दस्त और मतली:
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आईवीएफ गर्भधारण के दौरान योनि के अंदर हॉर्मोनल मेडिसिन को इंजेक्शन के माध्यम से इनकॉरपोरेट किया जाता हैं। यह इंजेक्शन बहुत पीड़ादायक होते हैं। जिसके परिणामस्वरूप महिला को दस्त और मतली की शिकायत हो सकती है। अगर इंजेक्शन के बाद उस जगह पर सूजन हो जाए तो उस जगह पर बर्फ से सेंक सकते हैं। इससे दर्द में भी राहत मिलती है।
ओवेरियन कैंसर:
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महिलाओं में होने वाले आईवीएफ के दुष्प्रभावों में यह सबसे खतरनाक है। विशेषज्ञों का मानना है कि आईवीएफ में अंडे का स्टिम्युलेशन और अंडाशय में कुछ निश्चित ट्यूमर के विकास के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं के बीच कुछ सह-संबंध हो सकता है। जो महिलाओं में ओवेरियन कैंसर का मुख्य कारण बनता है।
एक्टॉपिक प्रेग्नेंसी:
रिसर्च के मुताबिक आईवीएफ विधि से गर्भधारण करने वाली महिलाओं में लगभग 2% से 5% को एक्टॉपिक गर्भावस्था होने की चांसेस रहते हैं। एक नॉर्मल प्रेग्नेंसी में, अंडे फैलोपियन ट्यूब में शुक्राणु द्वारा निषेचित हो जाते हैं जहां से यह गर्भाशय में प्रत्यारोपित होने के लिए नीचे आता है। आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान, निषेचित अंडे को गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है, लेकिन कुछ मामलों में निषेचित अंडे फैलोपियन ट्यूब में प्रत्यारोपित हो सकते हैं जिससे एक्टॉपिक प्रेग्नेंसी हो सकती है। ऐसी स्थिति में निषेचित अंडा गर्भाशय के बाहर सरवाइव नहीं कर पाता है।आईवीएफ के साइड इफेक्ट्स में एक्
साइकोलॉजिकल/इमोशनल इम्बैलेंस
आईवीएफ प्रक्रिया से गुजरना इमोशनल, तनावपूर्ण और शारीरिक रूप से थकाने वाला अनुभव होता है। भावनाओं का उतार-चढ़ाव, क्लिनिक के चक्कर, हॉर्मोन्स का उच्च स्तर और मेडिकेशंस के प्रोटोकॉल को फॉलो करना उनमें साइकोलॉजिकल/इमोशनल इम्बैलेंस पैदा करता है। आईवीएफ के साइड इफेक्ट्स में शामिल ये बदलाव आसानी से रिश्तों में समस्या पैदा कर सकते हैं। जबकि इस समय उन्हें ख्याल रखने के लिए इमोशनल सपोर्ट की आवश्यकता होती है। इस स्थिति में रिश्तेदारों, दोस्तों और परिवार के लोगों का पर्याप्त सपोर्ट मिलना बहुत आवश्यक है।