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आईवीएफ (IVF) के साइड इफेक्ट्स: जान लें इनके बारे में भी

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr. Shruthi Shridhar


Nikhil Kumar द्वारा लिखित · अपडेटेड 15/04/2021

    आईवीएफ (IVF) के साइड इफेक्ट्स: जान लें इनके बारे में भी

    आईवीएफ (IVF) फर्टिलिटी की एक सहायक साइंटिफिक प्रॉसेस है। जिसमें पुरुष के स्पर्म और एक महिला के मैच्योर अंडों को प्रयोगशाला में यूट्रस के बाहर फर्टिलाइज किया जाता है। इसके बाद इसमें एक या अधिक निषेचित अंडे (भ्रूण) को महिला के गर्भाशय में इम्प्लांट किया जाता है। आईवीएफ एक कठिन प्रक्रिया है, जिसका इस्तेमाल फर्टिलिटी में मदद और गर्भधारण करते वक्त बच्चे में अनुवांशिक विकार को रोकने के लिए भी किया जाता है। हालांकि आईवीएफ के साइड इफेक्ट्स भी बताएं गए हैं। जानते हैं इनके बारे में।

    आईवीएफ (IVF) के साइड इफेक्ट्स:

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    मल्टीप्ल बर्थ:

    आईवीएफ के दौरान गर्भाशय में एक से अधिक भ्रूण इम्प्लांट हो जाने की स्थिति में महिला का एक से अधिक बच्चों को जन्म देने की संभावनाएं बढ़ जाती है। आईवीएफ के साइड इफेक्ट्स यह भी हैं कि सामान्य गर्भधारण की तुलना में अर्ली लेबर (सामान्य प्रसव) और नवजात के सामान्य से अधिक वजन के होने के चान्सेस अधिक रहते हैं। 

    गर्भपात का डर:

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    जब कोई महिला पहली बार आईवीएफ के इस्तेमाल से प्रेग्नेंट होती है तो गर्भपात का खतरा रहता है। शोध के मुताबिक आईवीएफ से गर्भपात का खतरा उन महिलाओं के बराबर ही होता है जो नैचुरली गर्भधारण करती हैं। दोनों ही स्थिति में गर्भपात का खतरा लगभग 15% से 25% तक होता है, जो मां की उम्र के साथ बढ़ता जाता है। इसलिए आईवीएफ के साइड इफेक्ट्स के बारे में गर्भपात को लेकर कही जाने वाली बात गलत है। आईवीएफ के बढ़ते प्रचलन की वजह से इसके साथ साइड इफेक्ट्स का होना लाजमी है लेकिन गर्भपात को लेकर आईवीएफ के साइड इफेक्ट्स नहीं हैं।

    एग-रिट्रीवल प्रोसीजर कॉम्प्लिकेशंस:

    अंडों को कलेक्ट करने के लिए एक एस्पिरेटिंग नीडिल का उपयोग किया जाता है। इससे ब्लीडिंग, इंफेक्शन, आंत, यूरिनरी ब्लैडर या ब्लड-सेल्स को नुकसान पहुंचने का खतरा रहता है। आईवीएफ के साइड इफेक्ट्स में एक और बात जो बहुत मशहूर है वो है कि इसकी वजह से ब्लड सेल्स को नुकसान पहुंचता है जबकि इसके चांसेस कम है।

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    जन्मजात दोष: 

    आईवीएफ के साइड इफेक्ट्स जन्म लेने वाले बच्चों में विकृतियों और जन्मजात दोषों के साथ पैदा होना नहीं है। हालांकि जन्म दोषों के विकास में मां की उम्र ज्यादा भूमिका रखती है। आईवीएफ की सहायता से जन्मे बच्चों में बाइ-बर्थ किसी शारीरिक अपंगता होने के चांसेस बहुत कम होते हैं। आईवीएफ का उपयोग करने वाले बच्चों को जन्मजात समस्याओं से घिरे होने के जोखिमों के बारे में अभी भी साइंटिस्ट शोध कर रहे हैं। 

    दस्त और मतली:

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    आईवीएफ गर्भधारण के दौरान योनि के अंदर हॉर्मोनल मेडिसिन को इंजेक्शन के माध्यम से इनकॉरपोरेट किया जाता हैं। यह इंजेक्शन बहुत पीड़ादायक होते हैं। जिसके परिणामस्वरूप महिला को दस्त और मतली की शिकायत हो सकती है। अगर इंजेक्शन के बाद उस जगह पर सूजन हो जाए तो उस जगह पर बर्फ से सेंक सकते हैं। इससे दर्द में भी राहत मिलती है।

    ओवेरियन कैंसर:

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    महिलाओं में होने वाले आईवीएफ के दुष्प्रभावों में यह सबसे खतरनाक है। विशेषज्ञों का मानना ​​है कि आईवीएफ में अंडे का स्टिम्युलेशन और अंडाशय में कुछ निश्चित ट्यूमर के विकास के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं के बीच कुछ सह-संबंध हो सकता है। जो महिलाओं में ओवेरियन कैंसर का मुख्य कारण बनता है।

    एक्टॉपिक प्रेग्नेंसी: 

    रिसर्च के मुताबिक आईवीएफ विधि से गर्भधारण करने वाली महिलाओं में लगभग 2% से 5% को एक्टॉपिक गर्भावस्था होने की चांसेस रहते हैं। एक नॉर्मल प्रेग्नेंसी में, अंडे फैलोपियन ट्यूब में शुक्राणु द्वारा निषेचित हो जाते हैं जहां से यह गर्भाशय में प्रत्यारोपित होने के लिए नीचे आता है। आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान, निषेचित अंडे को गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है, लेकिन कुछ मामलों में निषेचित अंडे फैलोपियन ट्यूब में प्रत्यारोपित हो सकते हैं जिससे एक्टॉपिक प्रेग्नेंसी हो सकती है। ऐसी स्थिति में निषेचित अंडा गर्भाशय के बाहर सरवाइव नहीं कर पाता है।आईवीएफ के साइड इफेक्ट्स में एक्

    साइकोलॉजिकल/इमोशनल इम्बैलेंस 

    आईवीएफ प्रक्रिया से गुजरना इमोशनल, तनावपूर्ण और शारीरिक रूप से थकाने वाला अनुभव होता है। भावनाओं का उतार-चढ़ाव, क्लिनिक के चक्कर, हॉर्मोन्स का उच्च स्तर और मेडिकेशंस के प्रोटोकॉल को फॉलो करना उनमें साइकोलॉजिकल/इमोशनल इम्बैलेंस पैदा करता है। आईवीएफ के साइड इफेक्ट्स में शामिल ये बदलाव आसानी से रिश्तों में समस्या पैदा कर सकते हैं। जबकि इस समय उन्हें ख्याल रखने के लिए इमोशनल सपोर्ट की आवश्यकता होती है। इस स्थिति में रिश्तेदारों, दोस्तों और परिवार के लोगों का पर्याप्त सपोर्ट मिलना बहुत आवश्यक है।

    एंग्जाइटी 

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    सिर्फ इनफर्टिलिटी ही आपको चिंता का शिकार नहीं बनाती, बल्कि ‘इन विट्रो फर्टिलाइजेशन’ यानी आईवीएफ भी आपको चिंता की ओर धकेल सकता है क्योंकि नियमित रूप से डॉक्टर से मिलना और कई इंजेक्शन्स दिमाग को सोचने पर मजबूर कर देते हैं। एक महिला गर्भवती होने में असमर्थता या उपचार के दौरान होने वाले प्रभावों जैसे विषयों को लेकर चिंतित महसूस कर सकती है। जो बाद में उनमे गंभीर एंग्जाइटी का कारण बन सकता है। आईवीएफ के साइड इफेक्ट्स में एंग्जायटी भी एक जरूरी मुद्दा है। जो लोग आईवीएफ प्रक्रिया अपनाते हैं वो इसके लंबी प्रोसेस से परेशान हो जाते हैं। इसके कारण कई बार कपल्स एंग्जायटी का शिकार हो जाते हैं।

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     आईवीएफ के साइड इफेक्ट्स के बावजूद, कई कपल्स इसकी मदद से अपनी पेरेंट्स बनने की तमन्ना पूरी करते हुए शिशु को जन्म देते हैं। आप भी फर्टिलिटी पर विचार कर रही हैं, तो आपको उपचार के तहत परामर्श सेवाएं भी लेनी चाहिए। आईवीएफ के साइड इफेक्ट्स बहुत से हैं लेकिन जिन माता-पिता को पेरेंट्स बनने का सुख चाहिए वो इसके बावजूद इस विकल्प को चुनते हैं और सफल भी होते हैं। हालांकि बहुत से डॉक्टर इसका इलाज और इसके बारे में सलाह देते हैं। तो अगर आप भी आईवीएफ की प्रोसेस से प्रेग्नेंसी की राह चुनन चाहते हैं तो अपने डॉक्टर से बाते करें।

    डिस्क्लेमर

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