गर्भावस्था का समय शारीरिक और भावनात्मक परिवर्तनों से भरा रहता है। इन परिवर्तनों को समझने से आपकी परेशानी दूर होगी। किसी काउंसर के साथ इन परिवर्तनों और चिंताओं पर बात करना मददगार साबित हो सकता है। इसके अलावा आप अपने पार्टनर से भी बात कर सकती हैं क्योंकि शिशु और आपके लिए सबसे अधिक चिंतित वह भी हैं। ऐसा करना निश्चित रूप से गर्भावस्था में होने वाले मूड में बदलाव से थोड़ी राहत देगा।
आपको बता दें कि प्रेग्नेंसी में मूड स्विंग ही नहीं महिलाओं को कई अन्य परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जानते हैं उनके बारे में
गर्भावस्था में व्यवहार में बदलाव: प्रेग्नेंसी में मूड स्विंग ही नहीं थकान से भी परेशान रहती हैं महिलाएं
गर्भ में बढ़ते हुए बच्चे को अधिक पोषक तत्वों की जरूरत होती है। इस दौरान रक्त उत्पादन भी अधिक होता है। ब्लड शुगर लेवल और ब्लड प्रेशर कम हो जाता है। प्रेग्नेंसी के कारण प्रोजेस्टेरोन का लेवल बढ़ जाता है जिस कारण नींद अधिक आती है। शरीर में होने वाले परिवर्तन के साथ ही भावनात्मक परिवर्तन भी कम ऊर्जा संचार का कारण बन जाते हैं। इस कारण महिलाओं को आलस आता है और प्रेग्नेंसी में थकान महसूस होती है।
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प्रेग्नेंसी में मुंहासों से भी परेशान रहती हैं गर्भवती महिलाएं
कई महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान मुंहासे (Pregnancy Acne), पिंपल्स का अनुभव होता है। यह पहली और दूसरी तिमाही के दौरान होना सबसे आम है। गर्भावस्था में एंड्रोजन नामक हॉर्मोन में वृद्धि त्वचा में ग्लांड्स (ग्रंथियों) को बढ़ने और सीबम को अधिक मात्रा में उत्पन्न करने का कारण बन सकती है जो एक प्रकार का एक ऑयली तथा वैक्सी सब्सटेंस होता है। यह तेल छिद्रों को रोकता है जिससे त्वचा को जरूरी पोषण नहीं मिलता। परिणामस्वरूप चेहरा और स्किन में बैक्टीरिया, सूजन आदि हो सकता है। गर्भावस्था और प्रसव के बाद मुंहासे आमतौर पर अस्थायी होते हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान मुंहासे जो परेशानी का कारण बनते हैं वे जब बॉडी हॉर्मोन सामान्य होते हैं खुद-ब-खुद ठीक भी हो जाते हैं। गर्भावस्था के दौरान होने वाली समस्याओं में से एक मुंहासे भी हैं। इनके कई कारण होते हैं, जैसे-
1. एंड्रोजन स्तर में वृद्धि
2. आहार में बदलाव