जेंडर मिथ यहां पर नहीं रूकते हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली मॉर्निंग सिकनेस को भी जेंडर मिथ से जोड़कर देखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि प्रेग्नेंसी में सुबह ज्यादा थकावट होने से आप बेटी को जन्म दे सकती हैं। इस तथ्य पर यकीन करने से पहले आपको फिर से सोचना चाहिए। सुबह होने वाली थकावट के पीछे बॉडी के हार्मोन्स में होने वाले बदलाव और ब्लड शुगर का स्तर कम होना भी एक कारण हो सकता है। कई बार महिलाओं को प्रेग्नेंसी में संपूर्ण पोषण नहीं मिलता, जिसकी वजह से उनकी बॉडी में कमजोरी होती है। यह भी एक बड़ा जेंडर मिथ है।
दक्षिणी दिल्ली के लाजपत नगर में स्थित सपरा क्लीनिक की सीनियर गायनोकोलॉजिस्ट डॉक्टर एसके सपरा ने कहा, ‘महिलाओं में पोषण की कमी से उनकी बॉडी में कमजोरी आ जाती है। इसकी वजह से प्रेग्नेंसी के दौरान और डिलिवरी के बाद तक यह कमजोर बनी रहती है।’ लेकिन मानने वाले ऐसा मानते हैं कि मॉर्निंग सिकनेस की वजह आपके भ्रूण में पल रही बेटी है।
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मूड स्विंग होना भी है जेंडर मिथ
मूड स्विंग को जेंडर मिथ के साथ भी जोड़ा जाता है। प्रेग्नेंसी के दौरान अक्सर हाॅर्मोंस के लेवल में उतार- चढ़ाव आता है। कुछ लोगों को लगता है कि गर्भ में लड़की का भ्रूण होने से महिलाओं की बॉडी में एस्ट्रोजेन का स्तर बढ़ जाता है और मूड स्विंग होता है। हालांकि, अध्ययन इस तर्क का समर्थन नहीं करते हैं। अलग-अलग शोध से पता चलता है कि प्रेग्नेंसी में मूड स्विंग होना केवल हॉर्मोन में बदलाव की वजह से हैं।
आमतौर पर प्रेग्नेंसी के दौरान हॉर्मोन का स्तर बढ़ जाता है और शिशु को जन्म देने के बाद यह सामान्य स्तर पर आ जाते हैं। इसका बच्चे के लिंग से कोई लेना-देना नहीं होता। लड़का और लड़की दोनों ही मामलों में यह उतार-चढ़ाव होता है। जेंडर मिथ में मूड स्विंग भी बहुत अहम है क्योंकि लोग इसके आधार पर भी बच्चों का जेंडर निर्धारित करते हैं।
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प्रेग्नेंसी के बीच में वजन का बढ़ना
प्रेग्नेंसी के मध्य में अगर किसी महिला का वजन बढ़ता है तो कुछ लोगों को लगता है कि वह लड़की को जन्म देगी। वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि पेट का ज्यादा बाहर और वजनी होना लड़के से संबंधित होता है। वैज्ञानिक सुबूत इसका समर्थन नहीं करते हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान महिला का वजन बढ़ना उसके बॉडी टाइप के ऊपर निर्भर करता है। अगली बार इस जेंडर मिथ या जेंडर को लेकर मिथ पर विश्वास ना करें। हालांकि हमारे आसपास औऱ समाज में बहुत से जेंडर मिथ प्रचलित हैं लेकिन इनपर पूरी तरह से भरोसा करना गलत है। कुछ लोग सुनी सुनाई बातों में आकर अलग-अलग फैसले लेते हैं लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि जेंडर मिथ को इससे बढ़ावा मिले।
उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और जेंडर मिथक या जेंडर को लेकर मिथ के बारे में जानकारी मिल गई होगी जो प्रेग्नेंसी के समय प्रचलित होते हैं। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।