वां या तीन बच्चे होने की भी संभावनाएं बढ़ सकती हैं।
क्या ICSI आईवीएफ से बच्चे का विकास प्रभावित होता है?
यदि एक महिला नैचुरल रूप से गर्भवती हो जाती है, तो 1.5% से 3% संभावना है कि बच्चे बर्थ डिफेक्ट हो सकता है। आईसीएसआई से जुड़े बर्थ डिफेक्ट में की संभावना आईवीएफ की तुलना में बराबर ही है लेकिन नैचुरल कॉन्सेप्शन की तुलना में अधिक है। बर्थ डिफेक्ट इनफर्टिलिटी की वजह से भी हो सकती है।
बांझपन को दूर करने के लिए उपयोग किए जाने वाले उपचारों के कारण बर्थ डिफेक्ट नहीं होता है।आईसीएसआई के साथ ही कुछ शर्तें भी जुड़ी हुई हैं जैसे कि बेकविथ-विडमैन सिंड्रोम, एंजेलमैन सिंड्रोम, हाइपोस्पेडिया या सेक्स क्रोमोसोम असामान्यताएं आदि। इनफर्टिलिटी का कारण बनने वाली कुछ समस्याएं आनुवांशिक हो सकती हैं। उदाहरण के लिए आईसीएसआई के उपयोग से पैदा हुए बच्चे में उसके पिता के समान ही इनफर्टिलिटी की समस्या हो सकती है।
एजोस्पर्मिया क्या होता है?
एजोस्पर्मिया ऐसी कंडिशन होती है जब मेल इजेकुलेशन के समय स्पर्म नहीं आता है।
- ऑब्सट्रक्टिव
- नॉन ऑब्सट्रक्टिव
ऑब्सट्रक्टिव एजोस्पर्मिया निम्न कारणों से हो सकता है
- पुरुष नसबंदी के कारण
- वास की जन्मजात अनुपस्थिति के कारण
- इंफेक्शन के कारण पुराने घाव
- नॉन ऑब्सट्रक्टिव एजोस्पर्मिया के कारण
- जब डिफेक्टिव टेस्टाइल स्पर्म प्रोड्यूस नहीं करता है।
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ICSI आईवीएफ के लिए स्पर्म कैसे प्राप्त किए जाते हैं?
जिन पुरुषों में स्पर्म की संख्या कम होती है या स्पर्म कम गतिशीलता वाले होते हैं उनके शुक्राणु को सामान्य स्खलन ( normal ejaculation) से प्राप्त किया जाता है। अगर पुरुष नसबंदी( vasectomy) हुई है तो माइक्रोसर्जिकल नसबंदी रिवर्स का सहारा लिया जाता है। इस प्रक्रिया में अधिक लागत आती है। टेस्टिस से सीधे शुक्राणु निकालने के लिए सुई का प्रयोग किया जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान पुरुष को बेहोश किया जा सकता है। साथ ही बाद में दर्द और सूजन भी महसूस हो सकती है। टेस्टिस से निकला स्पर्म ICSI आईवीएफ के लिए परफेक्ट होता है। ऐसा स्पर्म अपने आप एग को पेनिट्रेट करने में सक्षम नहीं होता है।
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ICSI आईवीएफ से जुड़ा स्वास्थ्य संबंधी मुद्दा
ऐसा देखने में सामने आया है कि जो बच्चे ICSI आईवीएफ की प्रक्रिया का सहारा लेकर जन्म लेते हैं, उनके बर्थ डिफेक्ट पाए जाने की संभावना अधिक रहती है। वहीं कुछ डॉक्टर इस बात से इंकार करते हैं। जानकारो का मानना है कि क्रोमोसोम में गड़बड़ी अप्रिंटिंग प्रक्रिया के दौरान होती है। बेहतर ये रहेगा कि इस प्रक्रिया के विशेषज्ञ से जटिलताओं के बारे में जानकारी ली जाए। अगर कोई भी महिला या पुरुष इनफर्टिलिटी की समस्या से जूझ रहे हैं तो पहले उन्हें डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। बांझपन कई कारणों से हो सकता है। हो सकता है कि डॉक्टर समस्या का समाधान निकाल दें और कपल्स नैचुरल तरीके से कंसीव कर लें। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए विशेषज्ञ से चर्चा करें।
अगर किसी भी महिला या पुरुष को इनफर्टिलिटी की समस्या है तो इस बारे में डॉक्टर से परामर्श करना उचित रहेगा। डॉक्टर महिला और पुरुष दोनो में इनफर्टिलिटी की समस्या की जांच करेगा। जिस भी व्यक्ति में समस्या है, उसके अनुसार ही आगे की प्रक्रिया का निर्णय किया जाएगा। बिना डॉक्टर की राय कोई भी फैसला न लें। साफ तौर पर इसे क्रोमोसोम संबंधि गड़बड़ी माना जा सकता है।